राजधानी दिल्ली वाहनों की बढ़ती संख्या से परेशान है। इन वाहनों की वजह से पर्यावरण भी दूषित हो रहा है। इस समस्या से निजात पाने के लिए तमाम लोग सुझाव देते हैं कि भीड़भाड़ की समस्या से बचना है तो सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना होगा। दिल्ली में यदि सार्वजनिक परिवहन की बात की जाये तो यहां मुख्य रूप से मेट्रो एवं डीटीसी है। जहां तक मेट्रो की बात है तो मेट्रो आज दिल्ली की लाइफ लाइन बन चुकी है। यदि मात्र यह सोच लिया जाये कि दिल्ली में मेट्रो न होती तो क्या होता? मात्र इतना सोचने से ही तस्वीर सामने आ जायेगी। सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट के मुताबिक दिल्ली में पांच सालों में बसों की संख्या तो बढ़ी है किंतु राइडरशिप 48.5 प्रतिशत कम हुई है यानी सवारियों की संख्या कम हुई है।
इस संबंध में कुछ लोगों का कहना है कि बसों के द्वारा कोई भी व्यक्ति सदैव अपने गंतव्य स्थल पर नियत समय पर नहीं पहुंच सकता, क्योंकि तमाम मामलों में बसों को जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। बसें स्लो चलती हैं या अन्य कारण हो सकते हैं परंतु एक बात महत्वपूर्ण यह भी है कि बसों में जेबकतरे और मोबाइल चोर भी बेहद सक्रिय रहते हैं। अकसर वे गेट पर ही खड़े रहते हैं। मौका मिलने पर वे अपना काम करके बस से उतर जाते हैं। पकड़े जाने पर यदि कोई जेबकतरों एवं मोबाइल चोरों से उलझता है तो मारपीट के लिए उतारू हो जाते हैं। कभी-कभी तो चाकू भी निकाल लेते हैं और ब्लेड तक भी मार देते हैं। ऐसी स्थिति में लोग चुपचाप निकल लेना ही उचित समझते हैं।
पहले तो दिल्ली की बसों में मार्शल भी रहते थे, अब तो एकाध बस में कहीं दिख जाते हैं, अन्यथा अब वे भी नहीं दिखते हैं। जेबकतरों और मोबाइल चोरों का आतंक रोकने के लिए एक मात्र उपाय यह है कि उनके अंदर पुलिस एवं शासन-प्रशासन का खौफ पैदा किया जाये। उनके अंदर इस बात का डर पैदा हो जाये कि चाहे जितना भी भाग लें, किंतु पकड़े जायेंगे जरूर। उदाहरण के तौर पर पुलिस एवं शासन-प्रशासन का खौफ आजकल उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है।
जहां तक मोबाइल चोरी की बात है तो तकनीक का सहारा लेकर मोबाइल चोरों को पकड़ा जा सकता है। चोरी के यदि बीस प्रतिशत भी मोबाइल पकड़ लिये जायें तो मोबाइल चोर भी डरेंगे और चोरी का मोबाइल खरीदने वाले भी घबरायेंगे। समस्या तो यही है कि चोरी का मोबाइल भी लोग इसीलिए खरीदते हैं कि खरीदने वालों के मन में कोई खौफ नहीं है। जहां तक मेरा मानना है कि इन्हीं जेबकतरों एवं मोबाइल चोरों से बचने के लिए ही लोग निजी वाहनों की तरफ अग्रसर हो रहे हैं और इसी कारण मेट्रो पर भी लोड ज्यादा बढ़ रहा हैं। दिल्ली की सार्वजनिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त एवं संतुलित बनाना है तो दिल्लीवासियों के मन से जेबकतरों एवं मोबाइल चोरों का खौफ निकालना ही होगा अन्यथा बसों से लोगों के मुंह मोड़ने का सिलसिला यूं ही चलता रहेगा। ऐसी स्थिति दिल्ली के लिए किसी भी तरह से अच्छी नहीं होगी।
– जगदम्बा सिंह