अजय सिंह चौहान || माना जाता है कि अपने संपूर्ण जीवन काल में कम से कम एक बार चार धामों की यात्रा आवश्यक करनी चाहिए। और हममें से अधिकांश लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने सनातन धर्म के इन चारों ही धामों की यात्रा भी अवश्य ही की भी होगी। हालांकि अधिकांश लोगों को मात्र यही बात मालूम है कि इन चार धामों में बद्रीनाथ धाम, गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम आते हैं। जबकि सनातन धर्म के जो चार प्रमुख धाम हैं उनमें क्रमशः बद्रीनाथ, द्वारिकाधीश, जगन्नाथ और रामेश्वरम को माना जाता है। और उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम को छोटा चार धाम के नाम से पहचाना जाता है। जबकि वास्तविकता यह है कि सनातन संस्कृति के चार प्रमुख धामों से एक धाम यानी भगवान बद्रीनाथ का धाम ही है।
यहां एक और भ्रम जो सबसे अधिक फैलाया जाता है कि यदि आप बद्रीनाथ धाम की यात्रा पर जा रहे हैं तो गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम की यात्रा किए बिना इस धाम की यह यात्रा पूरी नहीं हो पाती। तो उसके लिए यहां यह ध्यान रखें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि अगर आप प्रमुख चार धाम की यात्रा के लिए जा रहे हैं तो यहां यानी स्थानिय स्तर पर विकसित किए गए बाकी के चार धामों को भी अवश्य ही करें।
हालांकि, इसके लिए यहां पूरी तरह से आपके समय, इच्छाशक्ति और आर्थिक स्थित और शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है कि आप उसके लिए तैयार हैं या नहीं। और यदि आप यहां के किसी भी एक धाम या दो धामों की यात्रा कर पाने में सक्षम हैं तो उसमें से मान्यताओं के अनुसार सर्वप्रथम आपको भगवान बद्रीनाथ जी के धाम को सर्वप्रथम प्राथमिकता देना चाहिए। और यदि आप यहां के अन्य धामों में से किसी दूसरे धाम की यात्रा करने में भी सक्षम हैं तो ऐसे में यहां स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शनों का भी लाभ देना चाहिए।
यहां एक और बात ध्यान देने वाली है कि अगर आप सर्वप्रथम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन करने के बाद ही बद्रीनाथ धाम के दर्शन कर सकें तो वह सफल और लाभदायक माना जाता है। हालांकि, वर्तमान दौर में ऐसा करना हर किसी तीर्थ यात्री के लिए संभव नहीं है। लेकिन, मान्यताओं के अनुसार सर्वप्रथम केदारनाथ जी के दर्शनों के बाद ही भगवान बद्रीनाथ जी के दर्शनों को महत्व दिया गया है।
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दरअसल, उत्त्राखंड में स्थित बद्रीनाथ धाम, गंगोत्री धाम, यमुनोत्री धाम और केदारनाथ धाम को स्थानिय स्तर पर पर्यटन और इसके धार्मिक महत्व को देखते हुए विकसित करने के लिए छोटा चार धाम का नाम दिया गया है। और अगर हम यहां के छोटा चार धाम की बात करें तो उसके लिए तो उत्तराखण्ड राज्य और इसके निवासियों के लिए यह बड़े सौभाग्य की बात है कि यहां पर बद्रीनाथ धाम के अलावा, पवित्र गंगा नदी का उद्गम स्थल यानी गंगोत्री और दूसरी सबसे पवित्र यमुना नदी का भी उद्गम स्थल यानी यमुनोत्री सहित भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से पांचवे स्थान पर माने जाने वाला केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर भी है। ऐसे में अगर कोई चार धामों की यात्रा करना चाहता है और वह आर्थिक एवं शारीरिक तौर पर क्षमता रखता है तो उसके लिए इन स्थानों की यात्रा करना एक सौभाग्य की बात कही जा सकती है।
यहां ध्यान देने वाली सबसे प्रमुख बात यह है कि बद्रीनाथ धाम के अलावा स्थानिय स्तर पर स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ की यात्रा करने के लिए आर्थिक एवं शारीरिक तौर पर क्षमतावान होना इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यहां के इन बाकी तीनों ही स्थानों की यात्रा करना साधारण तीर्थ यात्रियों के लिए काफी खर्चीली और थका देने वाली साबित होती है। इसी कारण से यह यात्रा सनातन धर्म की सबसे कठीन तीर्थ यात्राओं में मानी जाती है।
हालांकि, वर्तमान दौर में यह यात्रा आर्थिक रूप से संपन्न लोगों के लिए पर्यटन का साधन बन चुकी है। लेकिन, आज भी देश भर से अधिकतर श्रद्धालु और तीर्थ यात्री ऐसे हैं जो इस यात्रा को कर पाने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं। जहां एक ओर चार धामों में से द्वारिकाधीश, जगन्नाथ और रामेश्वरम जैसे किसी भी एक धाम की यात्रा में कम से कम एक या दो हजार रुपयों देश के दूर दराज के लोगों के लिए भी यात्रा कर पाना संभव है वहीं बद्रीनाथ धाम की यात्रा के लिए कम से कम चार से पांच हजार रुपये का खर्च तो हो ही जाता है।
अगर कोई तीर्थ यात्री यहां आकर यहां के तीन अन्य धाम यानी गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम की यात्रा का मन बना ले तो उसके लिए यहां का हर धाम कम से कम पांच से सात हजार रुपये तक खर्चीला हो सकता है। इसके अलावा स्थानीय मौसम सहीत खतरनाक पहाड़ियों में यात्रा करने पर कई प्रकार की परेशानियों जैसे थकान, बीमार होने का डर, अपने सामान को संभालने की समस्या और स्थानिय मौसम सहीत और कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
यही कारण है कि यहां आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर तीर्थ यात्रियों के लिए यहां के हर धाम की यात्रा करना संभव नहीं है। जबकि जो आर्थिक रूप से संपन्न लोग होते हैं वे यहां आकर घोड़े की सवारी का सहारा लेकर या फिर हेलीकाॅप्टर की सेवा का लाभ लेकर बड़े ही आराम से और बिना किसी बाधा के इस यात्रा को काम कम से कम समय में और बिना किसी रूकावट या परेशानी के कर पाने में सक्षम हैं।