Skip to content
30 July 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • धर्मस्थल
  • श्रद्धा-भक्ति

श्री मेहंदीपुर बालाजी धाम मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी

admin 28 February 2021
MEHANDIPUR BAJAJI MANDIR
Spread the love

अजय सिंह चौहान || संपूर्ण उत्तर भारत और खास तौर से हिन्दी प्रदेशों में श्री मेहंदीपुर बालाजी धाम राम भक्त श्री हनुमान जी का एक सिद्ध और बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। यह मंदिर सबसे अधिक इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि मान्यता है कि यहां के बालाजी यानी हनुमान जी में कुछ अद्भूत चमत्कारी शक्तियां निवास करतीं है और उन्हीं चमत्कारी शक्तियों के द्वारा यहां कई महिलाओं और पुरूषों को ऊपरी बाधा यानी प्रेतआत्माओं से मुक्ति मिल जाती है। अपनी इन्हीं मान्यताओं और चमत्कारी शक्तियों के कारण देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर से कई श्रद्धालु यहां मत्था टेकने और भगवान बालाजी के दर्शन करने आते हैं।

श्री बालाजी का यह मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेंहदीपुर नामक एक छोटे से स्थान पर है, इसीलिये यहां बालाजी को मेंहदीपुर बालाजी कहा जाता है। यह मंदिर कब और कैसे अस्तित्व में आया इस बारे में कोई निश्चित प्रमाण नहीं है। हालांकि, मंदिर का इतिहास लगभग 1,000 वर्ष से भी अधिक का बताया जाता है। श्री बालाजी की मूर्ति को स्वयंभू माना जाता है, यानी भगवान बालाजी की यह मूर्ति यहां अपने आप प्रकट हुई थी।

दो पहाड़ियों के बीच स्थित यह मंदिर बहुत ही आकर्षक लगता है। इसके अलावा शहरों की भीड़ से दूर यह स्थान और यहां की जलवायु एक दम शुद्ध है इसलिए यह स्थान मन को आनंद प्रदान करती है। इसके अलावा यहां राजस्थान की कला और संस्कृति और खान-पान को भी नजदीक से देखने और जानने का अवसर मिलता है।

यदि आप श्री मेहंदीपुर बालाजी धाम के दर्शनों के लिए जाने का मन बना रहे हैं तो सबसे पहले तो हम आपको बता दें कि यहां जाने के लिए आपको सबसे पहले तो ध्यान देना होगा कि प्रत्येक मंगलवार और शनिवार के दिन इस मंदिर में श्रद्धालुओं और भक्तों की भीड़ बहुत अधिक होती है। इसके अलावा मंदिर में प्रति दिन आरती के समय सुबह 6 बजे और शाम को 6 बजे भी यहां भारी भीड़ जमा हो जाती है। अगर आपको यहां की भीड़-भाड से बचना हो तो शनिवार और मंगलवार के दिन को छोड़कर बाकी दिनों में ही यहां जाना चाहिए।

श्री मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का माहौल और यहां के दृश्य, देश के अन्य मंदिरों से कुछ हट कर दिखाई देते हैं और कुछ अलग ही महसूस भी होते हैं इसलिए इस मंदिर के कुछ नियम भी अन्य मंदिरों से हटकर हैं।

श्री बालाजी धाम पहुंचकर यहां मुख्य मंदिर में श्री बालाजी महाराज के दर्शन करने के बाद मंदिर से बाहर निकले ही पास ही में भैरव बाबा का मंदिर भी है। इस मंदिर की परंपरा के अनुसार भैरव बाबा के मंदिर में दर्शन करने के बाद कुछ कदम आगे बढने पर सीढिया चढ़कर श्री प्रेतराज सरकार के मंदिर में भी जाना होता है जहां श्री प्रेतराज सरकार के दर्शन होते हैं। श्री प्रेतराज सरकार के मंदिर का नजारा थोड़ा डरावना सा लगने लगता है। यहां कई महिलाओं और पुरूषों को प्रेतआत्माओं से जूझते हुए देखा जा सकता है।

दरअसल श्री मेंहदीपुर बालाजी धाम का यह मंदिर ऊपरी हवा और भूत-प्रेत जैसे कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला हनुमान जी का एक विशेष मंदिर माना जाता है। इसलिए, यहां कई पीड़ित महिलाओं और पुरुषों को तरह-तरह की हरकतें करते हुए और चिल्लाते या बड़बड़ाते हुए भी देख सकते हैं। खास कर जब मंदिर में श्री बालाजी की आरती होती है उस समय तो ऐसे पीड़ितों की छटपटाहट यहां आने वाले कई लोगों को विचलित भी कर देती है। भूत-प्रेत और ऊपरी हवा के कष्टों से पीड़ित लोगों को यहां जंजीरों में जकड़े हुए देखना भी आम बात है।

मंदिर के बारे में कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले अरावली पर्वत पर संकटमोचक श्री हनुमान व प्रेतराज की मूर्तियां एक साथ प्रकट हुई थीं। स्थानिय लोगों को जब यहां चमत्कार के तौर पर भूत-प्रेत और ऊपरी हवा के कष्टों से धीरे-धीरे छुटकारा मिलने लगा तो दूर-दूर तक इसकी चर्चा और आस्था बढ़ती चली गई, और आज तो यह एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर बन चुका है।

श्री प्रेतराज सरकार के मंदिर में हर दिन दोपर के 2 बजे से 4 बजे तक श्री प्रेतराज सरकार की अदालत लगती है। मान्यता है कि उस अदालत के माध्यम से श्री प्रेतराज सरकार उन महिलाओं और पुरूषों के शरीर से प्रेतआत्माओं को बाहर निकलकर उन्हें ठीक कर देते हैं इसलिए यहां ऐसे पीढ़ितों को इलाज के लिए दूर-दूर से लाया जाता है।

जो श्रद्धालु इस मंदिर में पहली बार आये होते हैं उनमें से अधिकतर तो यहां भगवान श्री प्रेतराज सरकार के मंदिर के दृश्यों को देखने के बाद विचलित होकर जल्दी से जल्दी यहां से निकलने की कोशिश करते हैं।

यहां हम आपको बता दें कि दूर दराज से आने वाले अधिकतर लोग अपने पीढ़ित रिश्तेदारों को इस मंदिर में आस्था और मजबुरी के कारण प्रेत आत्माओं से छूटकारा दिलाने के लिए यहां लाते हैं। लेकिन, यहां हमने कुछ ऐसी महिलाओं को भी देखा है जिनको देखकर लगता है मानो वे महिलायें यहां पैसे लेकर इस मंदिर का प्रचार करने के लिए अपने ऊपर भूत-पे्रत या ऊपरी हवा होने का दिखावा कर रहीं थीं। और इस विषय पर कई बार स्थानीय अखबारों में कुछ खबरें भी प्रकाशित हो चुकीं हैं।

आपको बता दें कि अगर आप भी यहां किसी प्रेत आत्माओं से संबंधित महिला या पुरूष को इलाज के लिए ले जाते हैं तो ध्यान रखें कि यहां किसी भी प्रकार का कोई पंडित, पुजारी या ओझा जैसा कोई विशेष व्यक्ति या फिर ऐसी कोई पूजा-पाठ किसी भी व्यक्ति के द्वारा नहीं करवाई जाती है और ना ही कोई सामग्री का खर्च करना पड़ता है इसलिए आप यहां किसी भी पंडित, पुजारी या ओझा जैसे व्यक्ति के झांसे में ना पड़े और अपने उस पीड़ित व्यक्ति को श्री प्रेतराज सरकार के मंदिर में सीधे लेकर जायें और मंदिर में लगी दान पेटी में आप कम से कम 11 रुपये का या जो भी आपसे बन सकता है उतना दान के रूप में डाल दें।

यहां मान्यता है कि अगर आप ने यदि अपने घर पर किस भी समय कोई दरख्वास्त या मन्नत मांगी हो तो उसके लिए भी आप इस मंदिर में पहंुच कर मात्र 11 रुपये या अपनी श्रद्धा के अनुसार कुछ राशि उस दान पेटी में डाल दें और बालाजी महाराज का धन्यवाद कर दें।

