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हरिद्वार के सबसे प्रसिद्ध और दर्शनीय स्थल | Most Famous & Attractive Places of Haridwar

admin 30 November 2021
Haridwar - Most Famous & Attractive Places
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सनातन संस्कृति और धर्म में हरिद्वार नगरी को सबसे पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक माना गया है। लेकिन, फिर भी अगर कोई यह जानना चाहे कि अगर हरिद्वार में कम से कम दो या तीन दिनों तक ठहर कर वहां के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शनों का लाभ लिया जाय तो उसके लिए कौन-कौन से स्थान प्रमुख माने जाते हैं तो उनके लिए यहां हम ऐसे ही महत्वपूर्ण स्थानों की जानकारी देने जा रहे हैं जिनमें से कुछ धार्मिक महत्व के स्थान तो आधुनिक हैं लेकिन, कुछ स्थान ऐसे हैं जो हजारों ही नहीं बल्कि लाखों वर्षों से सनातन संस्कृति और धर्म के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

सबसे पहले तो यह ध्यान रखें कि यदि आप हरिद्वार घुमने-फिरने यानी पर्यटन के लिए या मात्र छुट्टियां बिताने के लिए ही जा रहे हैं तो ऐसे में यहां आपके लिए कोई विशेष लाभदायक या मनोरंजन के लायक माॅल और सिनेमाहाॅल वगैरह तो नहीं मिलेंगे, लेकिन अगर आप धार्मिक यात्रा यानी तीर्थ यात्रा के तौर पर यहां जा रहे हैं तो ऐसे में यहां आपके लिए हर प्रकार का तीर्थ स्थान उपलब्ध है।

हरिद्वार का मुख्य आकर्षण –
सबसे पहले तो आप यह जान लें कि हरिद्वार में सबसे महत्वपूर्ण और आकर्षक है माँ गंगा की आरती का नजारा। गंगा नदी के किनारे बसा संपूर्ण हरिद्वार हर शाम को उस समय आस्था में सराबोर हो उठता है जब यहां संध्या के समय माता गंगा की आरती होती है। प्रत्येक शाम को आयोजित होने वाली गंगा आरती यहां की सबसे महत्वपूर्ण आरती होती है। इस आरती में शामिल होने के लिए देश और विदेश से हर दिन हजारों की संख्या में यात्री उपस्थित होते हैं।

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हरिद्वार पूरी तरह से एक धार्मिक स्थल है इसलिए गंगा आरती के अलावा यहां घुमने-फिरने और धार्मिक यात्रा के महत्व के अनुसार लिए अनेकों आकर्षक और अत्यंत खुबसूरत मंदिर तथा साधु-सन्यासियों तथा महात्माओं के पवित्र आश्रम बने हुए हैं। और ये सभी स्थान शहर में या शहर से पांच या दस किलोमीटर के दायरे से बाहर नहीं हैं इसलिए यहां तक पहुंचे के लिए टेक्सी, आटो या फिर बस की सुविधा आसानी से मिल जाती है।

तो आइये जानते हैं कि हरिद्वार के हजारों धार्मिक स्थलों में से कम से कम 10 ऐसे कौन-कौन से पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के दर्शनीय स्थल हैं जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।

1. हर की पौड़ी – हरिद्वार में भले ही अनगिनत धार्मिक महत्व के स्थान एवं मंदिर हैं लेकिन, जब तक कोई भी श्रद्धालु यहां आकर हर की पौड़ी पर संध्या आरती में शामिल होकर उसका आनंद नहीं ले लेता तब तक उसकी हरिद्वार की यात्रा अधूरी ही रह जाती है। हरिद्वार में गंगा के किनारे पर स्थित हर की पौड़ी एक ऐसा स्थान जो दुनियाभर में सबसे अधिक प्रसिद्ध है। हर शाम गंगा माता की आरती यहीं पर ब्रहमकुंड में की जाती है और इसी जगह पर कुम्भ का भव्य मेला तथा अर्ध कुम्भ का मेला भी आयोजित किया जाता है।

2. विष्णु घाट – हरिद्वार के सबसे प्रसिद्ध धर्म स्थलों की जहां सबसे अधिक दर्शनार्थियों की भीड़ रहती है उनमें से सबसे प्रसिद्ध है विष्णु घाट। मान्यता है कि हरिद्वार के इसी घाट पर भगवान विष्णु ने स्नान किया था तभी से इस घाट का नाम विष्णु घाट पड़ गया। हरिद्वार आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु इस घाट पर जरूर स्नान करते हैं और अपनी यात्रा को मंगलमय बनाते हैं।

