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कैसे होगा स्थानीय समस्याओं का समाधान !

admin 7 February 2024
Queue in Government Hospitals in India
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यूं तो समस्याएं शब्द ही ऐसा है जिसका समाधान होना बेहद जरूरी है। समस्या चाहे छोटी हो या बड़ी, वह परेशान करती रहती है। सोशल मीडिया के दौर में यदि कोई बड़ी समस्या शासन-प्रशासन की नजर में आ जाती है तो उसका समाधान हो जाता है किंतु छोटी समस्याएं अमूमन मीडिया एवं सोशल मीडिया की सुर्खियां नहीं बन पाती हैं। यदि बन भी जाती हैं तो उधर शासन-प्रशासन का ध्यान अकसर जा नहीं पाता है। ये समस्याएं छोटी अवश्य होती हैं किंतु स्थानीय स्तर पर ही लोगों को बहुत दुखी करती हैं। यह भी जरूरी नहीं है कि शासन-प्रशासन में सबकी बराबर की पकड़ हो। उदाहरण के तौर पर यदि किसी के घर में चोरी हो जाये, गाड़ी चुरा ली जाये या अन्य प्रकार की समस्या हो तो उसे बार-बार थानों के चक्कर लगाने पड़ते हैं किंतु उसका काम आसानी से नहीं हो पाता है। बिजली के दफ्तरों में कभी-कभी लोगों को कई-कई चक्कर लगाने पड़ते हैं तब भी लोगों को अपना काम करवा पाने में बहुत परेशानी होती है।

कोई यदि किसी सरकारी अस्पताल में जाता है तो उसे अमूमन लंबी लाइन में इंतजार करना पड़ता है, उसका कारण यह है कि सरकारी अस्पतालों में कार्य का बहुत दबाव रहता है। इन्हीं परिस्थितियों में यदि कोई मशीन खराब हो जाती है तो लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। होना तो यह चाहिए कि खराब हुई मशीन तत्काल ठीक करा दी जाये किंतु अमूमन देखने-सुनने में आता है कि मशीनें कई-कई दिनों तक खराब ही पड़ी रहती रहती हैं। समस्या तो साधारण है किंतु लापरवाही की वजह से इसका समाधान ठीक समय पर नहीं हो पाता है।

कभी-कभी देखने में आता है कि गली-मोहल्लों एवं गांवों में कुछ लड़कों का स्वभाव बहुत बिगड़ा हुआ होता है। इन बिगड़ैल लड़कों की वजह से बच्चियां स्कूल जाने से कतराने लगती हैं, ऐसी खबरें देखने-सुनने को समय-समय पर मिलती रहती हैं किंतु इन बिगड़ैल लड़कों को चाहे तो स्थानीय पुलिस पहली गलती पर ही ठीक कर सकती है किंतु जब ये बिगड़ैल बार-बार गल्तियां करके बचते रहते हैं तो इनका मनोबल बढ़ता ही जाता है जबकि इन्हें शुरुआती दिनों में यदि सबक मिल जाये तो हमेशा के लिए ठीक हो जायेंगे।

कभी-कभी ऐसा भी देखने को मिलता है कि जब कोई अपनी परेशानियों से त्रस्त होकर आत्महत्या कर लेता है तो यही सुनने में आता है कि वक्त रहते यदि शासन-प्रशासन ने कदम उठा लिया होता तो व्यक्ति की जान बच जाती। समय-समय पर इस प्रकार की बातें देखने-सुनने को मिलती रहती हैं। ऐसी परिस्थितियों में यह कहा जा सकता है कि स्थानीय समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर और समय पर होना चाहिए अन्यथा परेशानियां और बढ़ेंगी।

– जगदम्बा सिंह

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