शिवम प्रताप यदुवंशी | यह साबित हो चुका है कि योग बीमारियों की रोकथाम और प्रबंधन के अलावा स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का एक कारगर तरीका है।भारत में योग (great way to stay fit by Yoga in hindi) की शुरुआत 3000 ईसा पूर्व से ही हो चुकी थीl योग में बढ़ते वैज्ञानिक शोध के साथ-साथ इसके उपचारात्मक पहलुओं की भी खोज की जा रही है। बताया जाता है कि योग तनाव और चिंता को कम करता है।1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में उपस्थिति के बाद, स्वामी विवेकानंद ने यूएसए में योग की शुरुआत की। उन्होंने योगाभ्यास पर व्यापक रूप से व्याख्यान दिए, वेदांत सोसाइटी की स्थापना की और कई किताबें लिखीं। फिर योग को पश्चिम में कई शिक्षकों द्वारा प्रचारित किया गया।
योग को एक सरल और किफायती चिकित्सीय पद्धति के रूप में दर्शाया गया है जिसे गैर इंसुलिन निर्भर मधुमेह (एनआईडीडीएम) रोगियों के लिए लाभकारी माना जा सकता है।योग अन्य आत्म-सुखदायक तकनीकों जैसे ध्यान, विश्राम और व्यायाम की तरह काम करता है। कथित तनाव और चिंता को कम करके, योग तनाव प्रतिक्रिया प्रणालियों को संशोधित करता प्रतीत होता है। यह बदले में शारीरिक उत्तेजना को कम करता है, जैसे कि हृदय गति को कम करना, रक्तचाप को कम करना और श्वसन को आसान बनाना। इस बात के भी प्रमाण हैं कि योग (great way to stay fit by Yoga in hindi) अभ्यास हृदय गति परिवर्तनशीलता को बढ़ाने में मदद करते हैं, जो शरीर की तनाव को अधिक लचीले ढंग से प्रतिक्रिया करने की क्षमता का एक संकेतक है। समीक्षाओं में बताया गया है कि योग कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए थकान, अनिद्रा, मूड में गड़बड़ी और तनाव जैसे लक्षणों को प्रबंधित करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में फायदेमंद है।
योग सही तरह से जीने का विज्ञान है और इसलिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक, आदि सभी पहलुओं पर काम करता है।वैज्ञानिकों के अनुसार, योग चिकित्सा तंत्रिका और अंतःस्रावी तंत्र में बनाए गए संतुलन के कारण सफल होती है जो शरीर के अन्य सभी प्रणालियों और अंगों को सीधे प्रभावित करती है। दुनिया की अस्सी प्रतिशत आबादी मोटापे से ग्रस्त है। हालांकि योग को अपनी जीवनशैली में शामिल करके हम मोटापे को नियंत्रित कर सकते हैं। योग करने से शरीर लचीला बनता है।यह हमारी मांसपेशियों को मजबूत करता है और शरीर से अतिरिक्त चर्बी को कम करता है। यह हमारे पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है। नियमित आधार पर योग का अभ्यास करने से, बच्चे अपनी मुद्रा और लचीलेपन में सुधार कर सकते हैं, साथ ही अपनी याददाश्त और समग्र मनोदशा को भी बेहतर बना सकते हैं।
स्कूली बच्चों में योग करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। योग आसनों का अभ्यास करके, छात्रों में सहनशक्ति और धैर्य का विकास होता है। खेल के माध्यम से सीखने से बच्चों को गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल होने और ज्ञान प्राप्त करने के अनुभव को खुशी की भावनाओं से जोड़ने में मदद मिलती है।अधिक आयुवर्ग के लोगों को अधोमुख शवासन का नियमित अभ्यास जरूर करना चाहिए। विशेषकर उम्र बढ़ने के साथ होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं को कम करने में इसके काफी लाभ माने जाते हैं। यह योग मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है जिससे दिमाग तेज होता है और उम्र के साथ होने वाली याददाश्त जैसी समस्याओं का खतरा कम होता है। तनाव के स्तर को कम करने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। दुनियाभर में अब योग का प्रचलन बढ़ गया है। योग को हिन्दू धर्म से जोड़कर देखने के चलते बहुतों के मन में इसको लेकर विरोध भी है और संदेह भी।
हालांकि योग मानता है कि स्वयं तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले अपने शरीर को ही सीढ़ी बनाना होगा अत: इसका स्वस्थ रहना जरूरी है। एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन और आत्मा का निवास होता है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग बालासन का अभ्यास रोजाना कर सकते हैं। इस आसन को करना काफी आसान होता है। इस आसन को करने से शरीर शांत होता है। इससे पाचन तंत्र बेहतर होता है। खासकर, महिलाओं के लिए इस आसन को करना अच्छा साबित होता है। बालासन करने से मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।
व्यास द्वारा योग सूत्र पर बहुत महत्वपूर्ण टीका भी लिखी गई। इसी अवधि के दौरान मन को महत्व दिया गया तथा योग साधना के माध्यम से स्पष्ट से बताया गया कि समभाव का अनुभव करने के लिए मन एवं शरीर दोनों को नियंत्रित किया जा सकता है। 800 ईसवी – 1700 ईसवी के बीच की अवधि को उत्कृष्ट अवधि के बाद की अवधि के रूप में माना जाता है जिसमें महन आचार्यत्रयों – आदि शंकराचार्य, रामानुजाचार्य और माधवाचार्य – के उपदेश इस अवधि के दौरान प्रमुख थे। इस अवधि के दौरान सुदर्शन, तुलसीदास, पुरंदरदास, मीराबाई के उपदेशों ने महान योगदान दिया।
हठयोग परंपरा के नाथ योगी जैसे कि मत्स्येंद्र नाथ, गोरख नाथ, गौरांगी नाथ, स्वात्माराम सूरी, घेरांडा, श्रीनिवास भट्ट ऐसी कुछ महान हस्तियां हैं जिन्होंने इस अवधि के दौरान हठ योग की परंपरा को लोकप्रिय बनाया। अब समकालीन युग में स्वास्थ्य के परिरक्षण, अनुरक्षण और संवर्धन के लिए योग में हर किसी की आस्था है। स्वामी विवेकानंद, श्री टी कृष्णमचार्य, श्री अरविंदो, महर्षि महेश योगी, आचार्य रजनीश, बी के एस आयंगर, स्वामी सत्येंद्र सरस्वती आदि जैसी महान हस्तियों के उपदेशों से आज योग पूरी दुनिया में फैल गया है। योग फिट रहने का एक बेहतरीन तरीका है।
(लेखक शिवम प्रताप यदुवंशी मुरादाबाद उत्तर प्रदेश के सिद्धि विनायक प्राइवेट लिमिटेड के संचालक है एवं स्वतंत्र लेखन करते है। लेखक द्वारा लिखे गए दर्जनों लेख जैसे सत्य अधूरा है ,स्त्री कमजोर नहीं स्त्री को हमारा समाज कमजोर करता है, हिन्दी सिर्फ़ एक भाषा नहीं हिंदी हमारा गौरव है ,विभाजन ,ख़त्म होता हिन्दी शब्द आदि रचना कई अख़बार तथा पत्रिका में शामिल हो चुके है। लेखक के कई किताबों में भी लेख प्रकाशित हो चुके है जैसे काव्य दर्पण, फुलबारी, काव्य संगम, नारी शक्ति, काव्य सुरभि आदि। लेखक की किताब मुसाफ़िर प्रकाशित हो चुकी है।)