ऋषि तिवारी || बैक्सन होम्योपैथी ग्रुप को इस बात का गर्व है कि उसे 22वें अखिल भारतीय होम्योपैथी कांग्रेस 2023 (All India 22nd Homoeopathy Conference 2023 in Delhi) में भागीदारी का मौका मिला। 16 और 17 दिसम्बर 2023 को आयोजित इस कांग्रेस का थीम 3एच रखा गया। 3एच का मतलब है होम्योपैथी के माध्यम से स्वास्थ्य, खुशी और सामंजस्य।
होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के विस्तार पर जोर-
नई दिल्ली के जनकपुरी स्थित होटल हयात सेंट्रिक में आयोजित कार्यक्रम स्वास्थ्य, खुशी और सामंजस्य की दिशा तय करने वाली योजनाओं पर केंद्रित रहा। बैक्सन ग्रुप के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक डॉ. एसपीएस बक्शी ने होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के विस्तार पर जोर दिया।
इस दो दिवसीय कार्यक्रम में 800 से अधिक पंजीकृत होम्योपैथी डॉक्टर और प्रतिभागी एकत्र हुए। उन्होंने होम्योपैथी के क्षेत्र में हो रही नई नई खोजों की जानकारी दी और कई महत्वपूर्ण बातों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया। जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मीडिया से कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी शेयर की।
मुख्य भूमिका में डॉ. तानिया बक्शी-
आयोजन का उद्देश्य होम्योपैथी के अनुसंधान और होम्योपैथी के अभ्यास की सतत प्रगति में होम्योपैथी डॉक्टरों की मुख्य भूमिका को हाइलाइट करना होता है। कांग्रेस के आयोजन में मुख्य भूमिका डॉ. तानिया बक्शी की रही। उनके विशेष सत्र में ध्यान दिया गया कि कैसे युवा पीढ़ी को होम्योपैथी से जोड़ा जा सकता है।
बैक्सन होम्योपैथी ग्रुप का मानना है कि होम्योपैथी के क्षेत्र में प्रगति और अनुसंधान का लाभ अवश्य ही आम जनता तक पहुंचेगा। हम सभी मिलकर एक स्वस्थ, खुश और समृद्ध समाज की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
बैक्सन ग्रुप के सीएमडी और सर्वेसर्वा-
बता दें कि डॉक्टर सतिंदर पाल सिंह बक्शी बैक्सन ग्रुप के सीएमडी और इस ग्रुप के सर्वेसर्वा हैं। सनी अर्निका शैम्पू से शुरुआत करने के बाद उन्होंने अपना खुद का समूह खड़ा किया। इस समूह में तीन सहायक कंपनियां बैक्सन ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड, बैक्सन होम्योपैथिक सेंटर ऑफ एलर्जी और बैक्सन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल हैं। अपने करियर का इतना लंबा सफर इनके लिए आसान नहीं था।
प्रैक्टिस के शुरुआती वर्षों में डॉ. सतिंदर पाल सिंह बक्शी ने महसूस किया कि लोगों को एक होम्योपैथिक शैम्पू की आवश्यकता है, क्योंकि इनके सभी मरीज इस बारे में पूछते थे। जैसे आयुर्वेद में ऑवला होता है, उसी प्रकार होम्योपैथी में अर्निका है। उस समय ऐसे बहुत कम शैम्पू थे जिनमें अर्निका मौजूद हो। 30 जुलाई 1983 को उन्होंने बैक्सन सनी अर्निका शैम्पू लांच किया।
और डॉ. बक्शी ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा-
इस उत्पाद के लोकप्रिय होने से उन्हें खासी सफलता मिली। इसके बाद डॉ. बक्शी ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। कुछ समय बाद उन्होंने होम्योपैथिक दवाइयों का उत्पादन भी शुरू कर दिया और बैक्सन के पेटेंट की शुरुआत की। बैक्सन ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड सभी प्रकार की होम्योपैथिक दवाइयों का उत्पादन कर रही है जो भारतीय मूल की अग्रणी कम्पनियों में एक है।
डॉक्टर बक्शी नेहरू होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली के पूर्व छात्र हैं और उन्हें बोर्ड ऑफ होम्योपैथिक सिस्टम ऑफ मैडिसिन से डी.एच.एम.एस. की उपाधि प्राप्त है। वह दो दशक तक केन्द्रीय होम्योपैथिक परिषद के अध्यक्ष रह चुके हैं। कई संगठनों के सदस्य रहने के साथ ही विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हैं। अनेक परोपकारी गतिविधियों में बढ़ चढ़ कर भाग लेते हैं और अपने खाली समय में शोध करते रहते हैं।