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3. मनसा देवी मंदिर – मनसा देवी का मंदिर भी हरिद्वार से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिल्वा पर्वत पर बना हुआ है। यह एक शक्तिपीठ मंदिर है इसलिए यह मंदिर हरिद्वार के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। इसके अलावा यहां यह भी मान्यता है कि इस मंदिर का सम्बन्ध ऋषि कश्यप से भी है। पर्वत की चोटी पर बने इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भी सीढ़ियों के अलावा उड़नखटोला लगा हुआ है।

4. चंडी देवी मंदिर – हरिद्वार के पवित्र और दर्शनीय स्थलों में 52 शक्तिपीठों में से एक देवी काली को समर्पित चंडी देवी का मंदिर है जो हरिद्वार से मात्र 3 किलोमीटर की दुरी पर स्थित नील पर्वत पर स्थापित है। माना जाता है कि इस मंदिर में स्थित माता कि वर्तमान मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा आदि शंकराचार्य जी के द्वारा की गई थी। यह मंदिर नील पर्वत के सबसे ऊपरी भाग पर बना हुआ है इसलिए यहां तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों के अलावा उड़नखटोला की भी सुविधा है।

5. दक्ष महादेव मंदिर – भगवान शिव को समर्पित और पौराणिक महत्व का यह मंदिर हरिद्वार से लगभग 5 किमी की दुरी पर कनखल नामक स्थान पर स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह वही स्थान है जहां पर राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया था और उसी यज्ञ की पवित्र अग्नि में माता सती ने अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उसके बाद भगवान शिव के अनुयायी गण उत्तेजित हो गए और उन्होंने दक्ष को मार डाला था।

6. सप्तऋषि आश्रम – मान्यता है कि किसी समय में इस स्थान पर सप्त ऋषियों ने अपना आश्रम बनाया था और वे इसी स्थान पर एक बैठ कर तप-साधना किया करते थे, इसी कारण इस स्थान पर एक आश्रम की स्थापना की गई थी। इसके अलावा यहां रुद्राक्ष का एक पवित्र वृक्ष भी है जिसके दर्शन करना अति शुभ माना जाता है।

7. शांतिकुंज – हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर स्थित शांतिकुंज एक ऐसा स्थान है जहाँ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा स्थापित विश्व प्रसिद्ध अखिल भारतीय गायत्री परिवार का मुख्यालय है। यह स्थान हरिद्वार के सप्त सरोवर क्षेत्र में ऋषिकेश मार्ग पर स्टेशन से महज 6 किलोमिटर की दूरी पर महर्षि विश्वामित्र की तपःस्थली पर स्थित है। इस स्थान पर यज्ञशाला, गायत्री माता का मन्दिर, देवात्मा हिमालय मन्दिर, हरीतिमा देवालय, अखण्ड दीप, ऋषियों के मन्दिर, अस्पताल एवं चिकित्सा केन्द्र आदि मुख्य स्थापनाएँ हैं। इसके अलावा यहां विज्ञान पर आधारित अनुसन्धान तथा अन्य कई प्रकार के शिविरों का आयोजन तथा संचालन किया जाता है। हरिद्वार में दूर दराज से आने वाले अधिकतर भक्त और श्रद्धालु इस जगह आकर शांति और धर्म और अध्यात्म की बारीकियों के विषय में विस्तार से चर्चा करते हैं एवं जानकारियां जुटाते हैं।

8. पतंजलि योगपीठ – पतंजलि योगपीठ योग और आयुर्वेद की अनुसंधान एवं प्रयोगशाला के तौर पर देश का एक बहुत बड़ा केंद्र माना जाता है। बाबा रामदेव जी द्वारा संचालित इस योगपीठ की स्थापना वर्ष 2006 में की गयी।

9. दूधाधारी महादेव मंदिर – मंदिर हरिद्वार के मंदिरों में सबसे सुंदर मंदिर माना जाता है। इसके अलावा यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए भी जाना जाता है। दुधधारी बर्फानी आश्रम में स्थित इस मंदिर के परिसर के अंदर कई अन्य मंदिर भी बने हुए हैं। दुधाधारी बर्फानी मंदिर को आस्था और चमत्कार के प्रतिक के रूप में माना जाता है इसलिए यहां देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती है।

10. भारत माता मन्दिर – हरिद्वार में स्थित यह मंदिर वैसे तो एक शिव मंदिर है लेकिन, यह मंदिर भारत माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। आठ मंजिलों वाले इस मंदिर का उद्घाटन वर्ष 1983 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया था। इस मंदिर की आठों मंजिलों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। मंदिर की सबसे पहली मंजिल पर भारत माता की मूर्ती स्थापित है। दूसरी मंजिल पर ‘शूर मंदिर’ यानी भारत के शूर वीरों को समर्पित है। खास तौर पर प्रकृति प्रेमी और आध्यात्मिक महत्व के व्यक्तियों के लिए विशेष महत्व रखता है।

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