होम्योपैथी के बारे में माना जाता है कि यह आसानी से सुलभ और निश्चित रूप से सस्ता उपचार माध्यम है, जो अत्यधिक महंगे और खतरनाक साइड इफेक्ट वाले एलोपैथीक उपचार से एकदम अलग है और उसके बाजार के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में भी उभर कर सामने आ रहा है। हालांकि, आजकल होम्योपैथी के इसी गुण और इसके लाभ को देखते हुए कई डाॅक्टरों ने इसको भी पूरी तरह से व्यावसायिक तौर पर अपना लिया है और अपनी जेब भरने लगे हैं।
होम्योपैथी के बारे में कहा जाता है कि मनुष्य के पूरे शरीर पर ध्यान केंद्रित करता है इसलिए यह एक संपूर्ण चिकित्सा विज्ञान है। दरअसल, होम्योपैथी एक सहज विश्वास पर कार्य करता है क्योंकि रोगी के शरीर का प्रत्येक भाग दूसरे से जुड़ा हुआ है, इसलिए एक भाग को ठीक करने का अर्थ है पूरे शरीर को ठीक करना।
होम्योपैथ उपचार का एक अच्छा सुझाव देने या दवाएँ देने से पहले किसी भी रोगी के विवरण को अच्छी प्रकार से नोट किया जाता है, जिसमें रोगी के साथ भावनात्मक स्थितियों पर उसकी विभिन्न प्रतिक्रिया, उसके भोजन के विकल्प और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं शामिल होती हैं।
यह कहना गलत नहीं होगा कि आज होम्योपैथी आसानी से सुलभ और निश्चित रूप से सस्ता उपचार माध्यम है। यह भी सच है कि होम्योपैथी ने उस महंगे एलोपैथी बाजार के लिए एक बड़ी चुनौती भी खड़ी कर दी है।
होम्योपैथ को लेकर दुनियाभर के जानकार मानते हैं कि यह रोगी के शरीर को स्वस्थ करने में भले ही लंबी अवधि का समय लेता है लेकिन, इस अवधि में वह छोटी मात्रा में बीमारी पैदा करने वाले तत्वों के संपर्क में रह कर पूरा किया जाता है।
होम्योपैथी के लगभग सभी जानकार मानते हैं और जानते हैं कि एलोपेथ की तरह किसी भी बीमारी के लक्षणों को दबाने से उस बीमारी का इलाज संभव ही नहीं है। यही कारण है कि होम्योपैथ बीमारी के मूल कारण को ठीक करने पर केंद्रित है। इसीलिए होम्योपैथ न सिर्फ बीमारी के मूल कारण को ठीक करने में सक्षम है बल्कि रोगी के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाकर किसी बीमारी के कारणों को खत्म करने में भी सक्षम है।
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होम्योपैथी के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का शरीर किसी भी बीमारी के प्रति स्पष्ट रूप से प्रतिक्रिया करता है। यही कारण है कि प्रत्येक व्यक्ति का उपचार करने और उसे दवा देने से पहले उसका ध्यानपूर्वक अध्ययन करके ही किया जाता है। जानकार या डाॅक्टर रोगी के शरीर के बारे में यह जानना चाहते हैं कि किसी भी बीमारी के प्रति उनका शरीर कैसे प्रतिक्रिया करता है।
इसके अलावा, ऐलोपेथी की तर्ज पर होम्योपैथी में भी अर्निका जैसी एक दवा का उपयोग प्राथमिक चिकित्सा के रूप में किया जाता है, जिसमें आम तौर पर सर्दी, फ्लू और खांसी जैसी बीमारियों में तत्काल राहत की आवश्यकता महसूस होती है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार की मांसपेशियों की चोट से भी तुरंत राहत चाहिए होती है। ऐसे में होम्योपैथी चिकित्सीय स्थितियों से शरीर को प्रभावी ढंग से ठीक कर सकती है।
– प्रीति दिनेश, इंदौर (मध्य प्रदेश)