भारतीय परंपराओं और हिन्दू धर्म के अनुसार माना जाता है कि भगवान हनुमान बाल ब्रह्मचारी थे और महिलाओं से हमेशा दूरी बना कर रखते थे। इसलिए आज भी महिलाओं के द्वारा राम भक्त हनुमान की प्रतिमा को हाथ नहीं लगाया जाता। लेकिन, इस हनुमान मंदिर में महिलाएं भी हनुमान जी की पूजा कर सकती हैं। क्योंकि, छत्तीसगढ़ के रतनपुर गांव में भगवान हनुमान का यह एक ऐसा मंदिर है जिसमें स्वयं हनुमान जी की मूर्ति एक महिला के रूप में हैं।
वैसे तो कई धार्मिक किताबों में इस बात का जिक्र मिलता है कि भगवान हनुमान जी नारी स्वरूप में भी पूजे जाते हैं। मगर प्रमाण की बात की जाए तो यह अनोखा मंदिर इस बात को सच साबित करता है कि पुराणों में लिखी बात सत्य है।
भगवान हनुमान की इस मूर्ति को लेकर यहां एक दन्तकथा प्रचलित है। जिसके अनुसार माना जाता है कि हजारों साल पहले यहां के राजा ने एक ऐसा सपना देखा जिसमें उन्हें एक ऐसे रूप के दर्शन हुए जो वास्तव में है ही नहीं। उन्होंने संकटमोचन हनुमान को देखा, लेकिन स्त्री रूप में। वे दिख तो रहे थे लंगूर की ही तरह, लेकिन उनकी पूंछ नहीं थी, उनके एक हाथ में लड्डू से भरी थाली थी और दूसरे हाथ में राम मुद्रा। कानों में कुंडल व माथे पर सुंदर मुकुट माला भी थी। उनका यह दृश्य देख राजा को आश्चर्य हुआ।
सपने में भगवान हनुमान के स्त्री रूप ने राजा से कहा कि- “हे राजन, मैं तेरी भक्ति से अत्यंत प्रसन्न हूं और तुम्हारा कष्ट अवश्य दूर करूंगा। मेरे लिए तू एक मंदिर का निर्माण करवा और उसमें मुझे बैठा। उस मंदिर के पीछे एक तालाब भी खुदवा देना, जिसमें मेरी विधिवत पूजा करते हुए तू स्नान करना। तभी तेरे शरीर का कुष्ठ रोग ठीक होगा।
नींद खुलते ही उस राजा ने गिरजाबन्ध में हनुमान जी का मंदिर बनवाना शुरु करवा दिया और जब मंदिर बन कर तैयार होने ही वाला था कि एक बार फिर, भगान हनुमान ने उस राजा को सपने में आकर बताया कि – मां महामाया के कुण्ड में मेरी मूर्ति रखी हुई है। हे राजन् तू उसी मूर्ति को लाकर इस मंदिर में स्थापित करवा दे।
अगले दिन राजा अपने परिजनों और पुरोहितों के साथ देवी महामाया के मंदिर में या और उस मूर्ति की खोज करवाई। और जब हनुमान जी की उस मूर्ति को खोजकर बाहर निकाला गया तो उसे देखकर सब हैरान हो गए। क्योंकि हनुमान जी की वह मूर्ति तो एक महिला के रूप में थी। राजा खूद भी उस मूर्ति को देखकर हैरान हुआ। फिर राजा ने सबको बताया कि यह तो हनुमान जी का वही रूप है जिसे उसने अपने सपने में देखा था। मूर्ति को बाहर निकलवाया गया और जल्द से जल्द उसकी स्थापना भी करवाई दी। हनुमान जी के निर्देश के अनुसार मंदिर के पीछे तालाब भी खुदवाया दिया गया।
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हनुमान जी के इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो भी भक्त यहां श्रद्धा भाव से इस प्रतिमा के दर्शन करते हैं, उनकी सभी मनोकामना जरूर पूरी होती है और लोगों की श्रद्धा व भावना से भरपूर इस मंदिर में हर समय लोगों का आना-जाना लगा रहता है।
हनुमान जी की यह मूर्ति कितनी पुरानी है इस बारे में कोई भी स्पष्ट प्रमाण मौजूद नहीं हैं। लेकिन इस मूर्ति को देखकर आसानी से कहा जा सकता है कि इस एक ही मूर्ति के माध्यम से हनुमान जी के कई पराक्रमों को दर्शाया गया है।
इस मूर्ति में भगवान हनुमान जी के एक स्त्री के रूप के अलावा और भी ऐसी कई सारी विशेषताएं हैं जिससे यह मूर्ति अनोखी मानी जाती है। जबकि, हनुमान जी की यह मूर्ति एक स्त्री के रूप में क्यों है इस बात का किसी के पास भी कोई स्पष्ट उत्तर नहीं है।
मूर्ति में हनुमान जी का मुख दक्षिण की ओर है और साथ ही मूर्ति में पाताल लोक का भी चित्रण है। इस मूर्ति में हनुमान जी को रावण के पुत्र अहिरावण का संहार करते हुए दर्शाया गया है।
यहां हनुमान के बाएं पैर के नीचे अहिरावण और दाएं पैर के नीचे कसाई दबा हुआ है। जबकि मूर्ति में हनुमान जी के कंधों पर भगवान राम और लक्ष्मण की झलक देखने को मिलती है। उनके एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में लड्डू से भरी थाली भी है।
हनुमान जी का यह मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से 25 कि. मी. की दूरी पर रतनपुर में स्थित है। रतनपुर को महामाया नगरी भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर मां महामाया देवी मंदिर और गिरजाबंध में स्थित हनुमानजी का यह मंदिर है। इस छोटे से नगर में हनुमान जी का यह विश्व में इकलौता ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी का पूजन नारी के रूप में किया जाता है।
– गणपत सिंह, खरगौन (मध्य प्रदेश)