वर्तमान दौर हो या फिर प्राचीन या मुगल काल। जनकल्याण पर आधारित प्रशासन की केवल पृथ्वीराज चौहान, राणा प्रताप तथा शिवाजी जैसे देशज शासकों से ही आशा की जा सकती है। क्योंकि वे मूल भूमि से जुड़े थे और उनका धर्म और संस्कार भी मूल भूमि से प्राप्त था। इसीलिए वे यहाँ की यानी मूल भूमि की जनता के प्रति उत्तरदायी थे न कि दमिश्क के खलीफा या मक्का के मुल्लाओं के प्रति। या वहां के लोगों के प्रति।
देशभक्त शासकों के जो भी कर्तव्य, उदारता और दान आदि होने चाहिए उनका विभाजन मूल रूप से भारत के निवासी भारतीयों में ही होना चाहिए, न कि विदेशियों या विधार्मियों में। जैसे की आज हम राष्ट्रवाद के नामनपर देख रहे हैं।
इतिहास की परीक्षाओं में, आज हमसे, यह पूछा जाना चाहिए कि पृथ्वीराज चौहान, राणा प्रताप या शिवाजी ने विदेशी दस्युओं के विरुद्ध युद्ध करने के लिए किस प्रकार की प्रशासनिक व्यवस्था की; भारत कब से कब तक और क्यों दूध और शहद की नदियों वाला देश रहा और अब क्यों नहीं है?
हमारा दुर्भाग्य है कि हम पढ़े लिखे तो खुब हैं लेकिन अपनी मूल संस्कृति, मूल भाषा, मूल शिक्षा, मूल धर्म और मूल इतिहास को बिल्कुल भी नहीं जानते, जबकि विदेशी भाषा, विदेशी संस्कृति, विदेशी खानपान और विदेशी पहनावे का ही ढोल खूब पीटते हैं और खुद को पढा लिखा बताते फिरते हैं।
हमें कभी कभी यह भी जान लेना चाहिए कि, एक विशिष्ट काल यानी मुगल काल में भारत से लूट कर मक्का, बग़दाद, दमिश्क, समरकन्द, बुखारा, गज़नी और काबुल ले जाई गई सम्पत्ति का मूल्य कितना था; कितने कस्बों, नगरों तथा किलों का सफ़ाया किया गया? हमारे कितने पूर्वज मारे गए?
हमें कभी कभी यह भी जान लेना चाहिए कि वर्तमान में हम जिन भवनों और नगरों के नामों को देख रहे हैं मध्य युग में कब और किस प्रकार उनको मकबरों, मस्जिदों में परिवर्तित किया गया? किसने और क्यों उनके नाम बदल दिए? हमें इस बात के लिए भी कभी कभी आवाज उठानी चाहिए कि हमारी वह धरोहर हमें वापस कब मिलेगी और कैसे मिलेगी?
क्या वजह है कि आज हमारा देश इतना सक्षम होते हुए भी हमें हमारा वह धन और इतिहास की इमारतें वापस नहीं मिल पा रही है? हमने इजरायल जैसे एक मामूली से देश से क्यों नहीं सीखा कि पड़ोसी दुश्मनों को कैसे समझाया जाता है? क्या हम आज भी मुगल काल में जी रहे हैं या फिर ब्रिटिश काल में? यदि नहीं तो क्या कारण है की हमें हमारा अधिकार नहीं मिल पा रहा है? क्या हमारे नेता हमें मूर्ख बना रहे हैं या फिर हम खुद ही जानना नहीं चाहते?