Skip to content
25 August 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • मन की बात
  • विशेष

भारत का ही भविष्य स्वर्णिम क्यों? | Future of India

admin 19 May 2024
Future of India in the World
Spread the love

वर्तमान में विश्व के जो हालात हैं, उन परिस्थितियों में भारत अपने को मजबूती से खड़ा किये हुए है। वैश्विक परिस्थितियों का बेहद गंभीरता एवं सतर्कता से मूल्यांकन करते हुए भारत अपने कदम आगे बढ़ा रहा है। निःसंदेह आज पूरी दुनिया भारत की तरफ आशाभरी नजरों से देख रही है। एक लंबी गुलामी के बाद भारत की परिस्थितियों में चाहे जो भी परिवर्तन हुए हों किंतु भारत का अतीत बहुत गौरवमयी रहा है। पूरे विश्व में भारत को विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त था। आज विज्ञान चाहे जितना भी आगे निकल गया हो किंतु हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा दिये एवं प्रतिपादित किये गये ज्ञान के आगे कुछ भी नहीं है। हमारे ऋषि-मुनियों ने अतीत में जो कुछ कहा एवं बताया है, विज्ञान सिर्फ उसके इर्द-गिर्द रहकर रिसर्च कर रहा है। हमारे ऋषियों-मुनियों एवं महात्माओं ने हमें जो कुछ भी ज्ञान दिया है, उस पर यदि विज्ञान मुहर लगा देता है तो हम बहुत प्रसन्न होते हैं और कहते हैं कि विज्ञान ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है। सही मायनों में यदि विश्लेषण किया जाये तो कहा जा सकता है भारत का अतीत में जो ज्ञान-विज्ञान था, उसके आगे विज्ञान कुछ भी नहीं है। इस संबंध में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि विज्ञान की क्षमताएं जहां दम तोड़ देती हैं, हमारा अतीत वहां से शुरू होता है। इसे यदि एक उदाहरण से समझा जाये तो उसका सबसे ताजा उदाहरण कोरोना काल है।

कोरोना काल में जब विज्ञान घुटनों के बल लेट गया तो प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान ने दुनिया को खड़े होने का रास्ता दिखाया। कहने का आशय यह है कि भारत अतीत में दुनिया को रास्ता दिखा चुका है और वर्तमान स्थितियों में पूरा विश्व जिन परिस्थितियों में फंसा हुआ है, ऐसे में भारत ही संकट मोचक बन कर आगे आया है और इन परिस्थितियों का लाभ उठाकर भारत न सिर्फ पूरी दुनिया का नेतृत्व करने की दिशा में अग्रसर हो रहा है, बल्कि स्वयं अपना भविष्य भी स्वर्णिम बनाने की दिशा में अग्रसर हो रहा है। यदि हम भारत के अतीत की बात करें तो ईसवी वर्ष के प्रारंभ से लेकर सन 1500 तक भारत विश्व का सबसे धनी देश था। ईसा पूर्व की 15 शताब्दियों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का हिस्सा 35-40 प्रतिशत बना रहा। ब्रिटिश आर्थिक लेखक श्री एंगस मेडिसन एवं अन्य कई शोध पत्रों के अनुसार मुगलकालीन आर्थिक गतिरोध के बावजूद 1700 ईसवी में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान 24.4 प्रतिशत था। ब्रिटिश औपनिवेशिक शोषण के दौर में यह घटक्र 1950 में मात्र 4.2 प्रतिशत रह गया था।

हार्वर्ड विश्व विद्यालय के जेफ्रे विलियमसन के ‘इंडियाज दी इंडस्ट्रियलाइजेशन इन 18 एडं 18 सेंचुरीज’ के अनुसार वैश्विक औद्योगिक उत्पादन में भारत का हिस्सा, ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत आने के समय जो 1750 में 25 प्रतिशत था, घट कर 1900 में 2 प्रतिशत तक आ गया और इंग्लैंड का हिस्सा जो 1700 में 2.9 प्रतिशत था, 1870 तक ही बढ़ कर 9 प्रतिशत हो गया। भारत में पढ़ाई जा रही आर्थिक पुस्तकों में प्राचीन भारत के आर्थिक वैभव काल का वर्णन नहीं के बराबर ही मिलता है। वैसे भी भारत को अतीत में सोने की चिड़िया यूं ही नहीं कहा जाता था। प्राचीन भारत में कुटीर उद्योग खूब फल-फूल रहा था, इससे सभी नागरिकों को रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हो रहे थे एवं हर वस्तु का उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता था। ग्रामीण स्तर पर भी आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता था। वस्तुओं के दाम कोई भी मनमाने नहीं बढ़ा सकता था। वस्तुओं का उत्पादन जब-जब बहुत अधिक हो जाता था, उनके दामों में कमी भी कर दी जाती थी। प्राचीन गं्रथों का यदि अध्ययन किया जाये तो स्पष्ट रूप से पता चलता है कि शासन व्यवस्था के विभिन्न आयामों की विधिवत व्यवस्था का उल्लेख है।

भारत के गौरवमयी इतिहास को नजर तब लगी जब देश को लूटने के मकसद से विदेशी आक्रांताओं ने भारत में प्रवेश किया और लूटने के साथ-साथ भारत को गुलाम भी बना लिया। मुगलों एवं अन्य वंशों का लंबे समय तक शासन रहा। इसके बाद रही-सही कसर अंग्रेजों ने पूरी कर दी। एक लंबी गुलामी के बावजूद भारत ने यथासंभव अपनी सभ्यता-संस्कृति, रीति-रिवाजों एवं विरासत को बचाने का प्रयास किया। गुलामी के दौर के बात तो है ही, साथ ही साथ आजादी के बाद भी भारत समय-समय पर वैश्विक महाशक्तियों के षड़यंत्रों का शिकार होता रहा किंतु वैश्विक महाशक्तियों के षड़यंत्रों से निजात पाने का दौर तब शुरू हुआ जब देश में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी। अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में जब पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध भारत पर थोपा तो भारत ने अपनी एक-एक इंच भूमि खाली कराने का निर्णय लिया। उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने अटल जी को वार्ता के लिए अमेरिका बुलाया किंतु अटल जी ने यह कहते हुए अमेरिका जाने से मना कर दिया कि जब तक भारत कारगिल की एक-एक इंच भूमि खाली नहीं करा लेता, तब तक वे कहीं भी नहीं जायेंगे। इसका सीधा सा आशय यह है कि कारगिल के मामले में भारत ने किसी भी विदेशी दबाव को मानने से इंकार कर दिया।

हालांकि, अटल जी से पहले श्रीमती इंदिरा गांधी एवं श्री लालबहादुर शास्त्री जी ने कई मौकों पर वैश्विक दबावों को मानने से इंकार कर दिया था। हालांकि, उस समय वैश्विक ताकतों के समक्ष मजबूती से खड़ा होना आज की परिस्थितियों के मुताबिक थोड़ा कठिन था। इस दृष्टि से यदि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों की बात की जाये तो पूरा विश्व किसी न किसी समस्या की वजह से अपने आप में उलझा हुआ है। कभी-कभी तो लगता है कि विश्व युद्ध तत्काल शुरू हो सकता है। रूस-युक्रेन, इजरायल-हमास का युद्ध, ईराक-ईरान, सीरिया एवं अन्य देशों में जो उथल-पुथल मची हुई है, उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। अमेरिका यदि इजरायल के साथ है, तो ईरान इजरायल के विरुद्ध हो गया है। लेबनान भी ईजरायल के विरोध में खड़ा है। रूस-यूक्रेन, इजरायल-हमास के मामलों में तो पूरी दुनिया अलग-अलग धु्रवों में बंट चुकी है। कुछ देश यदि तटस्थ हैं तो वे इसलिए कि उनकी क्षमता इस लायक नहीं है कि वे विपक्ष में खड़ा हो सकें। चीन जैसा देश अपनी विस्तारवादी नीति से अभी भी बाज नहीं आ रहा है। उसका अपने अधिकांश पड़ोसियों के साथ विवाद चल रहा है। महाशक्तियां अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किसी भी सीमा तक जाने को तैयार हैं। ऐसे में वैश्विक महाशक्तियां अपना भरोसा खो चुकी हैं। इन महाशक्तियों पर अधिकांश देश विश्वास नहीं करते। तमाम देशों को लगता है कि महाशक्तियां उनका उपयोग करके उन्हें कब धोखा दे दें, कुछ नहीं कहा जा सकता है।

