Skip to content
14 July 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • अध्यात्म
  • धर्मस्थल
  • श्रद्धा-भक्ति

जानिए! पुराणों में क्या है अंबाजी शक्तिपीठ का महत्व? | Importance of Ambaji Shaktipeeth

admin 26 February 2021
AMBAJI TEMPLE VIEW_GUJARAT
Spread the love

अजय सिंह चौहान || गुजरात राज्य के बनासकांठा जिले में अरावली पर्वत श्रंखला के एक पर्वत पर स्थित, अंबाजी शक्तिपीठ (Ambaji Shaktipeeth in Gujarat) देवी दुर्गा का एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के लिए सबसे प्रमुख और सबसे बड़े तीर्थों में माना जाता है। यह मंदिर विदेशों में बसे गुजराती समुदाय के लिए विशेष आस्था और शक्ति उपासना का महत्व रखता है। गुजरात और राजस्थान की सीमा पर अरावली पर्वत श्रंखला में होने के कारण इसे ‘‘अरासुर माता’’ के नाम से भी पहचाना जाता है।

मां भवानी का यह शक्तिपीठ मंदिर (Ambaji Shaktipeeth in Gujarat) भारत के सबसे प्रसिद्ध और विशेष मंदिरों में स्थान रखता है। क्योंकि अंबाजी का यह शक्तिपीठ मंदिर 51 शक्तिपीठों के साथ-साथ उन शक्तिपीठों में भी माना जाता है जो देवी सती के 12 सबसे प्रमुख शक्तिपीठ हैं। मान्यता है कि इस शक्तिपीठ मंदिर में देवी अंबाजी अनादिकाल से अपने जग्रत रूप में निवास करती हैं। इसीलिए यह स्थान हिन्दू धर्म के लिए सबसे प्रमुख और सबसे बड़े तीर्थों में से एक है।

शक्तिपीठ की मान्यता –
आदि शक्ति माता अम्बाजी इस ब्रह्माण्ड की सर्वोच्च ब्रह्मांडीय शक्ति का अवतार हैं। इसलिए अंबाजी (Ambaji Shaktipeeth in Gujarat) के इस मंदिर में आने वाले उनके सभी भक्त उसी दिव्य और लौकिक शक्ति की पूजा करते हैं, जो अंबाजी के रूप में अवतरित हुई थीं। यह मंदिर देवी शक्ति के ह्दय भाग का प्रतीक होने के कारण 12 सबसे प्रमुख शक्तिपीठों में स्थान रखता है।

इस स्थान की मान्यता इसलिए भी सबसे अधिक है क्योंकि इसे शक्तिपीठों से संबंधित हर प्रकार के पुराणों और अन्य अनेकों धर्मर्गंथों में प्रमुखता से स्थान दिया गया है। दुर्गा शप्त सती और तंत्र चूड़ामणि के 52 शक्तिपीठ, देवी भागवत पुराण के 108 शक्तिपीठ, कालिका पुराण के 26 शक्तिपीठ और शिवचरित्र में वर्णित 51 शक्तिपीठों में भी इस शक्तिपीठ को प्रमुखता दी गई है।

मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती का ह्दय भाग गिरा था। इस बात का स्पष्ट उल्लेख हमें पद्म पुराण एवं ‘‘तंत्र चूड़ामणि’’ के अलावा और भी अन्य अनेकों धर्मर्गंथों में मिलता है। इसके अलावा कई पौराणिक ग्रंथों में हमें इसके परम तीर्थ होने के उल्लेख मिलते है।

पुराणों में अंबा जी –
श्री वाल्मिीकी रामायण में भी गब्बर तीर्थ का विशेष वर्णन मिलता है। रामाण की एक कथा के अनुसार, भगवान राम और लक्ष्मण सीताजी की खोज में श्रृंगी ऋषि के आश्रम में भी गये थे, जहाँ श्रृंगी ऋषि ने उन्हें गब्बर तीर्थ में जाकर देवी अंबाजी की पूजा करने के लिए कहा था। माता अम्बाजी ने श्रीराम की भक्ति से प्रसन्न होकर उनको ‘‘अजय’’ नाम का वह चमत्कारिक तीर दिया था, जिसकी मदद से उन्होंने दुष्ट रावण को मार दिया।

द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का मुंडन संस्कार माता यशोदा और पिता नंद ने इसी मंदिर के प्रांगण में करवाया था। इसके अलावा, महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने भी अपने निर्वासन काल के दौरान यहां आकर देवी अंबाजी की पूजा-अर्चना की थी।

प्राचीन काल से ही मेवाड़ के सभी राजपूत राजा इस भवानी माता की नियमित रूप से भक्ति करने के लिए आया करते थे। इन राजाओं में राणा प्रताप का नाम भी शामिल है। कहा जाता है कि राणा प्रताप अपनी हर विजय के बाद अरासुरी अम्बा भवानी की विशेष भक्ति करने और उनका धन्यवाद देने के लिए आया करते थे। स्थानिय दंतकथाओं और लोककथाओं के अनुसार राणा प्रताप ने माता अरासुरी अंबाजी के मंदिर में अपनी सबसे प्रिय तलवार भी भेंट कर दी थी।
विभिन्न पुराणों और पौराणिक कथाओं में मान्यता है कि मां अम्बे यहां साक्षात विराजी हैं। इसलिए यह स्थान कई तांत्रिकों और तांत्रिक क्रियाओं के लिए भी प्रसिद्ध है।

