
ग़रीबी केवल एक स्थिति का परिचायक नहीं है अतः यह दर्शाता है की व्यक्ति अपनी मूलभूत आवश्यकताओ की भी प्राप्ति नहीं कर पा रहा है ग़रीबी जैसी स्थितियां न केवल किसी व्यक्ति के मानवाधिकारों का हनन है अपितु वैश्विक विकास मांडल पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है. अमेरिकी समाजशास्त्री ऑस्कर लेविस ने वर्ष 1958 में निर्धनता की संस्कृति के विचार को लोकप्रिय बनाया और वह मानते थे की निर्धनता एक विशेष प्रकार कि संस्कृति है जो पीढ़ी- दर – पीढ़ी निर्धनता को हस्तांतरित करती है और जब निर्धनता पीढ़ी- दर – पीढ़ी चलती है तो यह एक संस्कृति का रूप ले लेती है।
देखा जाए तो लोग झुग्गी-झोपड़ियो, मलिन बस्तियों, अवैध रूप से बसे समुदायों के आस-पास इसलिए नहीं रहते कि यह उनकी इच्छा होती है बल्कि उनके पास इसके अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं होताऔर उनके पास अपने जीवन- स्तर में सुधार लाने का अवसर ही नहीं होता है ग़रीबो की संख्या अधिक होने के कारण उनकी मज़दूरी कीदर कम हो जाती है क्योकि माँग की तुलना में आपूर्ति अधिक होती है। इस कारण श्रमिक परिवार की आय कम हो जाती है जिसके कारण इन परिवारों को अपने बच्चो को भी काम पर लगाना पड़ता है फलतः बाल श्रम की समस्या उत्पन्न होती है और बच्चो में शिक्षा के प्रति कोई रुचि नहीं होती जिससे कौशल विकास की प्रक्रिया अवरुद्ध हो जाती है और गरीब की अगली पीढ़ी भी गरीब रह जाती है और ग़रीबी को दैवकृत और व्यक्ति के पूर्व कर्मों एवं पापो का फल बताए जाने की पारंपरिक पुरातन दृष्टि आज भी समाज में विधमान है।
ग़रीबो की बढ़ती जनसंख्या भी ग़रीबी का एक बड़ा कारण है जो ग़रीबी के दुश्चक्र का निर्माण करती है। ग़रीबी में कमी लाने हेतु आर्थिक विकास सबसे कारगर माध्यम है ग़रीबी में कमी लेन हेतु सरकार को चाहिए के वह रोज़गार सृजन को बढ़वा दे, जनसंख्या को नियंत्रण करे, बुनियादी सेवाओ पर सार्वजनिक खर्च को बढ़ाए, आधारभूत सुविधाओं को प्रभावी बनाए।
देखा जाए तो समय-समयपर सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाकर ग़रीबी के रोकथाम के लिए अनेकों प्रयास भी किए गए जैसे 2016 में शुरू होने वाली प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, अंत्योदय अन्न योजना, राष्ट्रीय खाध सुरक्षा, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी क़ानून, गरीब कल्याण रोज़गार अभियान, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना आदि जैसे योजनाओं से समय समय पर इनकी स्तिथि में सुधार करने के अनेकों प्रयास किए गए है। अंतः यह कहना ठीक नहीं की हम हर सफल योजना में विफल रहे है अपितु हमारे अनेकों प्रयास निरंतर जारी है जो बेहतर कल के लिए कार्य कर रहे है।
– शिवम् प्रताप यदुवंशी
(लेखक (शिवम् प्रताप यदुवंशी) मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश के सिद्धि विनायक प्राइवेट लिमिटेड के संचालक है एवं स्वतंत्र लेखन करते है। लेखक द्वारा लिखे गए दर्जनों लेख जैसे सत्य अधूरा है, स्त्री कमजोर नहीं, स्त्री को हमारा समाज कमजोर करता है, हिन्दी सिर्फ़ एक भाषा नहीं हिंदी हमारा गौरव है, विभाजन, ख़त्म होता हिन्दी शब्द आदि रचनाएं कई अख़बार तथा पत्रिका में शामिल हो चुके हैं। लेखक के कई किताबों में भी लेख प्रकाशित हो चुके है जैसे काव्य दर्पण, फुलबारी, काव्य संगम, नारी शक्ति, काव्य सुरभि आदि| लेखक की किताब मुसाफ़िर प्रकाशित हो चुकी है।)