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सनातन धर्म अपने मूल रूप हिंदू धर्म के वैकल्पिक नाम से जाना जाता है। वैदिक काल में भारतीयबउप-महाद्वीप के धर्म के लिये ‘सनातन धर्म’ नाम मिलता है। ‘सनातन’ का अर्थ है – शाश्वत या ‘हमेशा बना रहने वाला’ अर्थात जिसका न आदि है न अन्त।
सिन्धु नदी के पार के वासियों को ईरानवासी हिन्दू कहते जो ‘स’ का उच्चारण ‘ह’ करते थे। उनकी देखा-देखी अरब हमलावर भी तत्कालीन भारतवासियों को हिन्दू और उनके धर्म को हिन्दू धर्म कहने लगे। भारत के अपने साहित्य में हिन्दू शब्द कोई 1000 वर्ष पूर्व ही मिलता है, उसके पहले नहीं।
क्रम ग्रन्थ लेखक
01 अष्टाध्यायी – पाणिनी
02 रामायण – वाल्मीकि
03 महाभारत – वेदव्यास
04 अर्थशास्त्र – चाणक्य
05 महाभाष्य – पतंजलि
06 सत्सहसारिका सूत्र – नागार्जुन
07 बुद्धचरित – अश्वघोष
08 सौंदरानन्द – अश्वघोष
09 महाविभाषाशास्त्र – वसुमित्र
10 स्वप्नवासवदत्ता – भास
11 कामसूत्र – वात्स्यायन
12 कुमारसंभवम् – कालिदास
13 अभिज्ञानशकुंतलम – कालिदास
14 विक्रमोउर्वशियां – कालिदास
15 मेघदूत – कालिदास
16 रघुवंशम् – कालिदास
17 मालविकाग्निमित्रम् – कालिदास
18 नाट्यशास्त्र – भरतमुनि
19 देवीचंद्रगुप्तम – विशाखदत्त
20 मृच्छकटिकम् – शूद्रक
21 सूर्य सिद्धान्त – आर्यभट्ट
22 वृहतसिंता – बरामिहिर
23 पंचतंत्र – विष्णु शर्मा
24 कथासरित्सागर – सोमदेव
25 अभिधम्मकोश – वसुबन्धु
26 मुद्राराक्षस – विशाखदत्त
27 रावणवध – भटिट
28 किरातार्जुनीयम् – भारवि
29 दशकुमारचरितम् – दंडी
30 हर्षचरित – वाणभट्ट
31 कादंबरी – वाणभट्ट
32 वासवदत्ता – सुबंधु
33 नागानंद – हर्षवधन
34 रत्नावली – हर्षवर्धन
35 प्रियदर्शिका – हर्षवर्धन
36 मालतीमाधव – भवभूति
37 पृथ्वीराज विजय – जयानक
38 कर्पूरमंजरी – राजशेखर
39 काव्यमीमांसा – राजशेखर
40 नवसहसांक चरित – पदम् गुप्त
41 शब्दानुशासन – राजभोज
42 वृहतकथामंजरी – क्षेमेन्द्र
43 नैषधचरितम – श्रीहर्ष
44 विक्रमांकदेवचरित – बिल्हण
45 कुमारपालचरित – हेमचन्द्र
46 गीतगोविन्द – जयदेव
47 पृथ्वीराजरासो – चंदरवरदाई
48 राजतरंगिणी – कल्हण
49 रासमाला – सोमेश्वर
50 शिशुपाल वध – माघ
51 गौडवाहो – वाकपति
52 रामचरित – सन्धयाकरनंदी
53 द्वयाश्रय काव्य – हेमचन्द्र
वेद-ज्ञान के विषय में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
वेद किसे कहते हैं?
ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते हैं।
वेद-ज्ञान किसने दिया?
ईश्वर ने दिया।
ईश्वर ने वेदं-ज्ञान कब दिया?
ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।
वेद कितने हैं?
चार – 1. ऋग्वेद, 2. यजुर्वेद, 3. सामवेद और 4. अथर्ववेद।
ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया?
मनुष्य मात्र के कल्याण के लिए।
वेदों के ब्राह्मण कितने हैं?
