Skip to content
24 August 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • Uncategorized

प्राचीन भारतीय संस्कृति में रचे-बसे हैं भारतीय खेल

admin 1 April 2022
Spread the love

मानव का अतीत व इतिहास जितना पुराना है उतने ही समय से खेल भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग रहे हैं और देखा, समझा और गहराई से चिंतन किया जाये तो यह मानव की सामाजिक अंतःक्रिया का प्राचीनतम रूप है। कोई भी खेल बच्चों का हो या किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति का हो, भिन्न-भिन्न प्रकार के खेल खेले जाते रहे हैं। खेल मानव जाति के संपूर्ण विकास के साथ-साथ शारीरिक, संज्ञानात्मक, संवेदनात्मक और नैतिक विकास में सहायक हैं।

भारत में तो प्राचीन काल से खेले जाने वाले खेल जैसै कबड्डी, शंतरज, खो-खो, कुश्ती, ताश, गिल्ली डंडा, तीरंदाजी, गदा, पिट्ठू, मलखंभ, मल्ल युद्ध, तैराकी, भाला फंेक, धनुर्विद्या, नौका दौड़, सांप-सीढ़ी, पतंगबाजी इत्यादि आज आधुनिक काल में भी कुछ बदलावों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खेले जाने लगे हैं।

भारत की संस्कृति-सभ्यता में जितने भी उपरोक्त प्रकार के या अन्य खेल खेले जाते रहे हैं और जिस प्रकार प्रकृति और सामाजिक ताने-बाने के साथ तीज-त्यौहार, रीति-रिवाज और वैज्ञानिकता से ओत-प्रोत चलन में आये हैं। उसी प्रकार कोई भी भारतीय खेल ऐसा नहीं है जिसका दृष्टिकोण आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, नैतिक और सामाजिक आधार पर सटीक न रहा हो या आज भी न हो।

जिस प्रकार शतरंज के 64 खाने सृष्टि रचयिता की 64 योगिनियों, रिद्धी-सिद्धियों के प्रतीक हैं, यह भी मात्र एक संयोग नहीं अपितु एक सोची-समझी गणना है जिसे केवल भारतीय मनुष्य पहचानते रहे हैं। शतरंज के खेल में तो अपने अधीनस्थ लोगों का किस प्रकार नियमों में रहते हुए योजनाबद्ध तरीके से अपने राज्य को रक्षा, सुरक्षा करते रहने की कला में निपुणता प्राप्त की जाती है, करते रहने से उसका निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए।

सांप-सीढ़ी का खेल जन्म से मृत्यु तक की जीवन यात्रा के बीच आने वाले उतार-चढ़ाव, पाप-पुण्य, कर्म-कर्मफल, भाग्य इत्यादि पर आधारित जीवन को दर्शाते हैं। अन्य खेलों में शारीरिक श्रम के साथ-साथ दिमागी कसरत योजनाबद्ध कार्यशैली, नियमों में पालन, संयमित एवं धैर्यवान जीवन जीने की कला एवं प्रतिस्पर्धा में सफलता प्राप्त करने की ललक इत्यादि को सशक्त करना ही होता है।

इसी प्रकार आज मैं आपके समक्ष ‘ताश’ जो विश्वभर में हर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर या अन्य किसी भी स्तर पर खेला जाता है। उसके खेलने के अलग-अलग नियम, अलग-अलग प्रकार, अलग-अलग रूप में, अलग-अलग नामों से पहचाने जाने वाले खेलों में विश्व की बहुतायत जनसंख्या द्वारा खेला जाता है। इसके विषय में कुछ ज्ञानवर्धक तथ्य आपके समक्ष भिन्न दृष्टिकोण से रखने का प्रयास कर रही हूं।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ताश में 52 पत्ते और दो जोकर होते हैं –
– 4 प्रकार के पत्ते- ईंट, पान, चिड़ी, हुकम- चार ऋतुओं के प्रतीक हैं।
– ताश के 52 पत्ते- वर्ष में 52 सप्ताह का प्रतीक हैं। प्रत्येक रंग के 13 पत्ते प्रत्येक ऋतुओं में 13 सप्ताह के प्रतीक हैं।
– सभी पत्तों की संख्या यानी 1, 2, 3, 4 से 13 तक का जोड़ 364 दिन के बराबर होता है जिसमें एक जोकर को जोड़ा जाता है तो वर्ष के 365 दिन बन जाते हैं और जब हम दूसरा जोकर भी जोड़ देते हैं तो वर्ष में 366 दिन हो जाते हैं जो लीप वर्ष हर चार साल में फरवरी में 29 दिन हो जाता है।
– पत्तों का लाल और काला रंग दिन और रात का प्रतीक होता है।
– 52 पत्तों में गुलाम, रानी और राजा नाम से पहचाने जाने वाले चित्रों सहित 12 ही पत्ते होते हैं जो 12 महीनों का प्रतीक होता है।
इस दृष्टिकोण से देखा जाये तो 1 से 13 तक संख्या के पत्ते अध्यात्म, नैतिकता और ज्ञान के भंडार के रूप में दर्शाये गये हैं जिससे कि खेल के साथ-साथ शिक्षा व ज्ञानवर्धन भी होता रहे।

