अजय सिंह चौहान || गुजरात के मेहसाणा से 30 किलोमीटर दक्षिण की ओर मोढेरा नाम के गांव में स्थित सूर्य मंदिर (Modhera Sun Temple) के विषय में इतिहास बताता है कि इस मन्दिर का निर्माण सूर्यवंशी राजा भीमदेव प्रथम ने सन 1026 ईसवी में करवाया था। यहां से प्राप्त शिलालेखों से इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि सोलंकी वंश के राजा भीमदेव इस मन्दिर में अपने अराध्य देव भगवान सूर्य की आराधना किया करते थे। मन्दिर के गर्भगृह की दीवार पर लगे एक शिलालेख पर इसके निर्माणकाल की तारीख विक्रम संवत 1083, यानी सन 1025-1026 ईसवी अंकित है।
मोढेरा का यह सूर्य मंदिर (Modhera Sun Temple) भारत के तीन सबसे महत्वपूर्ण सूर्य मंदिरों में से एक है। जिसमें उड़ीसा में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर, कश्मीर का मार्तंड सूर्य मंदिर और मोढेरा का यह सूर्य मंदिर प्रमुख हैं।
कहा जाता है कि इस सूर्य मंदिर के गर्भगृह में भगवान सूर्य की जो प्रतिमा थी वह शुद्ध सोने से बनी हुई एक विशाल मूर्ति थी, जिसमें भगवान सूर्य अपने 7 घोड़ों के रथ पर बैठे थे और उनके सारथि अरुण को रथ चलाते हुए दर्शाया गया था। यह भी कहा जाता है कि सूर्य देव की मूर्ति में कीमती हीरे भी जड़े हुए थे जो सूर्य की किरणों के पड़ते ही रोशन हो जाते थे।
यह सूर्य मन्दिर तीन हिस्सों में बना हुआ है जिसमें सबसे आगे स्थित है- सूर्यकुंड। इस सूर्य कुंड को रामकुंड भी कहा जाता है। आयताकार संरचना वाले इस कुंड के चारों ओर 108 देवताओं के छोटे-बड़े मन्दिर बने हुए हैं।
कुंड का आकार 120 फूट और 176 फूट है। भक्तों को सूर्य देवता की पूजा करने से पहले इस कुंड में औपचारिक स्नान करना आवश्यक था। कुंड के बाद दाईं ओर मुख्य मन्दिर में प्रवेश करने के लिए एक तोरण द्वार बना हुआ था। अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय यह तोरण द्वार टूट गया था और अब उसके खम्भे ही शेष बचे हैं।
यह क्षेत्र विदेशी आक्रमणकारी महमूद गजनवी सहीत अन्य कई आक्रांताओं के आतंक का केन्द्र रहा है। गजनवी ने सोमनाथ और इसके आस-पास के क्षेत्रों को अपने कब्जे में कर के यहां भारी उत्पात मचाया था। कहा जाता है कि महमूद गजनवी के आक्रमण के प्रभाव से इस क्षेत्र में सोलंकियों की शक्ति और वैभव को बहुत बड़ी क्षति पहुंची थी। ऐसी स्थिति में सोलंकी साम्राज्य की राजधानी कही जाने वाली अन्हिलवाड़ का गौरव और वैभव भी कम होता जा रहा था। अपने उस गौरव को बचाने लिए सोलंकी राज परिवार और वहां के धनी वर्ग व व्यापारियों ने एकजुट होकर इस क्षेत्र में भव्य मन्दिरों के निर्माण की शुरूआत की थी।
वर्तमान में इस मन्दिर के संरक्षण की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व विभाग के पास है। समय की मार को सहते हुए भी यह मन्दिर अपनी भव्यता का प्रमाण प्रस्तुत करता है। मन्दिर का प्रांगण बलुआ-पत्थर से निर्मित है।
यह सूर्य मंदिर (Modhera Sun Temple) गुजरात के मेहसाणा से 30 किलोमीटर दक्षिण की ओर मोढेरा नाम के गांव में स्थित है। इस सूर्य मंदिर में गुजरात पर्यटन विभाग की ओर से हर साल जनवरी के तीसरे सप्ताह में यहां तीन दिवसीय मोढेरा डांस फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है।
मोढेरा के आस-पास ही धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से अनेकों स्थान और इमारतें हैं। उनमें से मेहसाणा जिले में शक्ति पीठों में से एक बहुचरा माता मंदिर भी है। इसके अलावा मोधेश्वरी माता मंदिर, भुवनेश्वरी माताजी मंदिर, हनुमान मंदिर और धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से मोढेरा के नजदीक ही एक अन्य शहर है सिद्धपुर। सिद्धपुर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत संरक्षित प्राचीनतम रुद्र महालय मंदिर भी है। यहां जाने के लिए सबसे उत्तम समय सितंबर से माार्च के बीच का है।
रेल द्वारा यहां जाने वाले यात्रियों के लिए निकटतम रेल्वे स्टेशन अहमदाबाद में है जहां से यह मंदिर लगभग 102 किमी की दूरी पर है। हवाई जहाज से जाने वाले यात्रियों के लिए निकटतम एयरपोर्ट अहमदाबाद है।