बाॅलीवुड की फिल्में लगातार फ्लाॅप होती जा रही है और उसका दोष हिंदुओं के मत्थे मढ़ दिया जा रहा है लेकिन, सच तो ये है कि आजकल की बाॅलीवुडिया फिल्मों में वो दम रहा ही नहीं कि हिंदी के दर्शकों को अपनी ओर को खिंच सके। इसी प्रकार से ‘ब्रम्हास्त्र: शिवा पार्ट वन’ के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। कहा तो जा रहा है कि चैथे दिन तक ‘ब्रम्हास्त्र’ ने करीब 175 करोड़ की कमाई कर ली है लेकिन, इसका सच ये नहीं बल्कि कुछ और ही है।
दरअसल, 9 सितंबर 2022 को रिलीज़ हुई धर्मा प्रोडक्शन की ‘ब्रम्हास्त्र अपने पहले ही दिन के हर शो में बुरी तरह से फ्लाॅप रही। इसके बाद आज तक यानी चैथे दिन तक भी इसको इतने दर्शक तक नहीं मिल पा रहे हैं जिससे कि फिल्म को बनाने का तो क्या इसके चाय-नाश्ते का भी खर्च निकाला जा सके। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर ‘ब्रम्हास्त्र’ अपने पहले ही दिन से हर शहर के हर शो में सुपर फ्लाप शाबित हो रही है तो ऐसे में 175 करोड़ की कमाई कैसे संभव है।
यहां यह भी कहा जा सकता है कि भले ही कुछ पेशेवर और पेड रिव्यूव पर आधारित यूट्यूबर्स की तरफ से इसका खुब सकारात्मक प्रचार करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा अधिकतर पेशेवर और पेड वेब पोर्टल्स पर फिल्म निर्माता-निर्देशक या मीडिया मैनेजमेंट की तरफ से जारी ‘प्रेस रिलीज़ को भी जस की तस ही प्रकाशित कर दिया गया। अखबारों और न्यूज चैनलों में तो पैसा देकर कोयले को भी सोना कहलवा सकते हैं। बावजूद इसके सिनेमाहाॅल्म में करीब-करीब चार से पांच प्रतिशत दर्शक ही पहुंच रहे हैं तो फिर 175 करोड़ की कमाई कैसे संभव है।
शोसल मीडिया के दौर में आज हर कोई एक दूसरे के साथ जुड़ा हुआ है और अपने विचारों को ही नहीं बल्कि समाज की घटनाओं और सच्चाईयों को सीधे-सीधे समाज के सामने परोसने में जरा भी वक्त नहीं लगाता। यह दौर एक तरफा मीडिया का नहीं बल्कि शोसल मीडिया का है। ऐसे में यदि कोई अपनी कमियों को छूपा कर यह कह दे कि ‘ब्रम्हास्त्र’ जैसी सूपर फ्लाॅप फिल्म ने महज चार दिनों में ही 175 करोड़ की कमाई कर ली है तो उसकी बातों को भला कौन मानेगा।
मान भी लिया जाये कि यदि सचमुच में ‘ब्रम्हास्त्र’ जैसी सूपर फ्लाप फिल्म ने मात्र चार दिनों में 175 करोड़ की कमाई कर ली है तो यहां आश्चर्य होता है कि भला ऐसे कैसे संभव है। यदि देश तमाम भ्रष्ट और करप्ट लोगों पर ईडी के छापे पड़ रहे हैं तो एक छापा इस फिल्म के निर्माता-निर्देशकों सही उन लोगों पर भी पड़ना चाहिए जो इसका प्रचार कर रहे हैं।
सोशल मीडिया के द्वारा जारी तमाम प्रकार के रिव्यूव्ज़ को जानकर ऐसा लगता है कि जिन लोगों ने फिल्म ‘ब्रम्हास्त्र’ को देखा है उन्होंने सीधे-सीधे कहा है कि ऐसा कहीं से भी नहीं लगता कि इस फिल्म के बाद आगे आने वाले समय में धर्मा प्रोडक्शन और करण जौहर बाॅलीवुड के दर्शकों के बीच फिर से अपनी वह जगह बनाने में कामयाब हो सके।
फिल्मों के तमाम जानकारों का मानना है कि जब कभी भी कोई निर्माता-निर्देशक यदि धर्म, अध्यात्म, प्राचीन भारत के इतिहास या पौराणिक तथ्यों पर आधारित फिल्म की तैयारी करता है तो सबसे पहले तो उसे कई विद्वानों के साथ मिलकर उस विषय पर गहन अध्ययन करने के साथ अन्य कई प्रकार की तैयारियां करनी होती है, और यह अनुभव हमें दक्षिण भारतीय फिल्मों से मिलता है। लेकिन, ‘ब्रम्हास्त्र’ में पूरी तरह से ‘वन मैन शो’ वाली मानसिकता की झलक देखने को मिल रही है। एक अच्छी कहानी के लिए अब बाॅलीवुड का कोई भी निर्माता-निर्देशक अच्छे से होमवर्क में न तो अपना समय लगाना चाहता है और न हीं बुद्धिमता का परिचय देना चाहता है।
फिल्मों के तमाम जानकारों का मानना है कि फिल्म की कहानी में अगर बार-बार पौराणिक युग के ‘ब्रम्हास्त्र’ का जिक्र किया जा रहा है या फिर ‘ब्रम्हास्त्र’ के आसपास ही कहानी घूमती है तो हैरानी होती है कि इसमें ऐसी कोई जानकारी क्यों नहीं दी गई है कि पृथ्वी पर ‘ब्रम्हास्त्र या अन्य अस्त्र कब और कैसे आए, उनके रक्षक कौन हैं और उन रक्षकों में ऐसी क्या शक्तियां थी, जो वे उन्हें धारण करने में सक्षम थे। आधे-अधूरे तर्कों को मसाला लगाकर बेवजह इसमें प्रेम कहानी को परोसा जा रह है तो सर दर्द तो होगा ही।
– गणपत सिंह, खरगौन (मध्य प्रदेश)