नेपाल (Nepal News) सरकार के पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री प्रेम अले ने नेपाल को एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग का समर्थन करते हुए सारी दुनिया के उन हिंदुओं को चैंका दिया है जो खासतौर से भारत के लिए हिंदू राष्ट्र की मांग करते आ रहे हैं। श्री प्रेम अले ने यह घोषणा 31 मार्च 2022 को राजधानी काठमांडू में कार्यक्रम के दौरान की है।
श्री प्रेम अले ने कहा कि अगर हमारे देश की अधिकतर आबादी हिंदू राष्ट्र (Hindu Nation Nepal News) के पक्ष में है तो इसे जनमत संग्रह के माध्यम से बड़ी आसानी से किया जा सकता है। पर्यटन और संस्कृति मंत्री प्रेम अले ने वल्र्ड हिंदू फेडरेशन की दो दिवसीय कार्यकारिणी परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए न सिर्फ अपने मन की बात कही बल्कि नेपाल की आम जनता और हिंदूत्व की आवाज को भी उजागर कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग पर विचार किया जा सकता है तो मैं स्वयं इसमें ‘एक रचनात्मक भूमिका निभाऊंगा।’
काठमांडू में वल्र्ड हिंदू फेडरेशन द्वारा उठाई गई मांग का जवाब देते हुए उन्होंने आगे कहा कि ‘चूंकि पांच दलों के गठबंधन वाली वर्तमान सरकार को संसद में दो तिहाई बहुमत प्राप्त है, इसलिए नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग को जनमत संग्रह में रखा जा सकता है।’
वल्र्ड हिंदू फेडरेशन (World Hindu Federation) की कार्यकारिणी परिषद की बैठक में नेपाल, भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन सहित 12 देशों के लगभग 150 से भी अधिक हिंदू प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री प्रेम अले ने एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि, ‘हमारे वर्तमान संविधान ने देश को किसी षड्यंत्र के तहत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया था, जबकि इसकी बहुसंख्यक आबादी हिंदू राष्ट्र के पक्ष में ही थी, तो फिर इसको जनमत संग्रह के माध्यम से एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित क्यों नहीं किया जा सकता है?’
यहां यह भी जान लेना चाहिए कि, श्री प्रेम अले ने ही नहीं बल्कि नेपाल के अन्य मंत्रियों ने भी इस विषय पर कई बार गंभीरता से विचार किया है और आशंका जाहिर की है कि यदि जल्द ही नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं किया गया तो हो सकता है कि यहां भी भारत के वर्तमान हालातों की तरह ही अगले 15 से 20 वर्षों के बाद हालत काबू से बाहर चले जायें और हम भी एक इस्लामी देश के नागरिक बन कर रह जायें या फिर मारे जायें। क्योंकि भारत के वर्तमान हालात बता रहे हैं कि वहां अगले 15 से 20 वर्षों में एक बहुत बड़ा धार्मिक उलटफेर होने वाला है जो किसी भी सरकार के बस में नहीं आने वाला है, जबकि भारत के आम आदमी को इसकी भनक तक नहीं है।
दरअसल, वर्ष 2006 में एक विदेशी षड्यंत्रकारी जन आंदोलन के माध्यम से नेपाल की राजशाही को खत्म किए जाने के बाद वर्ष 2008 में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया था, जबकि यहां की बहुसंख्यक हिंदू आबादी इसको एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करने के विरोध में थी।
इस कार्यक्रम के दौरान वल्र्ड हिंदू फेडरेशन इंटरनेशनल (World Hindu Federation) के अध्यक्ष श्री अजय सिंह ने मांग की है कि नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि यहां आबादी का एक बड़ा हिस्सा हिंदू है।
नेपाल सरकार के पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री प्रेम अले ने कहा कि ‘अगर इस दुनिया में कुछ देशों को इस्लामिक राष्ट्र और ईसाई राष्ट्र घोषित किया जा सकता है और उनमें लोकतांत्रिक व्यवस्था भी कायम चल रही है तो फिर नेपाल को हिंदू लोकतांत्रिक राष्ट्र घोषित क्यों नहीं किया जा सकता। इसमें किसको आपत्ति हो सकती है?’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-माओइस्ट सेंटर, सीपीएन-यूएमएल और मधेसी दलों से नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के लिए आगे आने का आह्वान करता हूं।’
काठमांडू में वल्र्ड हिंदू फेडरेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में अन्य प्रवक्ताओं ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये जिनमें से अधिकतर ने भारत को भी हिंदू राष्ट्र घोषित किये जाने की मांग की है। इस कार्यक्रम में जहां एक ओर योगी आदित्यनाथ और हेमंत विश्व शर्मा की चर्चा हुई वहीं मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र और कर्नाटक राज्य के सीटी रवि सहित अन्य उभरते हुए कट्टर हिंदुत्ववादी चेहरों को भी सराहा गया।
जहां एक ओर नेपाल की आम जनता यह तय कर चुकी है कि उनका देश जल्द ही एक हिंदू राष्ट्र बनने जा रहा है वहीं उनको इस बात की भी आशंका है कि भारत के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं दिख रहा है क्योंकि वर्तमान भाजपा सरकार भी एक सेक्युलरवादी सरकार ही है जो कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के समान ही हिंदुओं का तुष्टिकरण कर रही है और उन्हें मुर्ख बना रही है।
नेपाल की आम जनता यह जानती है कि भारत की वर्तमान केन्द्र सरकार में संघ की बड़ी भूमिका है। क्योंकि, भारत की हिदू आबादी का एक बड़ा हिस्सा संघ पर हिंदुत्ववादी होने का विश्वास करता है, और यही उनका सबसे बड़ा भ्रम भी है, क्योंकि संघ का विचार है कि हिंदुत्व तब तक अधूरा है जब तक कि इसमें इस्लाम का साथ नहीं मिलता। जबकि सच तो ये है कि हिंदूत्व और इस्लाम कभी भी एक साथ नहीं रह सकता। ऐसे में संभ्व है कि भारत से बहुत जल्द हिंदूत्व का मिट जाना तय लग रहा है।
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