वर्तमान परिस्थितियों में देखा जाये तो मिलावटखोरी की वजह से आम जनता का जीवन इतना कठिन हो गया है कि उसकी समझ में यह नहीं आ रहा है कि आखिर जीवन किस प्रकार से जिये? खाने-पीने की चीजों से लेकर जीवन रक्षक दवाइयाँ तक नकली आ रही हैं। कौन सा सामान खाकर व्यक्ति का लीवर एवं किड़नी कब खराब हो जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता है? आये दिन मिलावटखोरी की खबरें देखने एवं सुनने को मिलती रहती हैं। इन मिलावटखोरों के खिलाफ सिस्टम इतना लाचार दिख रहा है कि वह कुछ कर ही नहीं पा रहा है। इस संबंध में मेरा तो मानना है कि ये सारे काम मात्र पैसों के लोभ-लालच में किया जाता है।
मिलावटखोरी के मामले में यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसकी संपत्ति ही जब्त कर लेनी चाहिए क्योंकि जब अपराधी को लगेगा कि जिस संपत्ति के लिए वह सब कुछ कर रहा है, यदि वही नहीं रहेगी तो उसे यह सब करने का क्या लाभ? इस संबंध में यदि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की बात की जाये तो उन्होंने अपराधियों को ठीक करने का जो तरीका निकाला है, वह निहायत ही कारगर है। आज उत्तर प्रदेश में बुलडोजर का नाम सुनकर बड़े से बड़े माफिया की रूह कांप जाती है। कानून व्यवस्था का हवाला देकर कुछ लोग बुलडोजर संस्कृति की भले ही आलोचना करें किंतु सही अर्थों में देखा जाये तो आखिर अपराधियों पर शिकंजा कैसे कसा जाये?
कानून के द्वारा यदि कुछ अपराधियों एवं रसूख वालों को सजा मिल भी जाती है तो उससे काम चलने वाला नहीं है। ये सब घटनाएं तो मात्र उदाहरण देने के लिए ठीक हैं किंतु मिलावटखोरों के मन में इन बातों का कोई भय नहीं है क्योंकि उनको पता है कि कानूनी प्रक्रिया बेहद लंबी होती है, उसका फायदा उठाकर वे अपना काम करते रहेंगे। वास्तव में अपराधियों पर यदि नियंत्रण करना है तो उनमें खौफ पैदा करना होगा। उनमें इतना खौफ पैदा करना होगा कि कोई भी गलत काम करने से पहले उनकी रूह कांप जाये, अन्यथा जैसा चल रहा है, वैसा तो चलता ही रहेगा।
कानून ने ठीक से यदि अपना काम किया होता तो मुख्तार अंसारी एवं अतीक अहमद जैसे माफिया पैदा ही नहीं होते। कोरोना काल में मेडिकल जगत के तमाम लोगों ने जनता को जिस प्रकार लूटा, आखिर उसका हिसाब कौन करेगा? आखिर आम जनता ही खौफ के साये में हमेशा क्यों रहे? अपराधियों में भी तो खौफ होना चाहिए। मिलावटखोरों के प्रति इसी प्रकार के खौफ की जरूरत है। आज नहीं तो कल यह काम करना ही होगा इसलिए यह काम जितनी जल्दी कर लिया जाये उतना ही ठीक होगा।
– जगदम्बा सिंह