जो नेपाली गोरखा आज तक सैनिक बन कर भारत की तरफ से अग्रिम पंक्ति में चीन के साथ लड़ते थे, अब वे चीन के सैनिक बनकर भारत के खिलाफ लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
पेट भरने के लिए रोटी चाहिए और रोटी के लिए रोजगार। परिवार को पालने के लिए कहीं से तो पैसा लाना ही पड़ेगा।
जब आज के तथाकथित राष्ट्रवादी हिंदू ही राष्ट्रविरोधी और हिंदूत्व के विरोधी हो सकते हैं तो फिर वे तो वर्तमान में हमारे देश के भी नहीं हैं। और फिर वे स्वयं थोड़ी मना कर रहे हैं की हम भारतीय सेना में नहीं जाना चाहते।
यहां तो साफ साफ दिख रहा है की हमारी सेना के माध्यम से सरकार ने ही “अग्नीवीर” जैसी देश की रक्षा से खिलवाड़ करने वाली योजना को लागू करके इस प्रकार के अन्य रास्तों और तरीकों से उन वीरों को भारतीय सेना में आने से सीधे सीधे रोकने का प्रयास किया है जो देश और धर्म के खातिर जान देना चाहते हैं।
आज की सेना में अग्निवीर के बहाने एक प्रकार से पर्यटन सी स्थिति होती दिख रही है। अग्निवी के बहाने घुमफिर कर थोड़ा सा वार्मअप करके कुछ लेफ्ट राइट करके येस सर येस सर करके सेल्यूट मारने का तरीका सीखकर कुछ जेबखर्च लेकर चले आयेंगे और फिर किसी अच्छी नौकरी में या खेती में बाकी समय बिता लेंगे, बस।
लेकिन, अब उनका क्या जो कई पीढ़ियों से एक ही उम्मीद लगाकर बैठे रहते हैं कि हमारे बच्चे सिर्फ सेना के लिए ही जन्म लेते हैं। बिजनेस, पैसा, शोहरत के बजाय देश और धर्म की रक्षा ही जिन परिवारों के लिए सबकुछ रहा हो वे अब क्या करें? धन कमाएं और मौज करें। देश में कुछ नहीं रखा। किसी भी दूसरे देश में जाकर बस जाएं और वहां से देखते रहें की हमारे देश में क्या क्या होता जा रहा है।
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