Skip to content
13 June 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • कला-संस्कृति
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग क्यों और कैसे लगाते हैं…?

admin 8 August 2022
Chappan Bhog
Spread the love

श्रावण माह का महीना हो और लडूडू गोपाल, माखनचोर, रणछोड़, नंदलाल, कृष्ण इत्यादि नामों से जाना जाने वाले भगवान श्री कृष्ण का जिक्र न हो, यह कैसे संभव है। जन्म से लेकर मृत्यु तक भगवान श्री कृष्ण का अवतरण एक विशेष उद्देश्य को लेकर हुआ था, एक संदेश छुपा हुआ था, एक दर्शन का प्रतिपादन किया गया।

विष्णु भगवान के अंश श्री कृष्ण सदियों से पूज्यनीय रहे हैं और पूजे जाते रहेंगे। उन्हें प्रसन्न करने के लिए भावों का प्रकटीकरण करने के लिए, आस्था प्रदर्शन के लिए, कर्म की प्रधानता स्थापित करने के लिए, जीवन को प्राकृतिक रूप से जीने के लिए इत्यादि-इत्यादि पूजा-अर्चना के साथ-साथ 56 (छप्पन) भोग के अर्पण का चलन प्राचीन काल से ही है। इसका महत्व व रहस्य कि हम 56 (छप्पन) भोग क्यों लगाते हैं, का एक प्रयास।

ऐसा भी कहा जाता है कि माता यशोदा जी बालकृष्ण को एक दिन में अष्ट प्रहर भोजन कराती थीं अर्थात बालकृष्ण आठ बार भोजन करते थे और इस विषय में कुछ कथन भी प्रचलित हैं जो इस प्रकार से हैं –

जब इंद्र के प्रकोप से सारे ब्रज को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार सात दिन तक भगवान ने अन्न जल ग्रहण नहीं किया। आठवें दिन जब भगवान ने देखा कि अब इंद्र की वर्षा बंद हो गई है, सभी ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत से बाहर निकल जाने को कहा, तब दिन में आठ प्रहर भोजन करने वाले ब्रज के नंदलाल कन्हैया का लगातार सात दिन तक भूखा रहना उनके ब्रजवासियों और मैया यशोदा के लिए बड़ा कष्टप्रद हुआ।

भगवान के प्रति अपनी अन्य श्रद्धा भक्ति दिखाते हुए सभी ब्रजवासियों सहित यशोदा जी ने 7 दिन और अष्ट प्रहर के हिसाब से 7×8= 56 व्यंजनों का भोग बाल कृष्ण को लगाया।

श्रीमद्भागवत के अनुसार, गोपिकाओं ने एक माह तक यमुना में भोर में ही न केवल स्नान किया, अपितु कात्यायनी मां की अर्चना भी इस मनोकामना से की कि उन्हें नंदकुमार ही पति रूप में प्राप्त हों। श्रीकृष्ण ने उनकी मनोकामना पूर्ति की सहमति दे दी। व्रत समाप्ति और मनोकामना पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ही उद्यापन स्वरूप गोपिकाओं ने छप्पन भोग का आयोजन किया और इस प्रकार गोपिकाओं ने भेंट किए छप्पन भोग भगवान श्री कृष्ण जी को।

छप्पन भोग हैं, छप्पन –
सखियां – ऐसा भी कहा जाता है कि गोलोक में भगवान श्रीकृष्ण राधिका जी के साथ एक दिव्य कमल पर विराजते हैं। उस कमल की तीन परतें होती हैं। प्रथम परत में ‘आठ’, दूसरी में ‘सोलह‘ और तीसरी में ‘बत्तीस पंखुड़ियां’ होती हैं।

प्रत्येक पंखुड़ी पर एक प्रमुख सखी और मध्य में भगवान विराजते हैं। इस तरह कुल पंखुड़ियों की संख्या छप्पन होती है जो कि भगवान को लगाया गया भोग उनकी सखियों को भी प्राप्त हो सके इसलिए छप्पन भोग लगाये जाते हैं। 56 की संख्या का वास्तव में यही अर्थ है, इसीलिए 56 की संख्या को शुभ माना जाता है।

सनातन संस्कृति में कोई भी कृत्य एवं रीति-रिवाज महत्वहीन या निर्थरक नहीं होता। उसके पीछे की धारणा ज्ञान-विज्ञान, तप बल रहस्यमयी सृष्टि को प्रकृतिनुरूप समझ और परखकर ही बनाई गयी है एवं जीवन को सार्थक बनाने की दिशा में अग्रसर रहना सिखाया गया है।

छप्पन प्रकार के भोग इस प्रकार हैं –
1, भक्त (भात)
2. सूप (दाल)
3. प्रलेह (चटनी)
4. सदिका (कढ़ी)
5. दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी)
6. सिखरिणी (सिखरन)
7. अवलेह (शरबत)
8. बालका (बाटी)
9. इक्षु खेरिणी (मुरब्बा)
10. त्रिकोण (शर्करा युक्त)
11. बटक (बड़ा)
12. मधु शीर्षक (मठरी)
13. फेणिका (फेनी)
14. परिष्टड्ढश्च (पूरी)
15. शतपत्र (खजला)
16. सधिद्रक (घेवर)
17. चक्राम (मालपुआ)
18. चिल्डिका (चोला)
19. सुधाकुंडलिका (जलेबी)
20. धृतपूर (मेसू)
21. वायुपूर (रसगुल्ला)
22. चन्द्रकला (पगी हुई)
23. दधि (महारायता)
24. स्थूली (थूली)
25. कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी)
26. खंड मंडल (खुरमा)
27. गोधूम (दलिया)
28. परिखा
29. सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त)
30. दधिरूप (बिलसारू)
31. मोदक (लड्डू)
32. शाक (साग)
33. सौधान (अधानौ अचार)
34. मंडका (मोठ)
35. पायस (खीर)
36. दधि (दही)
37. गोघृत
38. हैयंगपीनम (मक्खन)
39. मंडूरी (मलाई)
40. कूपिका (रबड़ी)
41. पर्पट (पापड़)
42. शक्तिका (सीरा)
43. लसिका (लस्सी)
44. सुवत
45. संघाय (मोहन)
46. सुफला (सुपारी)
47. सिता (इलायची)
48. फल
49. तांबूल
50. मोहन भोग
51. लवण
52. कषाय
53. मधुर
54. तिक्त
55. कटु
56. अम्ल

– सम्पदा जैन

About The Author

admin

See author's posts

1,538

Related

Continue Reading

Previous: अखंड भारत के क्षेत्रफल का ऐतिहासिक वर्णन
Next: दिल्ली सरकार ने दिल्ली को बरबाद करने का काम किया है

Related Stories

Natural Calamities
  • विशेष
  • षड़यंत्र

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

admin 28 May 2025
  • विशेष
  • षड़यंत्र

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

admin 27 May 2025
Teasing to Girl
  • विशेष
  • षड़यंत्र

आसान है इस षडयंत्र को समझना

admin 27 May 2025

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

077966
Total views : 141994

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved