नई दिल्ली। द्वारका में डीसीपी शंकर चौधरी की सफलता नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। विपरीत परिस्थितियों में भी वह समस्याओं को सलीके से सुलझा लेते हैं। लेकिन एक सवाल चर्चा का विषय बना है कि क्या वह बिल्डरों की मनमानी भी रोक लेंगे?
दरअसल, दिल्ली के मधु विहार में बिल्डरों की मनमानी इतनी बढ़ गई है कि डाबरी चौकी से लेकर डीसीपी पुलिस आफिस तक उन्हीं का दबदबा है। इस संदर्भ में पत्र भी लिखे गए, लेकिन वहां के कुछ बिल्डर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। वे एक ही घर कितने लोगों को बेच देते हैं, इसका अंदाजा भी लगाना कठिन है।
बिल्डर अजय कुमार की कहानी दिलचस्प –
मधु विहार के एक बिल्डर अजय कुमार की कहानी दिलचस्प है। उसने 2019 में एक व्यक्ति को घर दिलाया था। यह घर बन कर तैयार होने में चार महीने लगने थे। फिर भी घर बुक कर दिया। बुकिंग के बाद बिल्डर की टाल मटोल 2021 तक चली। अंत में उसने इनकंपलीट घर दिया। अब वह घर का कागज देने में टालमटोल करने लगा।
वह कभी बात पार्टनर पर टाल देता तो कभी कोई और बहाना बना लेता। इस प्रकार उसने दो महीने टाल दिए। लेकिन घर खरीददार को घर का कागज नहीं दिया। परेशान होकर घर खरीददार ने इसकी जानकारी डाबरी चौकी में दी। पूछताछ के बाद फिर उसने घर का कागज देने की बात टाल दी। उसने 19 सितंबर 2021 को घर का कागज देने का वादा किया था।
घर खरीददार को फंसाने की साजिश-
लेकिन वह फिर अपने वादे से मुकर गया। घर खरीददार को टरकाने के लिए उसने पिछली 14 जनवरी को उसे फंसाने की साजिश रची। इस प्रकार वह घर खरीदने वाले को लगातार परेशान कर रहा है। डीसीपी और कमिशनर तक को पत्र लिखने के बावजूद बिल्डर के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
घर खरीदने वाले किस प्रकार बिल्डर को पैसा देकर फंस जाते हैं, यह तो एक उदाहरण भर है। बिल्डर की साजिशों के शिकार कितने और लोग हैं, यह जांच का विषय है।