आज की तारीख में कोलेस्ट्राॅल भारत के नागरिकों के लिए सबसे घातक और सबसे बड़ा शत्रु बनता जा रहा है। हालांकि, इससे दुनिभर के लोग परेशान हैं लेकिन, भारत के लिए यह पीठ में छूरा घोंपने वाला शत्रु बनता जा रहा है। इसलिए कोलेस्ट्राॅल से न सिर्फ सावधान रहने की बल्कि इससे दूरी बनाये रखने की भी आवश्यकता है।
कोलेस्ट्राॅल उन्हीं लोगों का शत्रु है जो इसको नजरअंदाज करते हुए अपनी दिनचर्या में सबसे अधिक फास्ट फूड और नाॅन वेज या अप्राकृतिक भोजन को अधिक से अधिक महत्व देते हैं और चटकारे लेकर खाते हैं। और इस हिसाब से देखें तो दुनिया इस बात को मानने लगी है कि भारत क शुद्ध और प्राकृतिक भोजन और प्राकृतिक जीवन शैली ही शत-प्रतिशत स्वास्थ्यवर्धक है, न कि पश्चिमी फास्ट फूड और अप्राकृतिक खानपान।
दरअसल, कोलेस्ट्राॅल आजकल हार्ट यानी हृदय रोग का सबसे बड़ा दुश्मन बनता जा रहा है। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में हार्ट के मामले काफी तेजी से बढ़ें हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना है कि हृदय रोग दुनियाभर में मौतों के प्रमुख कारणों में से एक बनता जा रहा है।
तो आइए जानते हैं कि आखिर हाई कोलेस्ट्राॅल ऐसी क्या बीमारी है जो इतनी घातक होती जा रही हैै और क्यों इसने अब भारत में भी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है?
दरअसल, कोलेस्ट्राॅल एक प्रकार का ऐसा चिपचिपा पदार्थ है जो हमारे खून को प्रवाहित करने वाली नसों में जमा होता जाता है और जब इसकी मात्रा बढ़ने लगती है तो उन नसों में ब्लाॅकेज हो जाती है जिसके चलते रक्त का प्रवाह कम होने लगता है, उसके परिणामस्वरूप हार्ट अटैक, स्ट्रोक और दिल से जुड़े कुछ अन्य रोग भी होने लगते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, कोलेस्ट्राॅल की वजह से प्रति वर्ष लगभग 18 लाख लोगों की मौत हो जाती है। हालांकि, इसमें एक अच्छी बात यह भी है कि अगर आप कोलेस्ट्राॅल से बचना चाहते हैं तो इसके लिए भी आपको काफी अवसर मिलते हैं। लेकिन, उसके लिए शर्त यही है कि अगर आप शुद्ध रूप से शाकाहारी जीवनचर्या अपनाते हैं और नाॅनवेज से हमेशा दूरी बनाकर रखते हैं तो कोलेस्ट्राॅल भी आपसे दूर ही रहता है।
कोलेस्ट्राॅल से संबंधित खानपान के विषय में ‘‘यूरोपियन हार्ट जर्नल’’ के ताजा अंक में प्रकाशित एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा किया गया है कि वेजिटेरियन और वेगन डाइट कोलेस्ट्राॅल लेवल को काफी हद तक कम कर सकती हैं। इस रिपोर्ट के शोधकर्ताओं के अनुसार वर्ष 1982 और 2022 के बीच अलग-अलग देशों के कुल 2,372 लोगों पर इसका विशेष शोध किया गया। शोधकर्ताओं ने इसमें जो अंतिम निष्कर्ष निकाला वो ये था कि न सिर्फ शाकाहारी यानी की ‘‘वेजिटेरियन’’ और ‘‘वेगन डाइट’’ के जरिए कोलेस्ट्राॅल को कम किया जा सकता है बल्कि इसे जड़ से भी खत्म किया जा सकता है।
यहां हम आपको यह भी बता दें कि ‘वेगन डाइट’ एक ऐसा भोजन है जिसमें किसी भी प्रकार से या किसी भी पशु या उनके उत्पाद जैसे अंडे, मांस और दूध या दूध से बने उत्पाद जैसे पनीर या मक्खन जैसे किसी भी प्रकार के डेरी उत्पाद का आहार नहीं खाया जाता। जबकि इसमें सिर्फ प्राकृतिक तौर पर पाये जाने वाली हरी सब्जियां और अन्य प्रकार का भोजन आदि ही खा सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि प्राकृतिक भोजन से न सिर्फ कोलेस्ट्राॅल कम होता है बल्कि अन्य प्रकार की बीमारियां भी समाप्त होने का अवसर प्राप्त हो जाता है और ‘एथेरोजेनिक’ नामक हृदय रोग को भी न सिर्फ टाला जा सकता है बल्कि उसको समाप्त भी किया जा सकता है।
दरअसल, एक साधारण भाषा में बात करें तो ‘एथेरोस्कलेरोसिस’ एक ऐसी समस्या का नाम है जिसमें धमनियां सख्त होने लगती हैं या सिकुड़ जाती हैं। इसकी वजह से धमनियों में रक्त का प्रवाह धीरे-धीरे बाधित होता जाता है। डाॅक्टरी भाषा में इसे ‘एथरोस्कलेरोटिक कार्डियोवस्कुलर डिजीज’ कहते हैं। इसके कारण हार्ट अटैक का खतरा सबसे अधिक रहता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि प्राकृतिक भोजन में एथेरोस्क्लेरोटिक के बोझ को कम करने की क्षमता होती है और इस तरह हृदय रोग के जोखिम को कम करता है।
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति कोलेस्ट्राॅल कम करने के लिए प्राकृतिक भोजन पर अपनी निर्भरता को कायम रखना चाहे तो वह शत-प्रतिशत लंबी आयु पाप्त कर सकता है। क्योंकि हमने अपने अध्ययन में स्पष्ट रूप से यह पाया है कि जब हमने अपने प्रतिभागियों को प्राकृतिक आहार देना प्रारंभ किया तो पाया कि उनके खराब कोलेस्ट्राॅल में बहुत ही जल्दी सुधार होने लगा और यह करीब 10 प्रतिशत तक गिर गया।
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार अपने नियमित आहार में सबसे अधिक फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए क्योंकि फाइबर हमारे पाचन तंत्र में कोलेस्ट्राॅल को न सिर्फ बांधे रखने में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है बल्कि उसको आने से भी रोक देता है। इसके लिए आप भी अपने आहार में जौ, साबुत अनाज, ओट्स, बीन्स, बैंगन, भिंडी, दालें, वनस्पति तेल, मौसमी फल और सोया उत्पाद को शामिल करें और परंपरागत प्राकृति आहार की ओर अग्रसर हों, न कि अप्राकृतिक जीवन और अप्राकृतिक खान-पान की ओर।
– अशोक सिंह, गाजियाबाद उत्तर प्रदेश