मोटे अनाजों के आते को हमने आधुनिकता की दौड़ में भोजन में शामिल करना छोड़ दिया है। अक्सर हम सबको लगता है कि मैदा हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाता है परन्तु गेहूं का आटा भी हमारे शरीर के लिए उतना ही खतरनाक जितना कि मैदा। क्योंकि हमें गेहूं के विषय में ठीक से जानकारी नहीं है।
यदि हमे हमारे शरीर को स्वस्थ रखना है तो भोजन में समय और ऋतुओं के अनुसार विविधता अपनाना ही होगा जैसे हमारे पुरखे करते थे। हालाँकि उस समय उपज कम होती थी परन्तु उस समय जो भी खान-पान थे वे पोषक तत्व से भरपूर होते थे क्योंकि केमिकल युक्त जहरीले फर्टिलाइजर्स का प्रयोग न के बराबर होता था। किन्तु आज के समय में यदि फर्टिलाइजर्स न डाली जाय तो उपज ही नहीं मिल पाती है। जबकि गेहूं के लिए आज सबसे अधिक केमिकल युक्त जहरीले फर्टिलाइजर्स का प्रयोग होने लगा है।
यदि आप गेहूं के आटे की रोटी खाते हैं तो अन्य सभी प्रकार के मोटे अनाजों के आटे को भी मिलाकर रख लीजिए और इनकी कम से कम एक मोटी रोटी प्रतिदिन खानी चाहिए, ताकि आपके रक्त में केमिकल युक्त जहरीले फर्टिलाइजर्स की कम से कम मिलावट हो सके।