पत्तों का अर्थ –
– दुक्की- पृथ्वी और आकाश केरूप में।
– तिक्की- ब्रम्हा, विष्णु, महेश- सृष्टिकर्ता के रूप में।
– चैकी- चार वेद- यर्जुवेद, सामवेद, ऋग्वेद, अथर्ववेद – ज्ञान के रूप में।
– पंजी- पंच प्राण- प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान- योग ज्ञान के रूप में।
– छक्की- षड रिपू- काम, मोह, क्रोध, मद, मत्सर, लोभ- मानव में कमजोरी के कारणों के रूप में।
– सत्ती- सात सागर- विश्व रचना के ज्ञान के रूप में।
– अट्ठी- आठ सिद्धी- धार्मिक शक्ति के रूप में।
– नव्वा- नौ ग्रह- ब्रह्मांड रचना के ज्ञान के रूप में।
– दस्सी- दस इंद्रियां- शरीर की रचना के रूप में।
– गुलाम- मानव की कमजोरी के रूप में।
– रानी- माया भ्रम रूपी, ज्ञान के रूप में।
– राजा- सबका शासक- एकाधिकार के रूप में।
– एक्का- मनुष्य का विवेक सबसे सशक्त, सबसे प्रबल मानव के रूप में।

इन सब उपरोक्त बातों का चिंतन करने के बाद हम इस अवधारणा को या निष्कर्ष को नहीं झुठला सकते कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति, खान-पान, रहन-सहन, रीति-रिवाज, ज्ञान वगैरह सब कुछ प्रकृति के अनुरूप है और कोई भी सभ्यता-संस्कृति इसके पास भी नहीं है।

जो सभ्यतायें नजदीक में दिखाई भी देती हैं उन्होंने भी शायद हमारी भारतीय सभ्यता-संस्कृति का अनुसरण और अनुकरण किया है इसलिए भारत में जन्में हर जन को इस पर गर्व होना चाहिए और पाश्चात्य की चकाचैंध से अपने आप को दूर रखना चाहिए।

– सम्पदा जैन

About The Author

admin

See author's posts

1,764

Like this:

Like Loading...

Related

Continue Reading

Previous: क्या सबक सिखाना ही समाधान है?
Next: शक्ति का प्रयोग मानवहित एवं शांति के लिए होना चाहिए…

Related Stories

Snakes research from Puranas
  • Uncategorized

Research on lifestyle of Snakes from Hindu Puranas

admin 22 March 2025
Mahakal Corridor Ujjain
  • Uncategorized

उज्जैन के रुद्र सरोवर का धार्मिक महत्त्व और आधुनिक दुर्दशा

admin 20 March 2025
Teasing to Girl
  • Uncategorized
  • विशेष

दुष्कर्मों का परिणाम और प्रायश्चित

admin 22 November 2024

Trending News

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4 1
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

20 August 2025
Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व brinjal farming and facts in hindi 2
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

17 August 2025
भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan 3
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

11 August 2025
पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें Khushi Mukherjee Social Media star 4
  • कला-संस्कृति
  • मीडिया
  • विशेष
  • सोशल मीडिया

पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें

11 August 2025
दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार BJP Mandal Ar 5
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

2 August 2025

Total Visitor

081033
Total views : 147679

Recent Posts

  • Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व
  • Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व
  • भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम
  • पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें
  • दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved 

%d