Skip to content
17 May 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • मन की बात
  • विशेष

अहंकार को छोड़ बड़प्पन दिखाना होगा…

admin 1 May 2022
Kshama badan ko chahiye
Spread the love

रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले की व्याख्या पूरी दुनिया अपने हिसाब से कर रही है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेन पर हमला कर रूस अमेरिका को औकात बताना चाहता है तो कुछ अन्य विश्लेषकों का मानना है कि यूक्रेन यदि बड़बोलेपन से बचा होता तो शायद उस पर हमला नहीं होता। इस पूरे प्रकरण में कुल मिलाकर स्थिति यही बनती हुई दिख रही है कि मामला ईगो या अहंकार से जुड़ा हुआ है। अमेरिका पूरी दुनिया में अपनी लाॅबी बनाकर अन्य देशों को अपने पक्ष में करना चाहता है तो तमाम देशों को लगता है कि वे अमेरिका के पीछे चलकर अपनी स्थिति मजबूत कर सकते हैं। इस संबंध में जहां तक महाशक्तियों की बात है तो वे पूरी दुनिया को अपने समक्ष झुकाकर रखना चाहती हैं।

उदाहरण के तौर पर यूक्रेन यदि रूस के समक्ष सीना तानकर खड़ा है या बड़बोलापन दिखा रहा है तो रूस ने यदि बड़प्पन दिखाते हुए यूक्रेन को समझाने का प्रयास किया होता तो संभवतः यूक्रेन में बरबादी का जो मंजर देखने को मिल रहा है, वह नहीं मिलता। यह भी अपने आप में पूरी तरह सत्य है कि रूस एवं यूक्रेन की कोई तुलना ही नहीं है। रूस तो यूक्रेन से हर दृष्टि में मजबूत है। अमेरिका ने इराक को तबाही की कगार पर पहुंचा दिया तो यहां भी किसी न किसी रूप में अहंकार का ही मामला था। अफगानिस्तान में एक लंबे समय तक रहने के बाद अमेरिकी सेना जब वापस हुई तो पूरी दुनिया में यह चर्चा होने लगी कि क्या जिस मकसद से अमेरिका अफगानिस्तान में गया था, वह पूरा हो गया तो इसका जवाब लोगों को नहीं में ही मिला। इस प्रकार देखा जाये तो भारत सहित पूरे विश्व में जितने भी संघर्ष देखने-सुनने को मिल रहे हैं, उसके पीछे कहीं न कहीं मामला अहंकार से ही संबंधित है।

यह बात पूरी दुनिया को पता है कि महाशक्तियां कमजोर देशों का शोषण कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करना चाहती हैं, साथ में यह भी दिखाना चाहती हैं कि वे कमजोर देशों के लिए मसीहा के रूप में हैं, जबकि सच्चाई यही है कि महाशक्तियों की मंशा शोषण की ही होती है। आज यह बात पूरे विश्व में प्रचलित है कि दुनिया में यदि युद्ध जैसे हालात बने रहेंगे, तभी महाशक्तियों को हथियार बेचने में आसानी होगी। कोई देश महाशक्तियों से हथियार खरीदने के बजाय अपने यहां बनाने लगे तो, उन्हें यह भी मंजूर नहीं होता। मैं अमेरिका हूं, मैं चीन हूं, मैं रूस हूं, इस भाव को समाप्त करके पूरी दुनिया को यह सोचना होगा कि हम सभी पृथ्वीवासी हैं, सभी पृथ्वीवासियों को आपस में मिलकर रहना चाहिए। इस प्रकार का भाव सभी के मन में होना चाहिए। किसी भी परिवार, समूह, समाज एवं राष्ट्र को बहुत धैर्य एवं संतुलित रहना पड़ता है। पूर्वाग्रह से प्रेरित होकर कोई कार्य करना अहं की ही श्रेणी में आता है। यदि कोई किसी भी रूप में सबल है तो किसी की मजबूरी या मौके का लाभ उठाने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना अधर्म है।

भारतीय संस्कृति में एक प्राचीन कहावत प्रचलित है कि ‘क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात’ यानी क्षमा करना बड़ों का स्वभाव होना चाहिए, छोटों का काम तो उत्पात करना होता ही है। किसी परिवार में बच्चे दिनभर में कितनी गलतियां करते रहते हैं किन्तु परिवार का मुखिया उन गलतियों को मन में नहीं रखता और बच्चों को माफ कर देता है तथा मुखिया के मन में यह भी भाव होता है कि बच्चे दुबारा ऐसी गलती न करें, इसके लिए उन्हें सदैव समझाते एवं सचेत करते रहना है। वैेसे भी हमारे धर्मग्रंथ एवं महापुरुष हमें यही सीख देते हैं कि अहंकार किसी भी व्यक्ति की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। जो लोग व्यावहारिक जीवन में विनम्र नहीं होते, उनके लिए सत्य के दरवाजे खुल नहीं सकते। अहंकार के वशीभूत व्यक्ति यह सोचता है कि यदि मैं झुक गया तो लोग मुझे कमजोर समझेंगे और हमेशा मुझे झुकाते ही रहेंगे, परंतु वास्तविकता ऐसी नहीं है। वास्तव में देखा जाये तो विनम्र होना कमजोरी या कायरता नहीं बल्कि महानता की निशानी है। विनम्रता से जीवन का मार्ग उज्जवल ही होता है।

भगवान महावीर की वाणी – ‘धम्मो शुद्धस्थ चिट्ठई’ जो ऋजुता और विनम्रता की गुणवत्ता को उजागर करती है। ईसा मसीह के अनुसार ईश्वर का साम्राज्य वही प्राप्त कर सकता है, जिसका मन बच्चे की भांति निश्छल, पवित्र एवं ऋजु होता है। ऋजु व्यक्ति ही सत्य की साधना कर सकता है क्योंकि ऋजुता एवं सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। कोई भी अहंकारी व्यक्ति यह सोच ले कि उसके धन एवं ताकत की वजह से लोग उसे महान बतायें तो ऐसा कदापि नहीं हो सकता है क्योंकि व्यक्ति महान तो अपनी सरलता एवं विनम्रता की वजह से बनता है। इतिहास इस बात से भरा पड़ा है कि अहंकार के वशीभूत होकर यदि किसी ने कुछ किया है तो उसके दुष्परिणाम उसे भोगना ही पड़ा है।

द्वापर युग में द्रौपदी का चीरहरण इसलिए हुआ कि उनकी कोई बात अहंकारी दुर्योधन को चुभ गई यानी दुर्योधन के अहंकार की वजह से द्रौपदी का चीरहरण हुआ, किन्तु अहंकार के वशीभूत होकर दुर्योधन ने जो कुछ भी किया उससे उसकी कोई प्रतिष्ठा नहीं बढ़ी बल्कि इससे पूरे जग में दुर्योधन की बदनामी ही हुई और यही वजह उसके पतन का कारण भी बनी। इसी द्वापर युग में चक्रव्यूह तोड़ते समय जब अभिमन्यु अकेला पड़ा तो सात महारथियों ने उसे घेर कर मार दिया। इस प्रकरण में अकेला पाकर सात महारथियों ने अभिमन्यु को मारा तो इसमें यह कहा गया कि लाचारी का फायदा उठाया गया। लाचारी का फायदा उठाने के साथ महारथियों का अभिमान भी सामने आया क्योंकि महारथियों को लगा कि अभिमन्यु ने उन्हें ललकारने की हिम्मत कैसे की? किन्तु इसका भी परिणाम ठीक नहीं निकला, सातों महारथियों को एक-एक करके दंड भुगतना पड़ा।

रूस- यूक्रेन युद्ध में भारत खुलकर किसी भी पक्ष में नहीं आया किन्तु अब यूक्रेन का अहंकार सामने आ रहा है और वह अपने यहां भारतीय छात्रों की पढ़ाई में रोड़ा डाल रहा है। यहां भी देखा जाये तो यूक्रेन का अहंकार सिर चढ़कर बोल रहा है। अभी हाल ही में पाकिस्तान में इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा, तो उन्होंने इशारों-इशारों में कह दिया कि उन्हें अमेरिका के अहंकार के कारण पद छोड़ना पड़ा। चूंकि, इमरान खान चीन के काफी करीब थे, इसलिए रूस के खिलाफ आक्रामक नहीं हो सके, इस वजह से वे अमेरिका के प्रिय नहीं हो सके। कुल मिलाकर कहने का आशय यही है कि यहां भी मामला अहंकार से ही संबंधित है।

श्रीरामनवमी एवं हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर शोभा यात्राओं में कई जगह पथराव की घटनाएं हुईं। इन घटनाओं के संदर्भ में आमतौर पर यही बात निकलकर सामने आई कि मुस्लिम बहुल इलाकों में जोर से जय श्रीराम के नारे लगाये गये या जोर-जोर से डीजे बजाये गये। जोर-जोर से जय श्रीराम के नारे लगाना या जोर से डीजे बजाना कोई बहुत बड़ा गुनाह नहीं था, बात सिर्फ अहंकार की थी। अहंकार सिर्फ इस बात का था कि जिस क्षेत्र में हमारी बहुलता या अधिकता है, वहां कोई दूसरा आकर जोर से जय श्रीराम के नारे कैसे लगा गया? यदि इसी अहंकार को काबू कर लिया जाये या फिर कुछ लोग अहंकार को छोड़ने के लिए समझा-बुझा दें तो पत्थरबाजी की नौबत ही न आये।

भारतीय समाज में एक बहुत ही पुरानी कहावत प्रचलित है कि ‘मूंछ की लड़ाई सबसे खतरनाक होती है’ यानी किसी बात पर किसी को यदि कोई झुका कर या नीचा दिखाकर करके चला जाता था, तो उसका सीधा असर ‘मूंछ’ पर पड़ता है और कहा जाता है कि बिना बदला लिए मंूछ की प्रतिष्ठा वापस आने वाली नहीं है। ‘मंूछ’ की प्रतिष्ठा का अर्थ सीधे-सीधे व्यक्ति के स्वाभिमान एवं आत्म सम्मान से है। इसकी प्रतिष्ठा पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए यानी कि यहां भी मामला अहंकार से ही संबंधित है।

अब सवाल यह उठता है कि सभी समस्याओं की जड़ अहंकार को कैसे समाप्त किया जाये? इस संबंध में मेरा मानना है कि व्यक्ति अपनी इच्छाएं सीमित करे, तपस्वी का जीवन जिये। ईश्वर ने जितना दिया है, उसी में संतुष्ट रहे और ईश्वर के प्रति इस बात के लिए कृतज्ञ रहे कि उसने जितना दिया है, वह बहुत है। ईश्वर ने यदि आवश्यकता से अधिक दिया है तो उसे समाज में लगायें। दान-पुण्य के माध्यम से लोगों का भला करें, ऐसा भाव सदैव मन में होना चाहिए। कुल मिलाकर कहने का आशय यही है कि जो व्यक्ति समर्थ एवं सक्षम है, उसे झुकना ही चाहिए। वैसे भी हमारे समाज में एक बात बहुत प्रचलित है कि ‘फलदार वृक्ष झुके ही रहते हैं, जबकि ठूंठा पेड़ तो अकड़ कर ही रहता है।’ जब कोई सामथ्र्यवान व्यक्ति झुकता है तो उसे ही झुकना कहा जाता है, क्योंकि कमजोर व्यक्ति अकड़कर चले या झुककर, उससे क्या फर्क पड़ता है क्योंकि वह तो कमजोर है ही।

ऋषियों-मुनियों एवं महापुरुषों का कहना है कि झुकने वाला व्यक्ति कभी छोटा या कमजोर नहीं होता बल्कि वह बड़ा और मजबूत होता है। विनम्र एवं सत्यशोधक दृष्टि के कारण ही महापुरुषों पर अहंकार हावी नहीं हो पाता है। फल से लदी हुई डाल झुकी हुई होती है, साथ में सहनशील भी। अहंकारी व्यक्ति अपनी कृत्रिमता, चापलूसी से तना और अकड़ा होता है परंतु वह होता है कमजोर, इसीलिए जरा सी बात पर शीघ्र उत्तेजित होकर भभकने लगता है। अहंकारी व्यक्ति अनुकूलता में अपनी मनुष्यता को छोड़ देता है। पैसा प्रतिष्ठा, पदवी और पांडित्य को वह हजम नहीं कर पाता है। इन्हीं सब बातों के संदर्भ में एल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा है कि ‘सफल व्यक्ति होने का प्रयास न करें, अपितु गरिमामय व्यक्ति बनने का प्रयास करें।’

इस संबंध में स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी ने कहा है कि ‘आपस में जो दूसरे को बड़ा समझता है, वास्तव में वही व्यक्ति बड़ा होता है।’ महान चिंतक, विचारक और दार्शनिक रस्किन ने सच ही कहा है कि विनम्रता किसी भी महान व्यक्ति के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता होती है। इतिहास की बात की जाये तो हिरण्यकश्यप, कंस, रावण, हिटलर, सिकंदर, नादिर शाह, चंगेज खान जैसे तमाम अहंकारियों के उदाहरण हमारे सामने हैं। अपने अहंकार के वशीभूत होकर इन लोगों ने खूब उत्पात किया, किन्तु अंत सबका बुरा ही हुआ है।

महात्मा गांधी जी कहा करते थे कि ‘यदि एक गाल पर कोई तमाचा मारे तो दूसरा गाल भी उसकी तरफ कर देना चाहिए।’ बापू की इस बात में बहुत बड़ा संदेश छिपा हुआ है। भगवान महावीर ने पूरी दुनिया को ‘जियो और जीने दो’ का संदेश दिया। इस संदेश में यह भाव निहित है कि आप दूसरे के प्रति जिस प्रकार का भाव रखेंगे, दूसरा भी आप के प्रति उसी प्रकार का भाव रखने के लिए विवश होगा। वैसे भी, किसी भी व्यक्ति को अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। ठीक इसी तरह अहंकार से मुक्ति पाये बिना जीवन को सफल नहीं बनाया जा सकता है।

इस संदर्भ में यदि त्रेता युग की बात की जाये तो मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने कदम-कदम पर त्याग एवं विनम्रता का परिचय देते हुए बड़प्पन दिखाने का कार्य किया है। यदि उन्होंने झुककर शबरी और निषाद राज को गले नहीं लगाया होता तो उनकी विनम्रता की चर्चा पूरे विश्व में नहीं होती। कुल मिलाकर कहने का आशय यही है कि यदि घर, परिवार, समाज, राष्ट्र में सुख-शांति एवं अमन-चैन बनाना है तो अहंकार का त्याग कर बड़प्पन दिखाना ही होगा। समाज में सुख-शांति बनी रहे, इस दृष्टि से भी ऐसा करना बहुत जरूरी है। पूरे विश्व में शांति बनी रहे तो महाशक्तियों को अहंकार रूपी प्रतिस्पर्धा को त्याग कर क्षमाभाव रखकर बड़प्पन दिखाना ही होगा।

– अरूण कुमार जैन (इंजीनियर)

About The Author

admin

See author's posts

1,492

Related

Continue Reading

Previous: वर्तमान एवं अतीत में समन्वय बनाना ही समय की मांग…
Next: Police: ​छावला में नई पुलिस चौकी शुरू

Related Stories

What does Manu Smriti say about the names of girls
  • कला-संस्कृति
  • विशेष

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?

admin 9 May 2025
Harivansh Puran
  • अध्यात्म
  • विशेष

श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?

admin 20 April 2025
ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai
  • विशेष
  • हिन्दू राष्ट्र

कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है 

admin 16 April 2025

Trending News

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है? What does Manu Smriti say about the names of girls 1

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?

9 May 2025
श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है? Harivansh Puran 2

श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?

20 April 2025
कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है  ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai 3

कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है 

16 April 2025
‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़? Masterg 4

‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?

13 April 2025
हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai 5

हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

30 March 2025

Total Visitor

077496
Total views : 140862

Recent Posts

  • कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?
  • श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?
  • कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है 
  • ‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?
  • हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved