अजय सिंह चौहान || मालवा की वैष्णो देवी के नाम से भी पहचाने जाने वाली भादवामाता का एक ऐसा मंदिर है जिसे ‘भादवामाता धाम‘ के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के नीमच शहर से लगभग 18 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। भादवामाता मूल रूप से भील जनजाति की कुल देवी के रूप में भी पूजी जाती है। इसलिए इस मंदिर का पुजारी कोई ब्राह्मण नहीं होता बल्कि यहां पुजारी के तौर पर भील जनजाति का ही कोई व्यक्ति यहां पुजारी के तौर पर पूजा-पाठ का कार्य करता है।
भादवामाता के इस मंदिर की उत्पत्ति और इसके नाम के विषय में लोककथाओं के अनुसार माना जाता है कि यहां के एक भादव नामक भील व्यक्ति को देवी माता ने सपने में दर्शन देकर कहा था कि गांव से कुछ दूर जंगल में मिट्टी के नीचे मेरी मूर्ति दबी हुई है उसे बाहर निकाल कर तुम उसकी स्थापना कर दो, ताकि मैं मानव जाति के कष्टों को मिटा सकूं।
भील ने मां की आज्ञा पाकर उस स्थान की खुदाई शुरू कर दी और जमीन के अन्दर से देवी मां की मूर्ति को निकाल कर पूरे विधि-विधान से वहां स्थापित करवा दिया। इसी कारण इस देवी को आज भादवा मां के रूप में पूजते हैं।
यह भी बताया जाता है कि खुदाई के समय मूर्ति के साथ ही वहां से जलती हुई चमत्कारिक ज्योत भी निकली थी जो तभी से अखण्ड जलती आ रही है। इसके अलावा जिस स्थान की खुदाई करके माता की यह मूर्ति निकाली गई थी वहां एक गहरा गड्डा बन गया था जिसको बाद में बावड़ी का आकार दे दिया गया था। इस बावड़ी की विशेषता यह है कि इसमें नहाने से सभी प्रकार की बीमारियां दूर भाग जाती हैं। इसी कारण माता का यह मंदिर आरोग्य तीर्थ के रुप में प्राचीनकाल से प्रसिद्ध है।
भादवामाता का यह मंदिर अपने आप में बहुत ही चमत्कारिक और दिव्य माना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं का ऐसा विश्वास है कि भादवामाता के आशीर्वाद से लकवा, नेत्रहीनता और कोढ़ ग्रस्त कई रोगियों को लाभ होते देखा और सुना है।
मध्य प्रदेश के नीमच जिले में स्थित भादवामाता के इस मंदिर को विशेष धार्मिक मान्यता प्राप्त है। इसी कारण यह मंदिर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों में विशेष रूप से गिना जाता है।
प्रत्येक रविवार को भादवामाता का विशेष आराधना दिवस माना जाता है। इसलिए रविवार के दिन यहां श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ देखने को मिलती है। मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों एवं मरीजों के लिए संस्थान द्वारा विशेष सात्विक भोजन की व्यवस्था की जाती है जो नाममात्र के शुल्क पर की जाती है। मंदिर की देखरेख और संचालन से संबंधित सभी कार्य भादवामाता मंदिर प्रबंध समिति के माध्यम से किया जाता है।
भादवामाता के मंदिर के आस-पास के अन्य दर्शनीय स्थलों में जोगनिया माता मंदिर, कोटा का जग मंदिर, भीमताल टैंक, ऐतिहासिक महत्व का चित्तौड़गढ़ किला और भगवान विष्णु का नवतोरण मंदिर है। नवतोरण मंदिर यहां का प्रमुख, आकर्षक और ऐतिहासि महत्व का स्थान है, इसमें यहां भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा वराह रूप में स्थापित है।
यह मंदिर चित्तोड़गढ़ से महज 35 किलोमीटर की दूरी पर है। इसके अलावा नीमच से लगभग 25 कि.मी. की दूरी पर सुखानंद महादेव और कृष्णा महल नजदीकी दर्शनीय स्थल हैं।
यह मंदिर मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में नीमच जिले में मनासा रोड पर नीमच शहर से 18 कि.मी. दूर स्थित है। राजस्थान के भीलवाड़ा से इस मंदिर की दूरी लगभग 120 किलोमीटर और उदयपुर से लगभग 135 किलोमीटर है। ट्रेन से जाने वाले यात्रियों के लिए नीमच के लिए ट्रेनों की अच्छी सुविधा है। नीमच रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी 24 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से जाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 59 नीमच को कई पड़ौसी शहरों और राज्यों से जोड़ता है। भादवामाता मंदिर के लिए कई राज्यों के प्रमुख शहरों से यहां के लिए नियमित बसों की व्यवस्था है।