खास तौर पर बालाजी के इस मंदिर में जाकर ध्यान रखें कि वहां आप किसी और के द्वारा दिया गया प्रसाद ना खायें और ना ही अपना प्रसाद किसी दूसरे को खिलायें। क्योंकि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी प्रकार की मिठाई या फिर सुगंधित चीजें उन नकारात्मक शक्तियों को सबसे अधिक आकर्षित कर सकती हैं।

यहां यह मान्यता है कि जो भुत प्रेत से बाधित या संकट ग्रस्त लोग हैं, उन्हें और उनके परिजनों को किसी भी प्रकार की कोई मीठी चीज या प्रसाद लेकर मंदिर में नहीं जाना चाहिए, और ना ही वहां का प्रसाद भी अपने साथ घर पर लाना चाहिए, इसलिए आप वहां प्रसाद उतना ही खरिदें जितना की आप स्वयं वहां उसे खा सकें।
इस मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता है कि अगर आप मेंहदीपुर बालाजी धाम के इस मंदिर के दर्शनों के लिए जा रहे हैं तो उसके बाद आप वापसी में कहीं ओर ना जाकर सीधे घर ही पहुंचे। हालांकि, इस मान्यता के पीछे का कारण क्या है यह ज्ञात नहीं है, इसलिए यह आपकी अपनी श्रद्धा और आस्था का विषय है कि आप इसे माने या ना माने।

इस मंदिर के आस-पास और भी कई छोटे-बड़े मंदिर देखने को मिल जाते हैं, जिनमें अंजनी माता मंदिर, काली माता का मंदिर, पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर और भगवान गणेश जी का मंदिर प्रमुख हैं। इसके अलावा यहां पास ही में एक और महत्वपूर्ण स्थान है, वह है समाधि वाले बाबा। यह समाधि श्री बालाजी मंदिर के सबसे पहले महंत की मानी जाती है।

About The Author

admin

See author's posts

2,706

Related

Continue Reading

Previous: गोधूली बेला में छूपा है अद्भूत विज्ञान | Amazing science in the dusk
Next: भीमाकाली शक्तिपीठ मंदिर – कैसे जायें, कहां ठहरें और कितना खर्च होगा?

Related Stories

Importance of social service according to the scriptures and the Constitution
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

धर्मशास्त्रों और संविधान के अनुसार सेवा का उद्देश्य और महत्व

admin 26 July 2025
Masterg
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?

admin 13 April 2025
ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

admin 30 March 2025

Trending News

शिरीष: सनातन में आस्था जाग्रत करने का प्रतिक Shirish Flowers and Tree Albizia lebbeck in India and in Hindu Dharm (भारत और हिंदू धर्म में शिरीष के फूल और पेड़ अल्बिज़िया लेबेक) 1
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

शिरीष: सनातन में आस्था जाग्रत करने का प्रतिक

30 July 2025
धर्मशास्त्रों और संविधान के अनुसार सेवा का उद्देश्य और महत्व Importance of social service according to the scriptures and the Constitution 2
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

धर्मशास्त्रों और संविधान के अनुसार सेवा का उद्देश्य और महत्व

26 July 2025
पुराणों के अनुसार ही चल रहे हैं आज के म्लेच्छ Indian-Polatics-Polaticians and party workers 3
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष

पुराणों के अनुसार ही चल रहे हैं आज के म्लेच्छ

13 July 2025
वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 4
  • विशेष
  • षड़यंत्र

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 5
  • विशेष
  • षड़यंत्र

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025

Total Visitor

079204
Total views : 144411

Recent Posts

  • शिरीष: सनातन में आस्था जाग्रत करने का प्रतिक
  • धर्मशास्त्रों और संविधान के अनुसार सेवा का उद्देश्य और महत्व
  • पुराणों के अनुसार ही चल रहे हैं आज के म्लेच्छ
  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved