
तंबाकू से कैंसर होता है ये बात अब तक तो सभी जान चुके हैं, लेकिन कैंसर अब भारत में राजनीतिक रूप ले चुका है और सम्पूर्ण भारतवर्ष और हिंदुओं का नाश करने के कगार पर पहुंच चुका है, क्योंकि इसी कैंसररूपी राजनीति के संक्रमण में आज के करीब 80 प्रतिशत से अधिक हिन्दू आ चुके हैं. हालांकि हैरानी की बात तो ये हैं कि इसकी सम्पूर्ण जांच रिपोर्ट बात अभी तक किसी भी लैब या डॉक्टरी रिसर्च में सामने नहीं आई है, क्यों?
इस विषय पर धर्म और धार्मिक विद्वानों के द्वारा विमर्श या रिसर्च भी नहीं होने दी जा रही है, क्योंकि यदि सच सामने आ गया तो राजनीतिक उद्योग और मेडिकल उद्योग दोनों ही पर ताला लग जाएगा और असली कैंसर तथा राजनीतिक कैंसर से होने वाली कालेधन की उगाही बंद हो जाएगी। यहाँ ये भी जान लेना चाहिए कि इस संक्रमण की मार को सिर्फ हिन्दू ही झेल रहे हैं, क्योंकि सिर्फ हिन्दू ही हैं जो राजनीति को सबसे अधिक अपना धर्म मानकर चलने लगे हैं। जबकि अन्य धर्मियों ने तो राजनीति को मात्र एक हथियार बनाकर अपना उल्लू सीधा करने का माध्यम या टूल बना रखा है इससे अधिक कुछ भी नहीं।
इस बात को आज हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि आज के करीब 90 प्रतिशत हिंदू सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक खबरों और घटनाओं पर ही नजर रखते हैं, जबकि वे खुद इसके खतरों को भी जानते है। मगर इस राजनीतिक बीमारी को अपने आप ही वे अब अपना मूल धर्म मान कर चलने लगे हैं और नेताओं को तो उन 90 प्रतिशत हिंदुओं ने अपने कुलदेवता भी बना रखा है।
बाकी बचे करीब 10 प्रतिशत मूल हिंदू यदि सनातन धर्म और मठ मंदिरों की रक्षा की बात करते हैं तो उन्हें आपस में लड़वाने वाले, समाज विरोधी, भगवा आतंकवादी, देशद्रोही, हिंदू विरोधी, हिंदू हृदय सम्राट और उनके राजनीतिक दल के शत्रु, संघ के विरोधी, कांग्रेसी, वामी, अत्याचारी, पापी, मानवता के दुश्मन और न जाने क्या-क्या बताकर उन पर लांछन लगा दिए जाते हैं और समाज तथा राजनीति से बहिस्कृत करने की धमकियां दी जाती हैं।
– गणपत सिंह चौहान, खरगौन (मध्य प्रदेश)