अनादिकाल से ही यहां प्रतिदिन मां अंबा के तीन अलग-अलग रूपों की पूजा होती आ रही है, जिसमें प्रातःकाल बाल रूप, दोपहर को युवा रूप और शाम को वृद्धा रूप में पूजा होती है। इसके अलावा मां अम्बा की अखंड जोत यहां सदियों से प्रज्जवलित है।

चैत्र तथा शारदीय नवरात्र के अवसरों पर यहां का वातावरण अलौकिक, दिव्य, पावन और अद्भूत भक्तिमय हो जाता है। शारदीय नवरात्र के विशेष अवसर पर तो मंदिर में दर्शनार्थियों की लंबी-लंबी लाइनें लग जाती हैं। इस अवसर पर यहां खेले जाने वाला गरबा नृत्य विश्व भर के लिए सबसे खास और आकषण का केन्द्र बन जाता है।

मंदिर की विशेषता –
इस अंबाजी मंदिर (Ambaji Shaktipeeth in Gujarat) की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में माता की कोई प्रतिमा नहीं है, बल्कि एक श्री यंत्र स्थापित है। इस श्री-यंत्र को ही माता के प्रतीक के रूप में सजाया जाता है और पूजन किया जाता है। श्रद्धालुओं को इस पवित्र श्री यंत्र के दर्शन करने के लिए गर्भगृह के भीतर प्रवेश की अनुमति नहीं है। इसलिए मंदिर का गर्भगृह एक सुरक्षित गुफा की तरह से बना हुआ है। श्री यंत्र के दर्शन करने के लिए उस दिवार में एक साधारण सा झरोखा छोड़ दिया गया है जहां से उस श्री यंत्र के दर्शन होते हैं।

कहा जाता है कि उस पवित्र श्री यंत्र पर 51 पवित्र बिजपात्र या पत्र अंकित हैं। ठीक इसी प्रकार का एक श्री यंत्र उज्जैन के श्री हरसिद्धि शक्तिपीठ मंदिर में भी देखने को मिलता है। श्री हरसिद्धि शक्तिपीठ का यह श्री यंत्र मंदिर के सभा मंडप के अंदर की छत के ऊपर की ओर एक विशाल आकृति में अंकित करके दर्शाया गया है।

हालांकि, उज्जैन के श्री हरसिद्धि शक्तिपीठ मंदिर के श्री यंत्र का फोटो लेना वर्जित नहीं है इसलिए वह संसार के सामने है। लेकिन, क्योंकि श्री अंबाजी मंदिर के इस श्री यंत्र का फोटो लेना एक दम मना है इसलिए यह पवित्र श्री यंत्र आजतक संसार के सामने नहीं आ पाया है।

अंबाजी के गब्बर तीर्थ पर्वत का महत्व –
Amba Ji Arasuri Ambaji Gabbarइसके अलावा, यहां अंबाजी मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर गब्बर तीर्थ के नाम से 1,600 फीट ऊंची एक पहाड़ी है। इस पहाड़ी के शिखर पर भी माता का एक ऐसा ही मंदिर है।

मान्यता है कि इस मंदिर में स्थित माता के रथ चिन्ह और पदचिन्ह स्वयं माता दूर्गा के ही हैं। इस गब्बर तीर्थ स्थान के विषय में हमारे धर्मग्रंथ कहते हैं कि यह वही स्थान है जहां माता सति का ह्दय भाग गिरा था। इसीलिए अंबाजी मंदिर में दर्शन करने के बाद वे सभी श्रद्धालु इन पदचिन्हों के साक्षात दर्शन करने के लिए भी यहां अवश्य ही आते हैं।

यह प्रसिद्ध गब्बर तीर्थ पर्वत, गुजरात और राजस्थान राज्य की सीमा के करीब होने के साथ-साथ इसलिए भी अधिक महत्व रखता है क्योंकि यहां से प्राचीनकाल की वैदिक कुंवारी नदी सरस्वती का उद्गम मार्ग भी इसके निकट ही से, यानी इसकी दक्षिण दिशा के जंगल और अरासुर की पहाड़ियों से होकर जाता है।

माना जाता है कि अंबाजी के इस शक्तिपीठ मंदिर में पूर्व वैदिक काल से, यानी लाखों वर्ष पहले से ही पूजा-पाठ होती आ रही है। मंदिर के विष में प्राप्त कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार अरावली की पहाड़ियों में स्थित होने के कारण ही संभवतः इसे अरावली से अरासुर पुकारा जाने लगा और अरासुर से ही ‘‘अरासुर नी अम्बे मां’’ या ‘‘अरासुर वाली माता’’ के नाम से पहचाना जाने लगा है।

About The Author

admin

See author's posts

7,250

Related

Continue Reading

Previous: 50 साल पहले हो चुकी फिल्म ‘‘कृष-3’’ की भविष्यवाणी का सच | World famous Prediction
Next: गोधूली बेला में छूपा है अद्भूत विज्ञान | Amazing science in the dusk

Related Stories

Harivansh Puran
  • अध्यात्म
  • विशेष

श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?

admin 20 April 2025
Masterg
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?

admin 13 April 2025
ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

admin 30 March 2025

Trending News

पुराणों के अनुसार ही चल रहे हैं आज के म्लेच्छ Indian-Polatics-Polaticians and party workers 1
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष

पुराणों के अनुसार ही चल रहे हैं आज के म्लेच्छ

13 July 2025
वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 2
  • विशेष
  • षड़यंत्र

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 3
  • विशेष
  • षड़यंत्र

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 4
  • विशेष
  • षड़यंत्र

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 5
  • देश
  • विशेष

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025

Total Visitor

078620
Total views : 143479

Recent Posts

  • पुराणों के अनुसार ही चल रहे हैं आज के म्लेच्छ
  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved