भारतीय टेलीविजन के न्यूज चैनल और पत्रकार अब उन खबरों को नहीं दिखा रहे हैं जिनमें सरकार के काले सत्य छुपे हुए होते हैं। जबकि कई यूट्यूबर पत्रकार उन खबरों को आसानी से समझा देते हैं जिनको टीवी पत्रकार छुपा लेते हैं या फिर सरकार के दबाव के कारण गलत रिपोर्टिंग करते हैं।
अखबार की दुनिया से जुड़ने के दौरान के मेरे कुछ पुराने सहकर्मी और मित्र जो अब कई अलग-अलग टेलीविजन न्यूज चैनल्स आदि में हैं वे स्वयं बता रहे हैं की समस्या कितनी गंभीर होती जा रही है। हर एक को समस्या का पता है लेकिन समाधान कोई नहीं चाहता। जिनके पास इसका समाधान है वे केवल नोट छापने और सरकारी विज्ञापनों के चलते कर्मचारियों का भविष्य दांव पर लगते जा रहे हैं। आज यदि हमारे टेलीविजन न्यूज चैनल्स अपनी सत्यता बनाना चाहे तो सरकार के विरोध में जाना पड़ेगा। लेकिन सरकार के विरोध में जाने का मतलब अब ये है कि सरकार ने भी इनके मालिकों और बड़े ब्रांडेड पत्रकारों की कुछ न कुछ अंदरूनी गलतियों को अपनी ताकत बनाकर इनको ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया है जिसके चलते अब ऐसा संभव नहीं दिखता।
उदाहरण के तौर पर देखें तो वर्तमान में भारत पाक युद्ध के दौरान और फिर युद्ध समाप्ति के बाद ऐसी कई प्रमुख घटनाएं हुई हैं जिनको टीवी चैनल्स ने तोड़ मरोड़ कर अपने दर्शकों को गलत जानकारियां दी हैं। जबकि वही यूट्यूब पर यहीं खबरें किसी और अंदाज में कुछ और ही कह रहीं हैं। ऐसे में जब दर्शक जानना चाहता हैंतो पता चलता है कि टीवी पर तो वो खबर ही नहीं है या फिर उसको गलत तरीके से सरकार के पक्ष में प्रसारित किया जा रहा है।
इसलिए इन चैनल्स को अब कंपनियां महंगे विज्ञापन देना बंद कर चुकी हैं। साथ ही इनके ब्रांड पत्रकार भी अब विश्वास के लायक नहीं रहे। जिसके कारण ये चैनल्स अपने खर्च पूरे नहीं कर पा रहे हैं। मोदी सरकार ने इनको किसी न किसी प्रकार से विशेष लाभ देकर अपना खूब प्रचार करवाया है। इसलिए अधिकतर दर्शक अब उन विज्ञापनरूपी और एजेंडवाडी खबरों से ऊब कर इनको देखना भी बंद कर चुकी है।
खास तौर पर इन चैनलों में शाम को होने वाली “मुर्गा लड़ाई” यानी डिबेट को तो बिल्कुल भी देखना नहीं चाहते। यही कारण है कि कुछ चैनल्स का विलय हो रहा है तो कुछ न्यूज चैनल्स जल्द ही बंद भी होने वाले हैं। भारीभरकम सैलरी पैकेज लेने वाले कई पत्रकार जल्दी जल्दी नौकरियां बदलकर अपना स्थायित्व खोजने की तैयारी कर रहे हैं जबकि कई तो बेरोजगार होकर जल्दी ही यूट्यूब पर भी वही फेक न्यूज और एजेंडा न्यूज देने से बाज नहीं आने वाले हैं।