
अगर कोई श्रद्धालु उत्तराखण्ड की छोटा चारधाम यात्रा पर पहली बार जा रहे हैं और वे अगर अकेले हैं या फिर गु्रप के साथ जा रहे हैं या फिर अपने परिवार के साथ भी जा रहे हैं तो उनके लिए यह जानकारी बहुत खास हो सकती है।
आगे बढ़ने से पहले यहां बता दूं कि अगर कोई श्रद्धालु इस छोटा चारधाम की यात्रा के दौरान यमुनोत्री और गंगोत्री के दर्शन करने में सक्षम या इच्छुक नहीं है और केवल भगवान केदारनाथ जी और बाबा बद्रीनाथ जी के ही दर्शन करना चाहते हैं तो उनके लिए भी यहां मैं बाबा केदानाथ जी और फिर बाबा बद्रीनाथ जी के इन दो धामों के बारे में बताऊंगा कि आप कैसे उन दोनों धामों की यात्रा भी आसानी से कर सकते हैं।
तो सबसे पहले तो बात करते हैं कि अगर किसी श्रद्धालु को इन चारों ही धामों की यात्रा एक साथ करनी हो और अगर वे रोडवेज की बसों से इस यात्रा को करना चाहे या फिर केदानाथ जी और बद्रीनाथ जी के ही दर्शन करना चाहते हैं तो भी उनके लिए इस यात्रा में लगभग-लगभग कितना समय लग सकता है और कितना खर्च हो सकता है और कितने किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ सकता है, आज हम इसी विषय पर बात करेंगे।
सबसे पहले तो ध्यान रखें कि अगर आप इन चारों स्थानों की यात्रा एक ही बार में करना चाहते हैं और वो भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यानी बसों से या शेयरिंग जीप या टेक्सियों से तो ध्यान रखना होगा कि यह एक एक बहुत ही थका देने वाली यात्रा हो सकती है, लेकिन, साथ ही साथ इसमें आपको कुछ ऐसे अनुभव भी होंगे जो एक दम नये और अनोखे होंगे।
तो सबसे पहले तो ध्यान रखना होगा कि आपके साथ कोई ऐसा व्यक्ति या महिला या फिर बच्चा इस यात्रा में नहीं होना चाहिए जो इस यात्रा को करने में सक्षम ना हो। क्योंकि इसमें कुछ परेशानियां भी आ सकती है और आपका बजट भी बिगड़ सकता है। खासकर ऐसे लोगों के लिए जो मैदानी इलाकों से यहां जाते हैं और पहाड़ी मौसम और पहाड़ी क्षेत्रों में ज्यादा यात्राएं नहीं कर पाते हैं।
इसलिए कम से कम मैं तो ऐसी यात्रा के लिए परिवार के साथ जाने की सलाह नहीं दूंगा। और वो भी तब जब आपके साथ 10 या 12 साल से कम उम्र का कोई बच्चा हो या फिर 65 या 70 साल से ज्यादा उम्र का कोई सदस्य हो।
लेकिन, हां अगर आप अपने वाहनों से या टेक्सी लेकर इस यात्रा पर जा रहे हैं तब तो शायद कोई समस्या नहीं आने वाली। लेकिन अगर आप बसों से यहां जा रहे हैं तब तो मैं बिल्कुल भी सलाह नहीं दूंगा कि आपके साथ बुजुर्ग या बच्चे भी जा सकते हैं।
क्योंकि यह एक ऐसी यात्रा है जिसमें यात्री खुशी-खुशी चला तो जाता है लेकिन वहां जाने के बाद आपने आप को फंसा हुआ या असहाय और परेशान महसूस करने लगता है।
ऐसी स्थिति में कुछ यात्री या श्रद्धालु परेशान होकर, अपनी यात्रा पुरी नहीं कर पाते हैं और वापस घर की ओर निकल लेते हैं, जबकि खासकर कुछ ऐसे लोग, जो अपने दोस्तों के साथ, या फिर, अपने हम उम्र श्रद्धालुओं के साथ तो यह यात्रा कर लेते हैं लेकिन बच्चों या बुजुर्गों, या फिर महिलाओं के साथ इस यात्रा के बीच में ही लौट आते है।
इसका कारण यही है कि यहां के उबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्ते और बेमोस बरसात, पहाड़ों की सर्दी और लगाता यात्राएं करने के कारण, अधिकतर लोग ऊब जाते हैं और परेशान होकर लौट आते हैं।
ऐसी स्थितियों से बचने के लिए, मेरी सलाह तो यही हो सकती है कि या तो आप किसी ऐसे गु्रप के साथ यह यात्रा करें या फिर किसी ऐसी ट्रेवल एजेंसी के द्वारा इस यात्रा पर जायें जिसका नाम भी हो और भरोसे के लायक भी हो।
इसके अलावा, ध्यान रखें कि मई और जून के महीनों का समय यहां की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है। लेकिन ध्यान रखें कि इन दिनों में यहां आप ही की तरह और भी बहुत सारे श्रद्धालु वहां मिलेंगे, इसलिए भीड़ तो होगी ही।
एक और खास बात का ध्यान रखना चाहिए कि, अगर आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट यानी रोडवेज की बसों से सफर करना चाहते हैं तो ऐसे खतरनाक पहाड़ी इलाकों में चलने वाली बसें, शाम को 4 या 5 बजे के बाद लंबी यात्रा के लिए नहीं निकलतीं हैं। लेकिन फिर भी आप कम से कम समय में इस यात्रा को करने के इच्छुक हैं तो उसके लिए दूसरा उपाय यह भी हो सकता है कि आप वहां चलने वाले वाहनों से, यानी स्थानिय या लोकल टेक्सियों और जीप वगैरह से भी यह सफर कर सकते हैं।
तो इसके लिए सबसे पहले तो ध्यान रखें कि अगर आप इस यात्रा पर जाना चाहते हैं तो उसके लिए सबसे पहले अपना यात्रा परमिट जरूर बनवा लें और उस परमिट पर वहां जाने की निश्चित तारीख भी अपनी सुविधा के अनुसार तय कर लें।
तो सबसे पहले तो ध्यान रखें कि उत्तराखण्ड के कई पड़ौसी राज्यों और अन्य कई दूसरे राज्यों से भी उत्तराखण्ड राज्य परिवहन की बसें इस यात्रा के लिए चलतीं हैं। लेकिन, मान लीजिए कि, अगर आप दिल्ली से इस यात्रा को शुरू करना चाहते हैं या फिर हरिद्वार से या ऋषिकेश से या देहरादून से या फिर देश के किसी भी हिस्से से तो तब भी आपको हरिद्वार और ऋषिकेश से ही होकर जाना होगा। इसलिए आप चाहे तो सीधे हरिद्वार या ऋषिकेश भी पहुंच सकते हैं और फिर वहां से यात्रा का परमिट बनवाकर फिर आगे की यात्रा के लिए रोडवेज की बस या टेक्सी या शेयरिंग वाले अन्य दूसरे सस्ते साधन ले सकते हैं।
रोडवेज की इन बसों में खास कर ऐसी साधारण बसें भी होती हैं जिनका कम से कम किराया होता है। या फिर वे बसें भी होती हैं जो जिनको वोल्वों के नाम से हम सब पहचानते हैं लेकिन उनका किराया थोड़ा अधिक होता है।
– मनीषा परिहार, भोपाल