यति जब तक डासना में थे योगी सरकार के संरक्षण में थे, उनको कोई गिरफ्तार नहीं कर पाया। यति पर खतरे को देखते हुए योगी सरकार ने न केवल उनको सुरक्षा मुहैया कराई, बल्कि उन्हें जूना अखाड़ा से जोड़ कर उन्हें अखाड़ों का संरक्षण भी प्रदान किया गया।
योगी जानते थे कि यति नरसिंम्हानंद आज जिस भय से हिंदू समाज को सावधान कर रहे हैं और वसीम रिजवी जैसों को घर वापसी करा रहे हैं, वो समय की मांग है। यति हिंदुओं में सो चुके शत्रु-बोध को जगा रहे हैं।
लेकिन हरिद्वार में जितेंद्र नारायण त्यागी (पूर्व नाम वसीम रिजवी) और यति नरसिंम्हानंद का यह सुरक्षा कवच टूट गया। वहां भी हिंदुओं को केवल वोट बैंक बनाकर रखने लेने वाली भाजपा की ही सरकार है।
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वहां अभी-अभी कृपापात्र मुख्यमंत्री बने धामी की पुलिस ने चार महीने पुराने मामले (यति ने महिलाओं के विरुद्ध अभद्र टिप्पणी की) की आड़ लेकर उनको गिरफ्तार कर लिया। जबकि यति उस प्राईवेट कन्वर्सेशन के लिए बार-बार महिलाओं से माफी भी मांग चुके हैं।
इससे पहले जितेंद्र त्यागी को धामी की पुलिस ने गिरफ्तार किया। कुछ माह पूर्व मुख्यमंत्री बने धामी पर आखिर किसका दबाव है?
सवाल उठता है कि यति और जितेंद्र को गिरफ्तार करने से यदि हिंदुओं के वोट पर थोड़ा भी विपरीत असर पड़ा तो फायदा किसका होगा? कौन है जो लगातार हिंदू आवाज को दबा कर प्रचंड हिंदू आवाज बन रहे योगी महाराज की सीटों को कम करने की पर्दे के पीछे से साजिश रच रहा है।
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उप्र चुनाव के समय संघ से सरकार तक जैसा मुस्लिम तुष्टीकरण को लेकर बयान दिया जा रहा है, जो नीतियां अखबार में छपवाई जा रही है और अदालत में अल्पसंख्यक आयोग, समान नागरिक संहिता आदि को लेकर जो जवाब दाखिल किया जा रहा है, वह एक पैटर्न दिखा रहा है, जिसमें हिंदुओं को नाराज करने का भाव है।
अभी-अभी मुख्यमंत्री बने धामी आखिर किसके इशारे पर इतने महत्वपूर्ण चुनाव के समय हिंदुओं को नाराज करने का जोखिम भरा खेल खेल रहा है?
मुझे भी नोएडा पुलिस ने ही स्वतः संज्ञान लेकर नोटिस भेजा है। यह क्या सिर्फ संयोग है? इसी तरह शाहीन बाग, किसान आंदोलन, लाल किले से झंडा फेंकने वालों, प्रधानमंत्री को 20 मिनट तक बंधक बनाने वाले अराजक तत्वों पर कोई कार्रवाई नहीं, और अश्विनी उपाध्याय, कलीचरण, यति नरसिंम्हानंद, जितेंद्र त्यागी, अजित भारती और अब मुझ पर कार्रवाई आपको संयोग लग सकता है, मुझे नहीं।
आखिर कौन है जो हिंदुओं पर लगातार प्रहार कर योगी के 300+ के मार्ग में बाधा उत्पन्न करना चाहता है? योगीजी का 300+ सीट से जीतना बेहद जरूरी है। अन्यथा हम तुष्टीकरणवादी नेताओं से कभी मुक्त नहीं हो पाएंगे।
योगी और हिमंता में तुष्टीकरण के विरुद्ध जाने की प्रबल इच्छा दिख रही है। योगी को प्रचंड बहुमत से जिता कर ही आप ‘उनकी’ साजिशों को नाकाम कर सकते हैं!
-संदीप देव