इस सदी की शुरुआत में चीन के लोग बाइडू (Baidu Search Engine) सर्च इंजन से रू-ब-रू हुए। वर्ष 2000 वहां के इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए एक तमाम सूचना लेकर आया। कईयों को तो असमंजस भी हुआ। जल्द ही बाइडू ने विश्व की सबसे शक्तिशाली इंटरनेट संस्था गूगल को अपना लोहा मनवा दिया।
बाइडू (Baidu Search Engine) आज सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनियों में से एक है और वर्तमान में यह सर्च इंजन, आॅडियो फाइल और फोटो सहित 57 इंटरनेट संबंधित सेवाएं प्रदान करता है। आश्चर्य की बात यह है कि केवल बाइडू ने इतने अल्प काल में सफलता हासिल नहीं की, बल्कि इसके रचयिता राॅबिन ली आज चीन के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बन चुके हैं।
बाइडू (Baidu Search Engine) केवल लोक प्रचलित ही नहीं है, बल्कि चीन की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में भी इसका महत्वपूर्ण स्थान है। पचास हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाली बाइडू कंपनी, 2010 में अपने चरम स्थान पर थी जब इसके नाम कुल अर्थव्यवस्था की 63 फीसदी हिस्सेदारी थी। उसके बाद अन्य इंटरनेट खिलाड़ी बाइडू को टक्कर देने उतरे। उन्होंने बाइडू की लोकप्रियता पर कुछ प्रभाव जरूर डाला, मगर उसके शीर्ष स्थान पर अपना अधिकार नहीं जमा पाए। अज भी बाइडू के नाम करीब 56 फीसदी हिस्सेदारी है।
पर जैसा कि हम सब जानते हैं, सफलता हमेशा अपने साथ विवाद लेकर आती है, बाइडू भी चीन के समाचार की सुर्खियों में हमेशा बना रहता है। मई 2016 में वेईजेक्सी नाम के 21 वर्षीय छात्र की मौत का कारण बाइडू (Baidu Search Engine) को ठहराया गया। माना जा रहा है कि उस युवक को एक विशेष कर्क रोग था जिसका उपचार ढूंढने के लिए उसके परिजनों ने बाइडू की मदद ली।
जिस अस्पताल को बाइडू ने सर्वश्रेष्ठ बताया, वहां उस छात्र का उपचार नहीं हो सका और उसकी मृत्यु हो गई। चीनी जनता की राय के अनुसार बाइडू ने उस अस्पताल को श्रेष्ठ बताने के लिए उस अस्पताल से पैसे लिए थे जिसे हम आॅनलाइन मार्केटिंग कह सकते हैं।
गौरतलब है कि इस घटना के लिए बाइडू (Baidu Search Engine) को जिम्मेवार ठहराना कहां तक सही है? ऐसी और भी घटनाएं हुई हैं जिनके कारण चीनी मीडिया में यह खबर है कि अब लोगों ने बाइडू का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है और उनकी विनती है कि गूगल से फिर से चीन में पुरजोर वापसी का अनुरोध किया जाए। यहां बताना जरूरी है कि चीन की सरकार गूगल पर हंटर लेकर सवार रहती है। लोगों को वही देखने को मिलता है जो सरकार चाहती है।
चीन का विदेश मंत्रालय अक्सर यह आरोप लगाता है कि इंटरनेट सर्च इंजन गूगल का अंग्रेजी भाषा का संस्करण अश्लील सामग्री फैलाकर देश के कानून का उल्लंघन करता है। अब भविष्य में बाइडू अपनी सफलता बनाकर रख पाएगा या ‘ओल्ड इज गोल्ड’ को चरितार्थ करते हुए गूगल बाइडू को धराशाही करेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
बहरहाल, बाइडू भारत में बढ़ते इंटरनेट बाजार को देख रहा है। जबकि भारत में सरकारें अभी तक ये तय नहीं कर पाई हैं कि क्या हम भी बाइडू की तर्ज पर एक अपन स्वदेशी सर्च इंजन चला सकते हैं जो राष्ट्रवाद के दम पर अपने ही लोगों को रोजगार भी दे और देश तोड़ने वाले गुगल से दूरी बना कर रख सके।