Skip to content
30 June 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • षड़यंत्र

समाजवाद का सिद्धांत और भारत का उदाहरण

admin 11 March 2022
Spread the love

 

अर्थशास्त्र के एक प्रोफेसर ने बताया कि उसने पहले कभी किसी छात्र को फेल नहीं किया था, पर हाल ही में उसने एक पूरी की पूरी क्लास को फेल कर दिया। कारण यह था कि उस क्लास ने दृढ़तापूर्वक यह कहा था कि “समाजवाद सफल होगा, न कोई गरीब होगा और न कोई धनी होगा”। उन सभी का दृढ़ विश्वास था कि यह सबको समान करने वाला एक महान सिद्धांत है।

तब प्रोफेसर ने कहा– “अच्छा ठीक है ! आओ हम क्लास में समाजवाद के अनुरूप एक प्रयोग करते हैं- सफलता पाने वाले सभी छात्रों के विभिन्न ग्रेड (अंकों) का औसत निकाला जाएगा और सबको वही एक काॅमन ग्रेड दिया जायेगा।”

पहली परीक्षा के बाद…..
सभी ग्रेडों का औसत निकाला गया और प्रत्येक छात्र को B ग्रेड प्राप्त हुआ। जिन छात्रों ने कठिन परिश्रम किया था वे परेशान हो गए और जिन्होंने कम पढ़ाई की थी वे खुश हुए।

दूसरी परीक्षा के लिए कम पढ़ने वाले छात्रों ने पहले से भी और कम पढ़ाई की और जिहोंने कठिन परिश्रम किया था, उन्होंने यह तय किया कि वे भी मुफ़्त का ग्रेड प्राप्त करेंगे और उन्होंने भी कम पढ़ाई की ।

दूसरी परीक्षा में सभी का काॅमन ग्रेड D आया।
इससे कोई खुश नहीं था और सब एक-दूसरे को कोसने लगे।

जब तीसरी परीक्षा हुई तो काॅमन ग्रेड F हो गया।

जैसे-जैसे परीक्षाएँ आगे बढ़ने लगीं, स्कोर कभी ऊपर नहीं उठा, बल्कि और भी नीचे गिरता रहा। आपसी कलह, आरोप-प्रत्यारोप, गाली-गलौज और एक-दूसरे से नाराजगी के परिणाम स्वरूप कोई भी नहीं पढ़ता था, क्योंकि कोई भी छात्र अपने परिश्रम से दूसरे को लाभ नहीं पहुंचाना चाहता था।

अंत में सभी आश्चर्यजनक रूप से फेल हो गए और प्रोफेसर ने उन्हें बताया कि – “इसी तरह समाजवाद की नियति भी अंततोगत्वा फेल होने की ही है, क्योंकि इनाम जब बहुत बड़ा होता है तो सफल होने के लिए किया जाने वाला उद्यम भी बहुत बड़ा करना होता है।
परन्तु जब सरकारें मेहनत के सारे लाभ मेहनत करने वालों से छीन कर वंचितों और निकम्मों में बाँट देगी, तो कोई भी न तो मेहनत करना चाहेगा और न ही सफल होने की कोशिश करेगा l”

उन्होंने यह भी समझाया कि – “इससे निम्नलिखित पाँच सिद्धांत भी निष्कर्षित व प्रतिपादित होते हैं।”
1. यदि आप राष्ट्र को समृद्ध और समाज को को सक्षम बनाना चाहते हैं, तो किसी भी व्यक्ति को उसकी समृद्धि से बेदखल करके गरीब को समृद्ध बनाने का क़ानून नहीं बना सकते।

2. जो व्यक्ति बिना कार्य किए कुछ प्राप्त करता है, तो वह अवश्य ही अधिक परिश्रम करने वाले किसी अन्य व्यक्ति के इनाम को छीन कर उसे दिया जाता है।

3. सरकार तब तक किसी को कोई वस्तु नहीं दे सकती जब तक वह उस वस्तु को किसी अन्य से छीन न ले।

4. आप सम्पदा को बाँट कर उसकी वृद्धि नहीं कर सकते।

5. जब किसी राष्ट्र की आधी आबादी यह समझ लेती है कि उसे कोई काम नहीं करना है, क्योंकि बाकी आधी आबादी उसकी देख-भाल जो कर रही है, और बाकी आधी आबादी यह सोच कर ज्यादा अच्छा कार्य नहीं कर रही कि उसके कर्म का फल किसी दूसरे को मिलना है, तो वहीं से उस राष्ट्र के पतन और अंततोगत्वा अंत की शुरुआत हो जाती है।

समाजवाद के उसी सिद्धांत में आज भारत की लगभग आधी आबादी कोई काम नहीं करना चाह रही है और बाकी आधी आबादी यही सोच रही है कि आखिर कब तक ऐसा ही चलता रहेगा ?

About The Author

admin

See author's posts

2,390

Related

Continue Reading

Previous: Defense of Dharma i.e. “Dharma Rakshati Rakshitah”
Next: Theory of Socialism and Example of India

Related Stories

Natural Calamities
  • विशेष
  • षड़यंत्र

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

admin 28 May 2025
  • विशेष
  • षड़यंत्र

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

admin 27 May 2025
Teasing to Girl
  • विशेष
  • षड़यंत्र

आसान है इस षडयंत्र को समझना

admin 27 May 2025

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

078221
Total views : 142658

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved