
एकता सक्सेना || पिछले कुछ दिनों से ख़ुशी मुखर्जी नाम की एक महिला सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। अर्धनग्न लेकिन काला कपड़ा पहनकर वह कुछ लोगों के सामने फोटो और वीडियो का शूट करवा रही है। ख़ुशी मुखर्जी का वीडियो देख कर ऐसा लग रहा है वह एक बहुत बड़ी नायिका है और हर समय उसके घर के आगे ऐसी ही भीड़ लगी रहती होगी। अचानक से हवा चलती है और उसके कपड़े उड़ने लग जाते हैं। किसी तरह उस कपड़े से अपने अर्धनग्न शरीर को फिर से ढकने का प्रयास करती है और कैमरा वाले कुछ लोग वही दृश्य फिल्मा भी रहे हैं, वही दृश्य सोशल मीडिया में आज भी चल रहा है। बाद में इसी ख़ुशी मुखर्जी नाम की इस महिला ने उसी बारे में एक अन्य वीडियो में यह भी बताया है कि मैने अंदर से एक ऐसी चड्डी पहनी हुई थी जो दिख नहीं रही थी। यदि चड्डी दिख नहीं रही थी तो फिर पहनी क्या थी, या फिर हो सकता है कि किसी अति सभ्य व्यक्ति ने चड्डी का भी प्रश्न पूछा होगा कि पहनी थी या नहीं?
जब इस महिला के विषय में मैने गूगल पर सर्च किया तो पाया कि ख़ुशी मुखर्जी एक अभिनेत्री है जो प्रभावशाली व्यक्ति और इंटरनेट सनसनी बनी हुई हैं और अपने बोल्ड फैशन विकल्पों के लिए जानी जाती हैं। लेकिन जब कुछ अन्य ख़बरें देखीं तो पता चला की ये महिला तो इंस्टाग्राम पर फालतू और कुछ इसी तरह के कंटेंट से हर महीने लाखों की कमाई कर रही है।
आश्चर्य है कि सोशल मीडिया में खुशी की ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर उसे करीब 1.2 मिलियन लोग फॉलो भी करते हैं। अब ये फालोवर्स कौन और कैसे होंगे ये बताने की जरुरत नहीं है। सोशल मीडिया के जरिए इन्हीं कंटेंट से ये महिला यानी ख़ुशी मुखर्जी महीने में लाखों रुपए कमा लेती हैं। इसके अलावा इसी प्लेटफार्म के जरिये इसने दो या तीन रियलिटी शो में भी हिस्सा लिया हुआ है। वो रियलिटी शो भी किस तरह के होंगे ये भी सोचने वाली बात नहीं है।
असल में हमारा मीडिया, सोशल मीडिया और कुछ लोग जो किसी विशेष व्यवस्था या विशेष एजेंसियों के द्वारा खरीदे जाते हैं और फिर उनके जरिए इन जैसी महिलाओं का प्रचार सोशल मीडिया में जानबूझकर करवाया जाता है, ताकि जब ऐसी महिलाओं के ग्लैमरस वीडियो, फोटो और ऐसे अजीबोगरीब विचार, इनकी स्वच्छंदता और उसको कवर करने के लिए वहां किराए के पांच सात कैमरा वाले जानबूझकर इसका प्रचार करते दिखें और दूसरे भी इनसे प्रभावित हों। ऐसी महिलाओं के वही फोटो और वीडियो जब मध्य वर्गीय बालक, बालिकाओं, महिलाओं और पुरुषों में सोशल मीडिया के जरिए जाएं तो वे भी इनसे प्रेरित हों और अबोध बालिकाएं और महिलाएं अपने परिवारों में बगावत करके इनका अनुशासन करके खुद भी अपने पथ और ध्येय से भटक कर परिवार और समाज बगावत कर लें, जरूरत पड़ी तो अपना जिस्म भी किसी के आगे परोस दें। मध्यम वर्ग के लड़के या पुरुष भी इनकी चमक-धमक देख कर अपने आसपास के माहौल में कुछ न कुछ अभद्रता करने लग जाय और समाज में किसी भी प्रकार से बदनाम हो जाएं और बर्बाद हो जाएं।
असल में यह एक पश्चिमी षडयंत्र है जो भारतीय समाज और उसमें भी खासकर हिंदू समाज को पिछले कुछ वर्षों में सबसे अधिक टारगेट किया जा रहा है। जानबूझकर इस ख़ुशी मुखर्जी को भी एक #अभिनेत्री, प्रभावशाली व्यक्ति बताया जा रहा है। हालांकि इसके जैसी सैकड़ों ही नहीं हजारों महिलाएं और भी होंगी जो सोशल मीडिया में ऐसा ही अलग-अलग अंदाजों से संस्कृति को भ्रष्ट करने पर तुली हुई मिल जाएंगी। उनका भी कुछ विशेष लोगों और संस्थाओं द्वारा गुप्त रूप से और उसी षड्यंत के तहत प्रचार करवाया जा रहा होगा। सनी लियोनी को भी इसी प्रकार से लाया गया था और उसका खूब प्रचार करवाया गया था। बदले में इनको करोड़ों, अरबों की धनराशि गुप्त तरीकों से देकर उनका भविष्य पहले ही सुरक्षित करवा दिया जाता है।
सही मायने में तो इस प्रकार की अधिकतर महिलाओं में न संस्कार होते हैं, न इनमें व्यक्तित्व की सुंदरता होती है, न इनका शरीर ही पवित्र रह पाता है, और न ही इनकी भाषा और विचारों में सुंदरता होती है। बस थोड़ा सा पैसा फेंको और अपसंस्कृति का प्रचार करवा लो। हालांकि हर एक महिलाओं के लिए ये काम आसान नहीं होता, इसलिए बहुत सोच समझकर इनकी खोज की जाती है, फिर इनको कुछ विशेष प्रलोभन, लालच देकर मानसिक तौर पर, इनका ब्रेनवाश करके इस प्रकार के प्रचार के लिए तैयार किया जाता है। लेकिन इससे पहले ही इनमें से अधिकतर को अपवित्र भी कर दिया जाता है और फिर उनका भी कुछ ऐसा डाटा या रिकॉर्ड तैयार कर लिया जाता है ताकि बाद में वे महिलाएं बगावत भी न कर सकें।
यदि कोई इनका खुलकर विरोध करे तो उनके विरुद्ध कोर्ट, अवमानना, कानून और संविधान, नारीशक्ति का अपमान आदि जैसे शब्दों से भी इनको न केवल तैयार किया जाता है बल्कि इनको खुलकर आर्थिक सहयोग भी किया जाता जाता है। ऐसे में अगर कोई इनका विरोध करें तो उन्हीं को गालियां भी दिलवाओ ताकि वो अपना मुंह बंद कर ले, या डर जाय। इसमें भारत की राजनीतिक पार्टियां, प्रमुख मीडिया, कुछ बड़े #एनजीओ आदि भी सहयोगी होते हैं जो इनके खिलाफ आवाज उठाने वालों पर दबाव बनाकर चलते हैं। ऐसे में यह समझना और जानना बहुत आसान है कि वे कौन हो सकते हैं जो इन महिलाओं की इज्जत को पर्दे में रखने के बजाय पर्दे पर खुलकर दिखाना चाहते हैं और दिखा भी रहे हैं।
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