हिमालय की वादियों में बसा भूटान दुनिया का सबसे खुश देश है। खुशियों का कोई पैमाना तो नहीं होता मगर जहां कोई भागमभाग नहीं हो, हर कोई सुख से रह रहा हो तो उसे खुश देश तो कहा ही जा सकता है। वैसे भी ग्राॅस नेशनल हैप्पीनेस यानी सकल राष्ट्रीय खुशी के पैमाने पर दुनिया के सभी मुल्कों को आंका गया तो भूटान उसमें अव्वल आया।
ट्रैकिंग का रोमांच –
आप रात को चाहें तो पारो में ठहर सकते हैं, वैसे यह निर्भर करता है कि आपकी फ्लाइट कब पहुंचती है। पारो एयरपोर्ट पर जब प्लेन पारो घाटी से गुजरते हुए लैंडिंग और टेकआफ करता है, तो एक अनोखा अनुभव होता है। ताक्त्शांग में टाइगर नेस्ट मोनेस्ट्री जाकर ट्रैकिंग करने का एक अलग ही रोमांच है। तीन घंटे ऊपर और दो घंटे नीचे ट्रैकिंग करने में पसीने छूट जाएंगे। बौद्ध का एक पावन स्थल माना जाता है टाईगर नेस्ट मोनेस्ट्री।
आप अमान रिसाॅर्ट में भी ठहर सकते हैं लेकिन यह थोड़ा महंगा है। पारो में जोंग और किचू मोनेस्टरी दर्शनीय स्थल हैं। ट्रैकिंग के बाद आप स्टोन बाथ का आनंद भी ले सकते हैं। इसे खास भूटानीज स्टोन बाथ कहा जाता है। झुलसे हुए पत्थरों से निकले हए मिनरल काफी रिलैक्स करते हैं।
थिम्पू की घाटियों का सौंदर्य –
पारो से एक घंटे की ड्राइविंग के बाद थिम्पू पहुंच जाएंगे। थिम्पू यानी भूटान की राजधानी। यहां के धार्मिक स्थल आकर्षक हैं। थिम्पू की घाटियों से गुजरते हुए जो पहाड़ी और घाटी का विस्तार फलक दूर से नजर आता है वह निश्चित ही आपको रोमांस का अहसास कराएगा। इन घाटियों से गुजरते हूए जब आपकी नजर बुद्ध की आदमकद विशाल प्रतिमा पर पड़ेगी तो आपकी सांस अटक जाएगी।
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इमा दात्शी का स्वाद चखें –
यहां के होटलों में आप भारतीय व्यंजन का स्वाद चख सकते हैं, शाकाहारी हैं तो भी कोई समस्या नहीं है। ड्रुक होटल में लजीज भारतीय व्यंजन परोसे जाते हैं। लेकिन भारतीय व्यंजन से इतर अगर आप खाने के शौकीन हैं तो यहां भूटान का राष्ट्रीय डिश इमा दात्शी का स्वाद जरूर लें। शिमला मिर्च, हरी मिर्च, पनीर, चीज और चावल के साथ पका कर तैयार किया जाता है इमा दात्शी।
व्हाइट वाटर राफ्टिंग –
ट्रैकिंग का मजा लेना हो तो टैंगो और चारी जाएं, जहां एक से दो घंटे ऊपर की चढ़ाई और उतना ही समय नीचे आने में लगता है। थिम्पू से ढाई घंटा दूर है पुनाखा, जो भूटान की शीतकालीन राजधानी है। यह व्हाइट वाटर राफ्टिंग के लिए मशहूर है। दोचुला और उसके आगे पुनाखा जाने के लिए परमिट की जरूरत होती है, तो भूटान आते ही परमिट के लिए अप्लाई कर दीजिए। यहां से चार घंटे दूर है गैंगटे, फोबजिका वैली में, जहां ट्रैकिंग का खास मजा ले सकते हैं। गैंगटे में पाई जाती हैं ब्लैक नेक क्रेन जो एक दुर्लभ चिड़िया है।
कैसे पहुंचें भूटान –
आप दिल्ली, कोलकाता या मुंबई से सीधी फ्लाइट ले सकते हैं। दिल्ली से पारो का सफर एक घंटे 45 मिनट का है। ड्रूक एयर और ताशी एयर की सीधी फ्लाइट भूटान के लिए है। आप सड़क मार्ग से भी भूटान जा सकते हैं, मगर पहाड़ी रास्तों पर इतना लंबा सफर आपको थका सकता है। भारतीयों के लिए भूटान में वीजा की जरूरत नहीं है, बस एयरपोर्ट पर आपके पासपोर्ट पर मोहर लगा दी जाती है।
– श्रुति