भारत के कई बड़े महानगरों में चोरी-छिनैती एवं चेन झपटमारी की घटनाएं आम हो गई हैं। किंतु इस प्रकार की घटनाएं यदि सार्वजनिक परिवहन में ज्यादा होनी लगें तो लोगों का डरना स्वाभाविक हो जाता है। किसी भी राष्ट्र, समाज एवं शहर की स्थिति मापने का पैमाना वहां की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था भी होती है। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था जितनी अच्छी होगी, सड़कों पर ट्रैफिक उतना ही कम होगा। जब सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त नहीं होती है तो तमाम लोगों को मजबूरी में निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ता है। समाज में ऐसे बहुत से लोग हैं जो सार्वजनिक परिवहन की सेवा लेना चाहते हैं किंतु जब सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था आम लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाती है तो उसकी वैकल्पिक व्यवस्था लोगों को न चाहते हुए भी करनी पड़ती है।
सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पर्याप्त नहीं होती है तो भीड़ अधिक होने लगती है। सार्वजनिक परिवहन में आवश्यकता से अधिक भीड़ होने पर मोबाइल चोरों की चांदी हो जाती है। बसों के आगे-पीछे गेट पर मोबाइल चोर खड़े हो जाते हैं। भीड़ में जब भी उन्हें मौका मिलता है तो वे अपना काम कर जाते हैं। सार्वजनिक परिवहन की सेवा लेने वालों में अधिकांश लोगों की आर्थिक स्थिति वैसे भी बहुत अच्छी नहीं होती है। ऊपर से यदि मोबाइल चोरी हो जाये तो उनके ऊपर जैसे मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है।
अपने समाज में एक प्राचीन कहावत प्रचलित है कि एक दुखिया का दर्द कोई दुखिया ही समझ सकता है। ऐसे में आवश्यकता इस बात की होती है कि सबसे पहले सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त किये जाने का प्रयास होना चाहिए, जिससे सार्वजनिक वाहनों में आवश्यकता से अधिक भीड़ न हो सके। इसके बाद भी यदि मोबाइल चोरी की घटनाएं बढ़ती हैं तो मोबाइल चोरों की धर-पकड़ कर उनको सजा दी जानी चाहिए।
हाल ही में सोशल मीडिया पर दिल्ली की एक AC बस का CCTV फुटेज भी खुब वायरल हुआ था, जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे एक पाॅकेटमारों का ग्रुप पहले से ही पूरी प्लानिंग के साथ बस में चढ़ता है और एक यात्री को घेर कर अपना शिकार बना लेता है। यह तो मात्र एक उदहारण ही था, जबकि सच तो ये है कि दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश में चोरी के मोबाइल यदि मात्र दस प्रतिशत भी रिकवर कर लिये जायें या मामले को सुलझा लिया जाये तो कोई भी मोबाइल चोर मोबाइल चोरी करने से पहले सौ बार सोचने के लिए विवश होगा, और आसानी से कोई चोरी का मोबाइल खरीदने की हिम्मत भी नहीं करेगा। अतः आवश्यकता इस बात की है कि सार्वजनिक परिवहन में मोबाइल चोरी की घटनाओं को रोकना है तो मोबाइल चोरी की घटनाओं को अधिक से अधिक संख्या में सुझझाना ही होगा अन्यथा यूं ही चलता रहेगा और गरीब आदमी मोबाइल चोरी होने पर तड़पने के लिए विवश होता रहेगा।
– जगदम्बा सिंह