उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के द्वारा अपनी तरह की पहली और अनोखी संस्कृति नीति बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ के सामने इसका एक प्रजेंटेशन भी हुआ था और उस समय स्वयं मुख्यमंत्री ने इस दौरान कई बिंदुओं पर इस क्षेत्र के कई जानकारों से सलाह लेकर इस योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के निर्देश दिए थे।
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने प्रदेश में विश्व स्तर पर संस्कृति को बढ़ावा देने और उसकी तथ्यपरक जानकारियों को जुटाने और प्रोत्साहन के लिए तथा इसके विभिन्न स्तररों पर आयामों पर शोध करवाने के लिए कल्चर फंड की योजना बनाने की इच्छा जाहिर की है।
इस फंड के द्वारा प्रदेश के कला, इतिहास और उसके विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक पक्ष और उसके पहलुओं को सामने लाने का लक्ष्य रखा गया है। दरअसल, इस शोध के लिए उत्तर प्रदेश कल्चर रिसर्च फंड बनाए जाने का एक प्रस्ताव है। उत्तर प्रदेश की संस्कृति नीति में इसे प्रमुखता से शामिल किया गया है।
बताया जाता है कि इस कल्चर फंड के अंतर्गत म्यूजियम से लेकर विभिन्न ज्ञान कोषों तक को अजेंडे में रखा गया है। कल्चर फंड की प्रस्तावित नीति के तहत पर्यटन एवं ब्रैंडिंग को ध्यान में रखकर भी विभिन्न धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों को विकसित कर एक नये रूप में दिखाये जाने की योजना है। ऐसा करना न सिर्फ देश-विदेश के पर्यटकों के फायदे का सौदा होगा बल्कि राज्य के लिए आर्थिक आय के तौर पर भी यह अहम होगा।
कल्चर फंड से संबंधित इस योजना के तहत इसमें सांस्कृतिक ज्ञान कोष भी विकसित करने की प्रक्रिया पर काम होगा। इस कार्य के द्वारा जो भी स्थानीय या क्षेत्रीय सांस्कृतिक महत्व की विशेषताएं हैं उन्हें आसानी से दूसरों को साझा किया जा सकेगा।
माना जाता है कि इस फंड के द्वारा जो सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया जायेगा उसके अनुसार प्रदेश की अनेकों लोक कलाओं और लोक संस्कृतियों को फिर से नया जीवन देने का है।
किसी भी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने का सबसे अच्छा माध्यम नई पीढ़ी को माना जाता है। ऐसे में योजना के अनुसार विभिन्न काॅलेजों और विश्वविद्यालयों का इसमें सबसे अहम योगदान रहेगा। इसीलिए इस संस्कृति नीति में काॅलेजों और विश्वविद्यालयों जोड़ने पर खासा जोर है।
प्रदेश के अधिक से अधिक युवाओं को अपनी सांस्कृतिक पहचान से जोड़ने व उसके प्रति समझ विकसित करने के लिए ‘यूपी कल्चर टैलंट सर्च कंपटीशन’ पर भी तैयारी चल रही है।
माना जा रहा है कि इस कल्चर फंड के माध्यम से युवाओं को प्रदेश की कला, इतिहास, धरोहरों व सांस्कृतिक पहचानों से अवगत कराया जाएगा। इसके अतिरिक्त विभिन्न स्थानों और विभिन्न क्षेत्रों की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक पहचान को प्रोत्साहित करने के लिए ‘क्रिएटिव उत्तर प्रदेश’ नाम से भी एक अभियान चलाने की तैयारी हो रही है।
इस अभियान में विशेषकर स्वयंसेवी संस्थाओं, निजी क्षेत्र, कला एवं संस्कृति से जुड़े अलग-अलग उपक्रमों की भी सहायता ली जाएगी। इसके लिए भी प्रदेश के संस्कृति विभाग की योजना ‘आउटरीच अंबेसडर’ तैयार करने की है।
माना जा रहा है कि इस मेगा कल्चर प्राॅजेक्ट के अंतर्गत निजी क्षेत्र की भागीदारी व्यापक स्तर पर रह सकती है। विशेष तौर पर डिजिटल आॅर्ट गैलरी, म्यूजियम और इंटरप्रिटेशन सेंटर जैसे कुछ बड़े कार्य निजी क्षेत्र की सहायता से इसे विकसित किए जाने की संभावना है। संस्कृति के क्षेत्र में काम करने वाले बड़े संस्थानों को इसके लिए आमंत्रित किया जाएगा और उन्हें इसमें निवेश करने पर कुछ राहत या सहायता भी दी जा सकती है।
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