बंगाल में चुनाव परिणाम के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं पर हो रही हिंसा पर देश का चैकीदार बिलकुल चुप है। शांति का नोबेल पाने का लालच जो है। साहब को अब अपनों की चीखें भी सुनाई नहीं देतीं हैं। वही अपने, जो पिछले छह महीनों से भगवा वस्त्र धारण करके रेलियों, सभाओं, और जुलूसों में जय श्री राम जय श्री राम चिल्ला रहे थे। वही अपने जिन्हें विश्वास था कि चुनावों के बाद रिजल्ट चाहे जो भी रहे, केंद्र की भगवाधारी सरकार हर हाल में उनकी रक्षा करेगी। लेकिन उनका विश्वास अब डोल चुका है।
इतनी मारकाट के बाद भी केंद्रीय गृह मंत्रालय को शायद कुछ नजर ही नहीं आ रहा है। बंगाल के जिन भोले-भाले लोगों को मोदी अमित शाह और उनकी फेंकूँ मंडली पिछले करीब एक साल से हिंदूवाद की घुट्टी पिला-पिला कर उनके जान माल की सुरक्षा की गारंटी देकर बरगला रही थी, वही भगवा मंडली अब दिल्ली आकर मौन हो गई है।
बंगाल के जो लाखों लोग इन झूठे मक्कार भगवाधारियों के चक्कर में आकर जय श्री राम का उदघोष कर रहे थे, अब तृणमूल की जीत के बाद दंगाइयों के निशाने पर हैं। उनके जलते घरों से उठती आग की लपटें पूरे देश और दुनिया में महसूस की जा रहीं हैं, सिवाय दाड़ी वाले बाबा और मोटा भाई के, जो अपने आँख कान के अलावा टीवी भी बंद करके बैठ गया है।
बस बंगाल की ममता सरकार से रिपोर्ट मांगने की नौटंकी कर रहा है, साहब रिपोर्ट मांगने से बेहतर था खुद ही चले गए होते, पिछले एक साल से वहीं घर बनाकर रह रहे थे, कुछ तो शर्म की होती। बंगाल के कत्लेआम पर भगवधारियों की चुप्पी देखकर लगता है कि मोदी अमित शाह का काम केवल सरकार गिरना विधायक खरीदना और चुनाव प्रचार करना है!
कौन मर रहा है कहाँ मर रहा है उसके लिए स्वयं आत्मनिर्भर बनों। अरे ना-मर्दों कुछ तो शर्म कर ली होती, हत्यायें बंगाल में हो रही है और प्रदर्शन दिल्ली में कर रहे हो। भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या होगी और तुम मात्र विरोध प्रदर्शन करोगे? अपने कार्यकर्ताओं की ऐसे ही रक्षा और सुरक्षा करोगे तो आने वाले समय में कोई तुम्हारा नामलेवा भी नहीं बचेगा।
कांग्रेस ने भी हमेशा यही गलती की थी, आज हश्र देख लो, 70 सालों में कांग्रेस खत्म हो गई। हालत यह है कि आज देश की सबसे बड़ी पार्टी कार्यकर्ता विहीन हो चुकी है।
देश के अंदर 2022 में कई महत्वपूर्ण राज्यों के चुनाव है, अगर भाजपा आला कमान का यही रवैया रहा तो पोलिंग बूथ पर MP-MLA को ही बैठना पड़ेगा, कार्यकर्ता तो ठुल्लू ही दिखाएंगे… मलाई चाटें नेता और मारा जाए कार्यकर्ता ऐसा ज्यादा दिन नहीं चलता।
इतिहास गवाह है कि तुमसे अच्छी तो फिर भी कोंग्रेस ही थी। आतंकी इशरत जहाँ और सोहराबुद्दीन के एनकाउंटर से कोंग्रेस इतनी गुस्सा हो गई थी कि गुजरात के गृहमंत्री (मोटा भाई) को जेल में डाल दिया था। इतनी औकात रखती थी कभी केंद्र की कांग्रेस सरकार, कांग्रेस सरकारों ने हमेशा राज्य सरकारों को औकात में रखा था,जिसने भी जुबान खोली सरकार गई, वहाँ रास्ट्रपति शासन लगा दिया जाता था।
कांग्रेस और भाजपा का फर्क देखो.. और फिर तय करो कौन मर्द है और कौन कायर। एक बाबर के ढांचे को तोड़ने के जुर्म में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश की सरकारों को हटाकर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था, लेकिन यहाँ तो बंगाल में सेंकड़ों की हत्या हो रही है, और 56 इंच वाली सरकार कंबल ओढ़कर सो रही है।
साहब शांति का नोबेल पाने की मृगमरीचिका से जितना जल्दी बाहर आ जाएंगे, देश और धर्म दोनों के लिए अच्छा होगा। लगता है एक और गांधी का जन्म हो रहा है देश में लेकिन पहले गांधी की तरह यह गांधी भी मौन है ।
भाजपा के कार्यकर्ता मर रहे हैं, बेटियों का बलात्कार हो रहा है, पार्टी कार्यालय और हिंदुओं के घर जलाए जा रहे हैं, हिन्दू परिवार गांव छोड़ने को मजबूर हैं, लेकिन चिंगारी लगाने वाले भगवाधारी दिल्ली लौट कर आँचल की छाँव में छैयाँ- छैयाँ खेल रहे हैं।
साहब बंगाल में मात्र 6 महीना राष्ट्रपति शासन लगवाइए और किसी शख्त से रिटायर्ड आर्मी मैन को बंगाल का गवर्नर बना दीजिए.. फिर देखिए TMC के गुंडे, रोहंगिया, बांग्लादेशी अपनी जान की भीख मांगते नजर न आएं तो कहना। ये काम बहुत कठिन नही है आप लोगों के लिए ये बहुत छोटा काम है… एक बार आजमा कर जरूर देखिएगा ये फार्मुला।
क्षमा करें मोदी जी इतिहास पढ़ने-पढ़ाने के लिए नहीं होता, सीखने-सिखाने के लिए भी होता है। जिस वजह से महात्मा गांधी को गोडसे से मरवाकर खाकी चड्डी शेखी बघारते रहे हैं, एक दिन कहीं ऐसा ही हश्र तुम्हारा भी ना हो जाए, याद रखिए इतिहास अपने आपको दोहराता है।
– कुमार गजेन्द्र (वरिष्ठ पत्रकार)