यदि हम भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठाकर देखें तो उसमें हैरान करने वाली जानकारी मिलती है। क्योंकि भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टरों के अलावा इसमें भगवान शिव के उन सभी ज्योतिर्लिंग स्थानों को भी सबसे ज्यादा रेडिएशन के दायरे में पाया जाता है। तभी तो हमारे ऋषि-मुनि अक्सर कहा करते हैं कि –
- शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्युक्लियर रिएक्टर्स ही तो हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है, ताकि वो शांत रहें।
- क्योंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता।
- महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं।
- शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।
- तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी।
- भाभा एटाॅमिक रिएक्टर का डिजाइन भी शिवलिंग की तरह ही है।
महाकालेश्वर उज्जैन से अन्य ज्योतिर्लिंगों की दूरी देखिये-
- उज्जैन से काशी विश्वनाथ – 999 किमी
- उज्जैन से मल्लिकार्जुन – 999 किमी
- उज्जैन से त्रयंबकेश्वर – 555 किमी
- उज्जैन से घृष्णेश्वर – 555 किमी
- उज्जैन से नागेश्वर – 888 किमी
- उज्जैन से बैजनाथ – 999 किमी
- उज्जैन से केदारनाथ – 888 किमी
- उज्जैन से सोमनाथ – 777 किमी
- उज्जैन से ओंकारेश्वर – 111 किमी
- उज्जैन से भीमाशंकर – 666 किमी
- उज्जैन से रामेश्वरम् – 1,999 किमी
हिन्दू धर्म में कुछ भी बिना कारण क्यों नहीं होता-
हिन्दू धर्म के अनुसार मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर को पृथ्वी का केंद्र बिन्दू माना जाता है, जो सनातन धर्म में हजारों सालों से मानते आ रहे हैं। तभी तो उज्जैन में आज से करीब 2050 वर्ष पहले सूर्य की गणना और ज्योतिष गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी बनाये गये हैं ।
और जब करीब 100 साल पहले पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क) अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायी गयी तो उसका मध्य भाग भी उज्जैन से होकर ही निकला। तभी तो वैज्ञानिक आज भी सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिये उज्जैन ही आते हैं।