अजय चौहान | अमृतसर में स्थित दुर्गियाना माता मंदिर माता दुर्गा (Durgiana Mata Temple in Amritsar) का एक बहुत ही प्रसिद्ध शक्ति स्थल है। माता दुर्गा के नाम पर इस मंदिर का नाम दुर्गियाना या दुर्ग्याणा पड़ा पड़ा है। इसके अलावा यहां ज्वाला मां की अखंड ज्योति प्रज्वलित रहती है। यह मंदिर एक पवित्र सरोवर के बीचों-बीच स्थित है।
इसी मंदिर के परिसर में शीतला माता का का भी एक मंदिर है जो करीब 700 वर्षों से अधिक पुराना है। मान्यता है कि बच्चों में होने वाली छोटी माता अर्थात् चेचक रोग से पीड़ित बच्चों के परिवार यहां माथा टिकाने लाते हैं और मां की कृपा से बच्चा ठीक हो जाता है।
हालाँकि यह मंदिर (Durgiana Mata Temple in Amritsar) तो यहां हज़ारों वर्षों से स्थित है लेकिन सन् 1868 के नगरपालिका समित एवं 1893 के जिला गजेटियर के दस्तावेज में इस दुर्गियाना सरोवर के होने का साक्ष्य उपलब्ध है। गजेटियर में दुर्गियाना सरोवर और देवी के द्वार की भी चर्चा है।
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, दुर्गियाना माता के इस मंदिर को 1921 के आसपास आधुनिक स्वरूप दिया गया था। कहा जाता है कि गुरु हरसहाय मल कपूर जी ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के तर्ज पर इसे बनाने की शुरुआत की थी, जिसके लिए 1925 में गंगा दशहरा के दिन पंडित मदनमोहन मालवीय जी ने इसकी नींव रखी थी।
दुर्गियाना माता के इस मंदिर (Durgiana Mata Temple in Amritsar) के प्रांगण में जो एक पेड़ है, उसके बारे में मान्यता है कि राजा राम के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा पकड़ने के उपरांत हनुमान जी को भी लव-कुश ने पकड़ कर इसी में बांध दिया था।
दुर्गियाना माता मंदिर की वर्तमान मंदिर की संरचना और वास्तुकला अति सुन्दर है। इसके गुंबद पर सोने का पानी चढ़ाया हुआ है। इसमें लगे बड़े-बड़े आकार के दरवाजे चांदी के बने हुए हैं और फर्श संगमरमर का है। मंदिर में कांगड़ा शैली की चित्रकला एवं शीशे की नक्काशी है।
दुर्गियाना माता मंदिर के गर्भगृह में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु प्रधानरूप से विराजमान हैं। इसके अलावा भगवान राम अपने चारों भाई के साथ और श्रीकृष्ण-बलभद्र और सुभद्रा जी भी विराजमान हैं। सरोवर के पास भगवान् शिव भी स्थित हैं। इसके अलावा माता शीतला के मंदिर में देवी के नौ रूपों का भी दर्शन किया जा सकता है।
अमृतसर में स्थित यह दुर्गियाना माता मंदिर पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर है। सरोवर के कारण आती ठंडी हवा भी एक आध्यात्मिक अनुभूति और सुख प्रदान करती है। आप जब भी अमृतसर जाएं तो दुर्गियाना मंदिर का दर्शन अवश्य करें। यहां लंगर की व्यवस्था भी है, जिसमें 500 लोग एकसाथ बैठकर भोजन कर सकते हैं।
जय माता दी।
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