ऋषि तिवारी | नोएडा। इंडियन हेड इंजरी फाउंडेशन (Indian Head Injury Foundation) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर जयश्री ने कहा, हम उन बीपीएल मरीजों का विशेष ध्यान रखते हैं जो महंगी चिकित्सा सुविधाओं को अफोर्ड नहीं कर पाते। हमारे यहां ऐसे भी मरीज हैं जो आईटी स्पेशलिस्ट हैं। सड़क दुर्घटना में स्पाइनल कोड इंजरी के कारण उनके दोनों पैर काम नहीं करते। फिर भी हमने उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है।
फिजियो थेरेपी विभागाध्यक्ष डॉक्टर तरुण लाल ने कहा, कुछ मरीज ऐसे होते हैं जिनका लंबे समय तक इलाज चलता है। ऐसे मरीजों के लिए चिकित्सा सुविधाएं जुटा पाना गरीब तबके के लोगों के असंभव सा हो जाता है। इसी समस्या को ध्यान में रख कर जोधपुर के राजा गजसिंह द्वितीय ने 2007 में इंडियन हेड इंजरी फाउंडेशन नाम से एक संस्था का गठन किया था। उनका एक ही मकसद रहा है कि जैसे भी संभव हो, गरीबों तक पहुंचा जाए।
उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग का व्यक्ति तो किसी तरह बड़े असपतालों तक पहुंच जाता है, लेकिन जो कमजोर वर्ग का व्यक्ति है या जिसके पास कोई नौकरी नहीं है, उसका जीवन तो धन के अभाव में भार बन जाता है। उसके लिए इलाज करा पाना बिलकुल असंभव सा हो जाता है। ऐसे लोगों की मदद के लिए हमारी संस्था सदैव तत्पर रहती है।
IHIF: हेड इंजरी का यह मतलब नहीं कि जीवन बेकार-
डॉक्टर लाल ने कहा कि किसी को हेड इंजरी (head injury patients Treatment) हो गई है तो इसका यह मतलब कतई नहीं है कि उसका जीवन बेकार हो चुका है। चिकित्सा विज्ञान इतना विकसित हो चुका है कि ऐसे मरीजों को अपने पैर पर खड़े होने लायक बना सकता है। अगर कोई डॉक्टर अनजाने में यह बोलता है कि मरीज का जीवन बेकार हो चुका है और अब उसे दूसरों की सेवा पर निर्भर रहना होगा तो यह बिलकुल गलत है। क्योंकि हमारी संस्था ऐसी बातों को झुठला चुकी है। हमारे यहां तो ऐसे भी मरीज हैं, जिनका हाथ पैर कुछ भी काम नहीं कर रहा था। लेकिन अब वे अपना व्यवसाय भी संभालने में सक्षम हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे मरीजों को डिसएबल कहना गलत होगा। सरकार की नीतियों के अनुसार उन्हें डिफरेंटली एबल कहा जाना चाहिए। ऐसे की लोगों के लिए फिजियोथेरेपी वरदान साबित हो रही है। इसी संदर्भ में हमारे कुछ मरीजों ने बताया कि आप बैठे बैठे भी तमाम क्षेत्रों में बहुत अच्छा कर सकते हैं। और हमारे मरीज वैसा कर भी रहे हैं। ऐसे मरीज प्रशासनिक सेवा में अच्छा कर रहे हैं। उनके लिए टीवी, रेडियो और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के दरवाजे खुले हैं। हम ऐसी कंपनियों, प्रतिष्ठानों और लोगों के शुक्रगुजार हैं जो हमारे मरीजों को बेहतर मौका दे रहे हैं।
IHIF: फिजियोथेरेपी का रोल काफी महत्वपूर्ण –
डॉक्टर सुप्रिया ने कहा कि फिजियोथेरेपी का रोल काफी महत्वपूर्ण है। आस्टो अथराइटिस की बात करें तो पहले उससे बुजुर्ग ही परेशान होते थे, लेकिन अब उसने युवाओं को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। इसलिए आपको नियमित व्यायाम पर विशेष रूप से ध्यान देना होगा। क्योंकि एक्सरसाइज एक दवा की तरह है। जैसे आप दवा की सारी गोलियां एक साथ नहीं खा सकते, ठीक उसी प्रकार रेगुलर एक्सरसाइज को ठीक से समझना होगा। उसकी भी मात्रा दवा की ही तरह तय करनी होगी। तभी पर्याप्त लाभ मिल पाएगा।
घुटनों की समस्या पर उन्होंने कहा कि घुटना तो एक हड्डी है। उसे ताकत देती हैं मांसपेशियां। और मांसपेशियों को मजबूत रखने के लिए एकमात्र उपाय है एक्सरसाइज। यहां तक कि लोग घुटना बदलवा देते हैं तो भी उनकी समस्या खत्म नहीं होती। इसलिए घुटना बदलवाने से पहले मांसपेशियों को मजबूत करना बहुत जरूरी हो जाता है। शरीर में दर्द तो एक संकेत मात्र है कि बीमारी आने वाली है। इसलिए बीमारी आने से पहले ही एक्सरसाइज या फिजियोथेरेपी के महत्व को समझने का प्रयास शुरू कर देना चाहिए।
IHIF: दिन प्रतिदिन की गतिविधियों में हेड इंजरी आम बात –
बता दें कि महिलाएं, बच्चे और पुरुष आए दिन हेड इंजरी (head injury patients Treatment) के कारण प्रभावित होते हैं। वे या तो कभी गिर जाते हैं या कभी सड़क दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। खेल गतिविधियों में भी हेड इंजरी के केस सामने आते रहते हैं। इन दिन प्रतिदिन की गतिविधियों में हेड इंजरी आम बात हो गई है। और उससे लाखों लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। यहां तक कि उससे लोगों की आजीविका भी छिन जाती है।
सड़कों पर यातायात इतना खतरनाक हो चुका है कि देश में एक मिनट के अंतराल पर एक मौत या एक सीरियस इंजरी का केस सामने आ जाता है। क्योंकि भारत में 18 करोड़ से ज्यादा वाहन हैं, जिनमें 50 प्रतिशत सड़कों पर होते हैं। ऐसे में दुर्घटना से बच पाना बहुत मुश्किल हो गया है। तभी तो दुर्घटना के शिकार लोगों के जीवन में एक नया सवेरा लाने के लिए इंडियन हेड इंजरी फाउंडेशन की टीम पूरी कार्यकुशलता के साथ सक्रिय है।