चार – 1. ऋग्वेद- ऐतरेय, 2. यजुर्वेद- शतपथ, 3. सामवेद- तांड्य और 4. अथर्ववेद- गोपथ।
वेदों के उपवेद कितने हैं?
चार – 1. ऋग्वेद- आयुर्वेद, 2. यजुर्वेद- धनुर्वेद 3. सामवेद- गंधर्ववेद और 4. अथर्ववेद- अर्थवेद।
वेदों के अंग कितने हैं?
छः- 1. शिक्षा, 2. कल्प, 3. निरुक्त, 4. व्याकरण, 5. छंद और 6. ज्योतिष।
ईश्वर ने वेदों का ज्ञान चार ऋषियों को दिया जो वेद ऋषि कहलाये –
1. ऋग्वेद- अग्नि, 2. यजुर्वेद- वायु, 3. सामवेद- आदित्य और 4. अथर्ववेद- अंगिरा।
वेदों में कैसा ज्ञान है?
सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान।
ईश्वर ने ऋषियों को वेदों का ज्ञान कैसे दिया?
समाधि की अवस्था में।
वेदों के विषय कौन-कौन से हैं?
चार ऋषि विषय – 1. ऋग्वेद- ज्ञान, 2. यजुर्वेद- कर्म, 3. सामवे- उपासना, 4. अथर्ववेद- विज्ञान।
वेदों में-
ऋग्वेद में- 1. मंडल- 10, 2. अष्टक-08, 3. सूक्त- 1028, 4. अनुवाक- 85, 5. ऋचाएं- 10589
यजुर्वेद में-
- अध्याय- 40, 2. मंत्र- 1975
सामवेद में- 1. आरचिक- 06, 2. अध्याय- 06, 3. ऋचाएं- 1875
अथर्ववेद में-
- कांड – 20, 2. सूक्त – 731, 3. मंत्र- 5977
वेद पढ़ने का अधिकार किसको है?
मनुष्य मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।
क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है?
बिलकुल भी नहीं।
क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है?
नहीं।
सबसे बड़ा वेद कौन-सा है?
ऋग्वेद।
शास्त्रों के विषय क्या हैं?
आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, जगत की उत्पत्ति, मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान आदि।
प्रामाणिक उपनिषद कितने हैं?
केवल ग्यारह।
उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए हैं?
वेदों से।
उपनिषदों के नाम
- ईश ( ईशावास्य ), 2. केन, 3. कठ, 4. प्रश्न, 5. मुंडक, 6. मांडू, 7. ऐतरेय, 8. तैत्तिरीय, 9. छांदोग्य, 10. वृहदारण्यक, 11. श्वेताश्वतर।
वर्ण कितने हैं?
चार- 1. ब्राह्मण, 2. क्षत्रिय, 3. वैश्य, 4. शूद्र।
पंच महायज्ञ-
- ब्रह्मयज्ञ, 2. देवयज्ञ, 3. पितृयज्ञ, 4. बलिवैश्वदेवयज्ञ, 5. अतिथियज्ञ।
स्वर्ग और नरक क्या है?
स्वर्ग- जहाँ सुख है, नरक- जहाँ दुःख है।
वेदों की उत्पत्ति कब हुई?
परमात्मा के द्वारा सृष्टि के आदि से, अर्थात् 1 अरब 96 करोड़ 8 लाख 43 हजार वर्ष पूर्व।
वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन शास्त्र (उपअंग) कितने हैं और उनके लेखकों का क्या नाम हैं?
- न्याय दर्शन – गौतम मुनि।
- वैशेषिक दर्शन – कणाद मुनि।
- योगदर्शन – पतंजलि मुनि।
- मीमांसा दर्शन – जैमिनी मुनि।
- सांख्य दर्शन – कपिल मुनि।
- वेदांत दर्शन – व्यास मुनि।
चार युगों के बारे में –
- सतयुग- 17,28000 वर्षों का नाम है।
- त्रेतायुग- 12,96000 वर्षों का नाम है।
- द्वापरयुग- 8,64000 वर्षों का नाम है।
- कलयुग- 4,32000 वर्षों का नाम है।
कलयुग के 4,976 वर्षों का भोग हो चुका है, जबकि अभी 4,27024 वर्षों का भोग होना है।
– संकलन