नारकंडा हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले का एक नगर पंचायत है। यह क्षेत्र प्रदेश में भारत-तिब्बत मार्ग यानी नेशनल हाईवे नम्बर 22 कहलाता है जो 2,708 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शिमला से मात्र 65 किमी की दूरी पर हिमालय की पर्वत श्रंृखलाओं में बसा होने के कारण यहां पर्यटकों की भीड़ हमेशा ही बनी रहती है। तो आईए जानते हैं कि नारकंडा में घूमन-फिरने के लिए कौन-कौन से स्थान सबसे खास है और उनकी खासियतें क्या-क्या हैं…
नारकंडा में स्कीइंग का आनंद
नारकंडा भारत-तिब्बत रोड पर 2,708 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है इसलिए यहां से देखने पर दूर-दूर तक बर्फ की पर्वतमाला के सुंदर दृश्य नजर आते हैं। नारकंडा खासकर उन पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थान कहा जा सकता है जो पहाड़ों में कुछ दिनों तक ही सही लेकिन, शांति से रहना चाहते हैं। सेब के अनगिनत बाग और घने जंगलों के बीच का यह स्थान स्कीइंग और विंटर स्पोर्ट्स के लिए प्रसिद्ध है दुनियाभर में मशहूर है। नारकंडा को भारत के सबसे पुराने स्कीइंग डेस्टिनेशन में माना जाता है।
हाटू पीक का दृश्य, नारकंडा
हाटू पीक पूरे शिमला जिले की सबसे ऊँची चोटियों में से एक है। हाटू पीक यानी हाटू पहाड़ की चोटी समुद्र तल से लगभग 12,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है जो नारकंडा में स्थित है – हाटू पीक अन्य पहाड़ों से घिरा हुआ है इसलिए इसकी चोटी से यहां के अन्य पहाड़, आकाश और देवदार के हरे-भरे और घने पेड़ों ढंके हुए से दिखते हैं, हाटू पीक को पृथ्वी पर बसा स्वर्ग भी कहा जा सकता है। यह क्षेत्र अपने देवदार और अन्य प्रकार के जिनमें अधिकतर रंगीन किस्म के दिखने वाले सेब के बागों के लिए सबसे प्रसिद्ध है।
हाटू पीक का नामकरण इस चोटी पर स्थित हटु माता के नाम से हुआ है। हटू माता का यह मंदिर इसी हटू पहाड़ी के सबसे ऊपर थित है। स्थानीय लोगों के लिए हटू माता का यह मंदिर धार्मिक और अध्यात्मिक महत्व का है। मूलरूप से यह मंदिर रावण की पत्नी और देवी मंदोदरी को समर्पित है। पर्यटकों के लिए यह चोटी अत्यंत ही मनोरम और मन को ोह लेने वाली है।
माना जाता है कि इस हटू शिखर पर पांडवकालीन युग का एक ऐसा छोटा चूल्हा भी है, इस मंदिर के दाहिने ओर रखा हुआ है। माना जाता है कि इस चुल्हे का उपयोग पांडवों के द्वारा अज्ञातवास के दौरान अपना भोजन पकाने के लिए किया जाता था।
इसके अलावा हटू पीक मात्र एक पर्यटन स्थल ही नहीं बल्कि यह एक बहुत ही लोकप्रिय ट्रेकिंग स्पाॅट भी है इसलिए टेªकिंग के शौकिन कई लोग इस चोटी के पास ही में अपने तंबू लगाये हुए देख जा सकते हैं।
महामाया मंदिर के बारे में
नारकंडा शहर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महामाया मंदिर प्राचीन काल का एक प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर के आसपास सेब के अनेकों बाग हैं। माता का यह मंदिर एक पहाड़ी की ऊंची चोटी पर बना हुआ है। देवी काली को समर्पित यह मंदिर धर्म, अध्यात्म और पर्यटन के लिहाज से इस क्षेत्र सबसे अच्छा स्थान माना जाता है। मंदिर के आसपास का वातावरण मंत्रमुग्ध कर देने वाला चित्रण प्रस्तुत करता है।
इस मंदिर में आने वाले के तमाम पर्यटक यहां के शांत और पवित्र वातावरण में एक अध्यात्मिक शक्ति का एहसास करते हैं। यहां के शांत वातावरण और पहाड़ियों में आसपास के कई ट्रेकिंग के शौकिनों को देखा जा सकता है।
स्टोक्स फार्म का आकर्षण
स्टोक्स फार्म भी हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण केन्द्र है, जो नारकंडा के पास ही में स्थित है। अपने स्वादिष्ट सेब के लिए प्रसिद्ध यह बाग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाता है। एक विशाल क्षेत्र में फैले इस बाग में, सेब के कई बगीचे हैं जो यहां आने वाले पर्यटकों को ताजगी का एहसास कराता है। दरअसल यह एक स्थान सैमुअल स्टोक्स नामक एक अमेरिकी व्यक्ति के नाम पर है।
सैमुअल स्टोक्स सन 1904 में भारत से प्रभावित होकर यहां आया यहां से प्रभावित होकर उसने इस फार्म की शुरुआत की थी। बाद में उसने अपना नाम बदल कर सैमुअल स्टोक्स से सत्यानंद स्टोक्स कर लिया था। वर्तमान में सत्यानंद स्टोक्स का पोता इस काम को संभालता है।
अगर आपको भी स्टोक्स फार्म की यात्रा करनी है तो उसके लिए यहां का सबसे अच्छा समय अप्रैल के महीने के दौरान होता है। इस मौसम में यहां सेब के पेड़ फलों से लदे होते हैं।
तन्नु जुब्बर झील
चारों ओर से ऊंचे-ऊंचे पेड़ों से घिरी हुई तन्नु जुब्बर झील का शांत पानी यहां आने वाले सभी पर्यटकों के दिन में हलचल पैदा कर देता है। यह लेक हिमाचल प्रदेश की बहुत ही लोकप्रिय और आकर्षक झीलों में से एक है। यह लेक अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है। स्थानीय लोगों, पर्यटकों और खासकर फाटोग्राफी के शौकिनों के बीच इसके सबसे अधिक चर्चे सूने जा सकते हैं। आसपास के अधिकतर लोग यहां पिकनिक मनाते देखे जा सकते हैं।
नारकंडा में शाॅपिंग
नारकंडा के बाजार में आप खरीददारी भी कर सकते हैं। नारकंडा का बाजार सबसे अधिक हिमाचली शाॅल के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहां के कंबल, टोपी और ऊनी जुराबें सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं। नारकंडा में हिमाचल के हर क्षेत्र के पारंपरिक पहनावे की झलक देखने को और खरीदने को मिल जाती है।
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