Skip to content
24 June 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • पर्यावरण
  • विज्ञान-तकनीकी

फिर से जिंदा हो चुका है 46 हज़ार साल पुराना एक कीड़ा

admin 1 August 2023
Bacteria Research in Glaciers_2

रूस के पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित याकुटिया माइनस 50 से 55 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान के कारण बर्फ में लगभग पूरी तरह से सुरक्षित और संरक्षित दबी पड़ी हैं।

Spread the love

अशोक चौहान || रूस के वैज्ञानिकों ने करीब 46,000 साल पहले लुप्त हो चुके एक कीड़े को फिर से जीवित कर दिया है। यह कीड़ा पृथ्वी पर उस समय हुआ करता था जब बड़े-बड़े बालों और बड़े-बड़े दांतों वाले मैमथ यानी हाथी और बाघ जैसे विशाल जानवरों का राज हुआ करता था। एमेरिटस टेयमुरास कुर्जचालिया जो कि मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ माॅलिक्यूलर सेल बायोलाॅजी एंड जेनेटिक्स में प्रोफेसर हैं का कहना है कि साइबेरियाई पर्माफ्राॅस्ट में यह राउंडवर्म सतह से करीब 40 मीटर नीचे सुप्तावस्था में जीवित था।

वैज्ञानिकों का कहना है कि क्रिप्टोबायोटिक अवस्था में पानी या ऑक्सीजन की पूर्ण अनुपस्थिति में भी ऐसे जीव रह सकते हैं। इसके अलावा अत्यधिक नमकीन परिस्थितियों में या फिर बेहद ठंडे तापमान में भी ऐसे कीड़े जीवित रह सकते हैं। प्रोफेसर कुर्जचालिया के अनुसार, यह मृत्यु और जीवन के बीच की स्थिति कही जाती है, ऐसी स्थिति में मेटाबोलिक एक्टिविटी इस हद तक कम हो जाती है कि उसका पता लगाना ही बेहद मुश्किल हो जाता है।

प्रोफेसर कुर्जचालिया ने कहा कि इसे एक प्रमुख खोज माना जा सकता है। क्योंकि कोई भी जीव इस स्थिति में अपना जीवन रोक सकता है और फिर उसे शुरू भी कर सकता है। हालांकि, इसकी प्रजाति क्या है यह अभी अज्ञात ही है। जिस हिसाब से यह जिंदा रहा उसे बायोलाॅजीकल विज्ञान में क्रिप्टोबायोसिस के रूप में जाना जाता है।

प्राचीन गुफा में मिलीं रहस्यमय चीजें, मृत लोगों से की जाती थी बातें!

प्रोफेसर कुर्जचालिया ने कहा कि इससे पहले जो जीव इस तरह की स्थिति में मिले हैं वे हजारों वर्ष पुराने होने की जगह कुछ सैकड़ों साल पहले के ही थे। इससे पहले भी रूस के मृदा या मिट्टी विज्ञान में भौतिक रासायनिक और जैविक समस्या संस्थान के वैज्ञानिकों ने पांच साल पहले साइबेरियाई के पर्माफ्राॅस्ट में दो राउंडवर्म प्रजातियों का पता लगाया था। शोधकर्ताओं ने कहा कि फिलहाल हमने सिर्फ दो ही कीड़ों को केवल पानी से रिहाइड्रेट करके वापस जिंदा किया है जबकि, इसके आगे के विश्लेषणों के लिए 100 कीड़ों को जर्मनी ले जाया गया है।

आखिर क्यों जिंदा होने लगे हैं लाखों वर्षों से दबे प्राचीन रोगाणु?

दरअसल, वैज्ञानिकों ने इन कीड़ों को निकालने के बाद इनके समय का पता लगाने के लिए पर्माफ्राॅस्ट में मौजूद पौधों की सामग्री का रेडियोकार्बन विश्लेषण किया, जिससे पता चला कि यह कीड़ा लगभग 46,000 साल पहले पृथ्वी पर बहुतायत में हुआ करता होगा। हालांकि, वैज्ञानिकों को इस बात का पता नहीं चल पाया था कि यह कीड़ा किसी ज्ञात प्रजाति है या नहीं। लेकिन, ड्रेसडेन और कोलोन में वैज्ञानिकों ने इस पर जब आनुवंशिक विश्लेषण किया तो पता चला कि यह एक नई प्रजाति है। जिसके बाद शोधकर्ताओं ने इसे ‘पैनाग्रोलाईमस कोलीमेनिस’ नाम दिया।

About The Author

admin

See author's posts

876

Related

Continue Reading

Previous: क्या भारत में जल्द ही लौटने वाला है राजतन्त्र?
Next: एक दुर्लभ पुस्तक है “इंद्रविजय”

Related Stories

Godavan- Great Indian Bustard Bird in danger
  • पर्यावरण
  • विशेष

लुप्त होते गोडावण पक्षी का कल, आज और कल

admin 21 March 2025
Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Ji on bjp headquarter
  • पर्यावरण
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

सवा सौ करोड़ हिन्दुओं का भ्रम टूटा

admin 17 March 2025
Snakes research from Puranas
  • पर्यावरण
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विशेष

सर्पों में भी होती है वर्णव्यवस्था | Research on Snakes

admin 16 March 2025

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

078150
Total views : 142458

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved