भारत सहित पूरी दुनिया में जिस प्रकार साइबर अपराधों में वृद्धि हुई है, उससे पूरी दुनिया परेशान है। वैश्विक स्तर पर यदि साइबर फ्राड का विश्लेषण किया जाये तो कहा जा सकता है कि 2024 की पहली तिमाही में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 76 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई है। कंबोडिया, म्यांमार, लाओस, चीन, रूस व ईरान साइबर अपराधियों के पनाहगार बनते जा रहे हैं। विश्व आर्थिक मंच (वल्र्ड इकोनामिक फोरम) ने अपनी हाल ही की रिपोर्ट में कहा है कि साइबर फ्राड को पूरी तरह नहीं रोका जा सकता है। इसे रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग की जरूरत महसूस की जा रही है। इस संबंध में भारत यूरोपीय यूनियन के साथ साइबर सहयोग पर संवाद कर रहा है। अलग-अलग देश साइबर अपराध रोकने के लिए कानून बना रहे हैं।
साइबर अपराधियों की सबसे बड़ी चालाकी यह है कि वे साइबर अपराध के तरीके बदलते रहते हैं। भारत में साइबर अपराध से कुछ लोग इतने भयभीत हैं कि वे अब आॅनलाइन खरीददारी से भी घबराने लगे हैं। कुछ लोगों ने तो अंजान यानी अपरिचित फोन काॅल को उठाना ही बंद कर दिया है। तमाम तरह की सावधानियों एवं देशवासियों को जागरूक करने के बावजूद साइबर अपराधी अपने मंसूबों को अंजाम देते ही जा रहे हैं। हालांकि, भारत में सरकार की सख्ती जारी है किंतु अपराधी ‘तू डाल-डाल तो मैं पात-पात’ की नीति का पालन कर रहे हैं। भारत सरकार का इलेक्ट्राॅनिक्स व आईटी मंत्रालय इन दिनों साइबर सुरक्षा को लेकर फ्रेमवर्क तैयार करने में जुटा है। नेटवर्क एवं सिस्टम सिक्यूरिटी, डिजिटल फोरेंसिक, इन क्रिप्शन एवं क्रिप्टोग्राफी, आटोमेशन इन साइबर सिक्यूरिटी, साइबर सिक्यूरिटी आडिट्स एंड इनसिंडेट रिस्पांस जैसे सेक्टर में अनुसंधान करने व प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए प्रस्ताव मंगवाये गये हैं ताकि साइबर सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
भारत की तो बात छोड़िये, तकनीकी रूप से अत्यंत मजबूत अमेरिका में भी पिछले वर्ष साइबर फ्राड से 12.5 अरब डालर की चपत लगी है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सरकार का इलेक्ट्रानिक्स व आईटी मंत्रालय पिछले वर्ष डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) एक्ट लेकर तो आ गया किंतु इसे अमल में नहीं लाया जा सका। डीपीडीपी एक्ट लागू होने पर साइबर फ्राड, विशेष रूप से व्यक्तिगत तौर पर होने वाले फ्राड को रोकने में मदद मिलेगी। इस एक्ट के आने के बाद किसी का व्यक्तिगत डाटा बेचना और दूसरे को देना आसान नहीं रह जायेगा। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार डिजिटल अभियान को बढ़ाने में लगे हुए हैं किंतु साइबर अपराध से भयभीत होने वालों की संख्या में निरंतर वृद्धि भी हो रही है। यह भय यदि इसी प्रकार बढ़ता रहा तो डिजिटल अभियान को झटका लगेगा। कुछ लोग तो इतने भयभीत हैं कि वे आॅनलाइन लेन-देन से भी कतराने लगे हैं।
प्रधानमंत्री जी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा है कि जब भी कोई संदिग्ध काल आये तो सबसे पहले रुको, सोचो और तब एक्शन लो। साइबर अपराध रोकने के लिए तमाम तरह के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों में जागरूकता तो आ रही है किंतु साइबर अपराधी नये-नये तौर-तरीके और भी ढूंड़ लेते हैं। इस संबंध में कुछ साइबर अपराधियों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए जिससे कोई भी अपराध करने से पहले उनकी रूह कांप जाये, तभी साइबर अपराधों पर अंकुश लगेगा अन्यथा यूं ही चलता रहेगा।
– जगदम्बा सिंह