ऐसी स्थिति में भारत ही पूरी दुनिया में एक मात्र ऐसा देश है जो ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना से काम कर रहा है यानी भारत पूरी दुनिया को एक परिवार मान कर काम कर रहा है। भारत इजरायल से सीधे बात करता है तो फिलिस्तीन की भी आपदा में मदद करता है। भगवान महावीर के ‘अहिंसा परमो धर्मः’ एवं ‘जियो और जीने दो’ के सिद्धांतों का अक्षरशः पालन कर रहा है।

भगवान महावीर जी के इन्हीं सिद्धांतों का पालन करते हुए भारत पूरे विश्व के कल्याण के लिए कार्य कर रहा है। इन्हीं कारणों से भारत पूरी दुनिया में आशा की किरण बन कर उभरा है और पूरी दुनिया भारत से इस बात की उम्मीद कर रही है कि उथल-पुथल एवं अस्थिर विश्व को भारत ही दिशा दिखा सकता है। गौरतलब है कि वर्तमान परिस्थितियों में खुद संभल कर चलते हुए भारत पूरी दुनिया को सुख-शांति एवं समृद्धि की तरफ ले जाने के लिए प्रयासरत है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में भारत को इस दिशा में निरंतर कामयाबी मिल भी रही है। वर्तमान दौर में भारत के बारे में यदि यह कहा जाये कि भारत अपने स्वर्णिम भविष्य की ओर निरंतर अग्रसर हो रहा है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। कोरोना काल में जब पूरा विश्व घुटनों के बल लेट गया था तो भारत ने अपना पुराना काढ़ा व्यापक रूप से निकाला। भारतीयों ने स्वयं काढ़ा पीकर अपनी जान की रक्षा तो की ही, साथ ही दुनिया के अनेकों देशों को मुफ्त में काढ़ा दिया भी।

जब दुनिया को काढ़े के बारे में पता चला तो पूरी दुनिया ने दांतों तले ऊंगली दबा ली और तब दुनिया को लगा कि भारत यूं ही विश्व गुरु नहीं था। बात सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। कोरोना से जब लोग पूरी दुनिया में जान गंवाने लगे तो भारत ने तमाम देशों को निःशुल्क वैक्सीन भी दी। वैसे भी दुनिया की महाशक्तियों ने गरीब देशों को मुफ्त में वैक्सीन देने की हिम्मत नहीं जुटाई। महाशक्तियों की वैक्सीन यदि कोई गरीब देश खरीदना भी चाहता तो उसकी कीमत सुनकर गरीब देशों के हाथ-पांव फूल गये। ऐसे में भारत ने ही पूरी दुनिया में इंसानियत और मानवता का झंडा बुलंद करते हुए ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की तर्ज पर कार्य किया और कमजोर से कमजोर देश की मदद की। आज यही कारण है कि मोदी जी जब विदेश जाते हैं तो उनके समकक्ष उनका पैर छूते हुए दिखाई देते हैं। ऐसा इसलिए हो पा रहा है कि भारत ने मुसीबत के वक्त ऐसा काम किया है।

