अजय सिंह चौहान || नन्दीकेश्वरी शक्तिपीठ (Nandikeshwari Shakti Peeth) को प्रसिद्ध और पवित्र 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यह शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल राज्य में वीरभूम जिले के सैंथिया रेलवे स्टेशन के पास नन्दीपुर में स्थित है। शक्तिपीठ की इस दिव्य प्रतिमा के पास ही में एक विशाल वटवृक्ष है जिसके नीचे स्थित है यह मंदिर और यही स्थान शक्ति पीठ मंदिर कहलाता है।
इस शक्तिपीठ में माता नंदिनी देवी (Nandikeshwari Shakti Peeth) की दिव्य प्रतिमा एक कछुए के आकार में नजर आतीं हैं जो सिंदूर से लिपटी हुई बड़ी चट्टान के रूप में मौजूद हैं। माता की इस प्रतिमा के मस्तिष्क पर चांदी का मुकुट पहनाया गया है।
हमारे विभिन्न धर्मग्रंथों में शक्तिपीठों को लेकर जो मान्यता है उसके अनुसार जहाँ-जहाँ भी देवी सती के शव के अंग या आभूषण गिरे थे उन सभी स्थानों पर शक्तिपीठों की स्थापना हो गई और उनकी रक्षा करने के लिए भगवान शिव स्वयं आज भी अपने भैरव रूप में वहां विराजते हैं।
नन्दीपुर के इस शक्तिपीठ (Nandikeshwari Shakti Peeth) के बारे में मान्यता है कि यहां देवी सती के गले के हार का एक भाग गिरा था। माता सती को यहां नंदिनी के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर परिसर में मौजूद भैरव मंदिर में भगवान भैरवनाथ को नंदिकेश्वर के रूप में जाना जाता है।
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यह पीठ देवी दुर्गा को समर्पित। यहां का संपूर्ण क्षेत्र नन्दीकेश्वरी माता ( Nandipur Shakti Peeth) के इस मंदिर के नाम से ही जाना जाता है। कई लोगों का मानना है कि यह मंदिर शक्तिपीठ की बजाय सिद्धपीठ मंदिर है।
नंदिकेश्वरी देवी (Nandikeshwari Shakti Peeth) के नाम के विषय में माना जाता है कि इसमें नंदी शब्द भगवान शिव के बैल नंदी से और ईश्वरी शब्द देवी मां के लिए प्रयोग किया जाने वाला ईश्वरी शब्द से है।
नन्दीकेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर (Nandipur Shakti Peeth) में वैसे तो सभी प्रकार के त्यौहारों की धूम रहती है, लेकिन इसमें विशेष कर दुर्गा पूजा और नवरात्र के त्यौहार की रौनक देखने लायक होती है। इन त्यौहारों के दौरान मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है। इसके अलावा कुछ विशेष त्यौहार जैसे अमावस्या, वैसाख पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा आदि के अवसरों पर यहां विशेष अनुष्ठान और काली पूजा आयोजित की जाती है।
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नन्दीकेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर (Nandikeshwari Shakti Peeth) पश्चिमी बंगाल के बीरभूम जिले में बोलपुर नामक शहर से 33 कि.मी. दूर नन्दीपुर गांव में है जो वर्तमान में सैंथिया शहर का हिस्सा है। सैंथिया शहर मयूरक्षी नदी के तट पर स्थित है। कलकत्ता से इसकी दूरी लगभग 220 किलोमीटर है और हावड़ा से 145 किलोमीटर दूर है।
नंदिकेश्वरी देवी (Nandikeshwari Shakti Peeth) का यह मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। सन 1320 में बनाए गए ईस मंदिर के प्रांगण में अन्य कई देवी-देवताओं के भी मंदिर हैं जिनमें दस-अवतार भगवान विष्णु, हनुमानजी, राम-सीता, नवदुर्गा, भगवान शिव और कई अन्य मंदिर भी हैं।
यहां आने वाल श्रद्धालु अपनी इच्छा के रूप में मंदिर के विशाल और पवित्र पेड़ पर धागा बंाधते हैं। इसके मुख्य मंदिर की दीवारें आकर्षक नक्काशीदार हैं। यहां आप किसी भी मौसम में जा सकते हैं।
अगर आप लोग भी पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के स्थानों में दिलचस्पी रखते हैं तो कम से कम एक बार तो ऐसे स्थानों पर जरूर जाना चाहिए और जानना चाहिए कि जिन धार्मिक और ऐतिहासिक स्थानों पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है उनकी क्या-क्या मान्यताएं और खासियतें हैं और हम उनके बारे में कितना जानते हैं?