कुल मिलाकर कहने का आशय यह है कि विगत 10 वर्षों में भारत के लिए परिस्थितियां तेजी से बदली हैं और भारत पुनः विश्व गुरु बनने की तरफ अग्रसर हो रहा है। अब भारत कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होकर अन्य देशों की मदद भी कर रहा है। चीन की कुटिल चालों से बुरी तरह बर्बाद हुए श्रीलंका की भारत ने भरपूर मदद की। भारत ने श्रीलंका को 350 करोड़ अमेरिकी डालर से अधिक की खाद्य सामग्री और दवाइयों की आपूर्ति भी की है। इसी प्रकार अफगानिस्तान को मानवीय आधार पर काफी मात्रा में जीवन रक्षक दवाइयों, टीबी-रोधी दवा, कोविडरोधी टीके आदि भेज चुका है। आस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश के प्रधानमंत्री यदि कहते हैं कि ‘मोदी जी इज बोस’ तो यह अपने अप में बहुत बड़ी बात है। मोदी जी की विदेशों में बड़ी-बड़ी जनसभाएं हो रही हैं तो भारत के लिए बेहद गर्व की बात है। जिस चीन से भारत को 1962 में मात खानी पड़ी थी, उसी चीन को डोकलाम एवं गलवान घाटी में मुंह की खानी पड़ी। जी 20 के सफलतापूर्वक आयोजन से पूरी दुनिया में भारत की धाक बढ़ी है। आज भारत की स्थिति दुनिया में पिछलग्गू देश की नहीं बल्कि अग्रणी देश की है। यूक्रेन में जब भारतीय छात्र फंसे थे तो वहां की सरकार ने कहा कि भारतीय छात्र तिरंगा लेकर निकलें तो उन्हें बिना खतरे के निकलने में आसानी होगी। इस तिरंगे का सहारा लेकर वहां से निकलने में पाकिस्तान एवं अन्य देशों के भी छात्र कामयाब रहे। भारत ने पांच सौ वर्ष पुराने विवाद को शांति पूर्ण तरीके से सुलझा कर भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनाकर इतिहास तो रचा ही, साथ ही सउदी अरब में अक्षरधाम मंदिर का बनना कम महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्या? क्या कभी किसी ने सोचा था कि ऐसा हो सकता है किंतु ऐसा हुआ और अभी बहुत कुछ होगा।

जब से रूस और यूक्रेन में युद्ध शुरू हुआ है तब से पूरी दुनिया में गेहूं की उपलब्धता में कमी आई है क्योंकि रूस एवं यूक्रेन दोनों ही देश गेहूं का सबसे अधिक निर्यात करते हैं। ऐसे में कई देशों में भारत के द्वारा गेहूं का निर्यात किया जा रहा है। हालांकि, भारत ने अपने देश में गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता बनाये रखने के उद्देश्य से 13 मई 2022 को गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी, परंतु इसके बावजूद मानवीय पहलुओं को ध्यान में रखकर भारत 12 देशों को 10 लाख टन से अधिक गेहूं का निर्यात कर चुका है। अभी तक जिन देशों को गेहूं का निर्यात किया गया है उनमें दक्षिण कोरिया, वियतनाम, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, ओमान, फिलीपीन, श्रीलंका, सूडान, थाइलैंड, स्विटजरलैंड, भूटान, इजरायल, इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल और यमन शामिल हैं। अब तो भारत ने रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा दिया है। कई रक्षा उत्पादों का निर्यात भी किया जा रहा है। भारत का स्वदेशी निर्मित तेजस हलका लड़ाकू विमान मलेशिया की पसंद बन कर उभरा है। मलेशिया ने अपने पुराने लड़ाकू विमानों के बेड़े को बदलने की प्रतिस्पर्धा की थी, जिसमें चीन के जेएफ-17, दक्षिण कोरिया के एफए-50 और रूस के मिग 35 के साथ याक 130 से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद मलेशिया ने भारतीय विमान तेजस को पसंद किया। आज देश की कई सरकारी एवं निजी क्षेत्र की कंपनियां विश्व स्तर के रक्षा उपकरण भारत में बना रही हैं एवं उनके लिए विदेशी बाजारों के दरवाजे खोल दिये गये हैं। इस श्रृखला में 30 दिसंबर 2020 को अत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत केन्द्र सरकार ने स्वदेशी मिसाइल आकाश के निर्यात को अपनी मंजूरी दी थी। आकाश मिसाइल भारत की पहचान है एवं यह एक स्वदेशी (96 प्रतिशत) मिसाइल है।

किसी समय भारत जब इस्लामिक आतंकवाद से पीड़ित था तो महाशक्तियों के समक्ष जब वह अपनी पीड़ा रखता था तो महाशक्तियां भारत की मदद करने के बजाय उसका उपहास उड़ाती थीं किंतु समय चक्र ऐसा बदला कि तमाम महाशक्तियों को इस्लामिक आतंकवाद का भरपूर स्वाद चखना पड़ रहा है। इस्लामिक आतंकवाद से निपटने के लिए आज वही महाशक्तियां भारत का साथ लेने के लिए लालायित हो रही हैं। इन बातों का यदि विश्लेषण किया जाये तो बिना किसी लाग-लपेट के कहा जा सकता है कि भारत ने अपनी स्थिति पूरी दुनिया में यूं ही मजबूत नहीं की है बल्कि अपने को सभी क्षेत्रों में प्रमाणित करने का काम किया है। अपने देश में एक बहुत प्राचीन कहावत प्रचलित है कि यदि नीयत साफ हो तो प्रकृति भी कदम-कदम पर मदद करती है। वास्तव में भारत के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है। विकास की दृष्टि से आंकड़ों की बात की जाये तो वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान तो भारत से कृषि उत्पादों का निर्यात लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए अपने उच्चतम स्तर 5,000 करोड़ अमेरिकी डालर पर पहुंच गया। गेहूं के निर्यात ने 273 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की एवं चावल के निर्यात में भारत ने वैश्विक स्तर पर 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी हासिल कर ली है। इसी प्रकार भारत का समुद्री निर्यात भी दिन-प्रतिदिन नये-नये कीर्तिमान बना रहा है। समुद्री उत्पादों का निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 30.26 प्रतिशत से बढ़कर 776 करोड़ अमेरिकी डालर तक पहुंच गया। भारत ने 13,69,268 टन समुद्री खाद्य उत्पादों का निर्यात किया। इसी प्रकार कपड़ा, हस्तशिल्प एवं अन्य क्षेत्रों में भी भारत निरंतर तरक्की कर रहा है।

आज भारत की प्रतिभाएं पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। दुनिया के जो देश किसी समय भारत को मात्र सपेरों का देश समझते थे, आज उनका काम भारतीय प्रतिभाओं के बिना मुश्किल हो रहा है। आज भारत दुनिया में किसी भी देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। दुनिया का कोई भी देश आज बलपूर्वक भारत को झुकाने की स्थिति में नहीं है। निश्चित रूप से भारत इसका हकदार भी है। इस प्रगति के पीछे भारतीयों का संकल्प भी है। आज का भारत सिर्फ भाग्य भरोसे नहीं बैठा है, वह सभी क्षेत्रों में अपने को प्रमाणित करने के लिए निरंतर संघर्ष कर रहा है। वास्तव में ऐसी उपलब्धियों पर भारतीयों का सीना गर्व से चैड़ा होता है और हर भारतीय की यही इच्छा है कि भारत की यह लय निरंतर बरकरार रहनी चाहिए और भारत के लिए सर्वदृष्टि से यही अच्छा भी है और प्रत्येक भारतीय को इसके लिए प्रयत्न भी करना चाहिए।

– सिम्मी जैन (दिल्ली प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य- भाजपा, पूर्व चेयरपर्सन – समाज कल्याण बोर्ड- दिल्ली, पूर्व निगम पार्षद (द.दि.न.नि.) वार्ड सं. 55एस।)

About The Author

admin

See author's posts

252

Like this:

Like Loading...

Related

Continue Reading

Previous: “अब की बार चार सौ पार” लक्ष्य भेदने में जुटे भाजपा कार्यकर्ता
Next: वैश्विक अस्थिरता को अवसर मानकर भारत को आत्मनिर्भर होना होगा…

Related Stories

marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

admin 20 August 2025
brinjal farming and facts in hindi
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

admin 17 August 2025
Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

admin 11 August 2025

Trending News

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4 1
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

20 August 2025
Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व brinjal farming and facts in hindi 2
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

17 August 2025
भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan 3
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

11 August 2025
पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें Khushi Mukherjee Social Media star 4
  • कला-संस्कृति
  • मीडिया
  • विशेष
  • सोशल मीडिया

पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें

11 August 2025
दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार BJP Mandal Ar 5
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

2 August 2025

Total Visitor

081039
Total views : 147693

Recent Posts

  • Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व
  • Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व
  • भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम
  • पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें
  • दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved 

%d