अजय सिंह चौहान || धार्मिक और ऐतिहासिक इमारत या स्थल किसी भी देश, धर्म या समुदाय विशेष के लिए पूजनीय होते हैं। लेकिन, पाकिस्तान में मुस्लिम समुदाय के अलावा अगर किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित कोई भी धार्मिक स्थान हैं तो वे कितने सुरक्षित हैं और पाकिस्तान के लिए वे कितने महत्वपूर्ण हैं इस बात का कोई महत्व नहीं है। अल्पसंख्यक समुदायों के पूजास्थलों को पाकिस्तान में किस कदर नष्ट किया जा रहा है और किस कदर उनका दुरूपयोग किया जा रहा है इस बात का एक सबसे अच्छा उदाहरण कराची में मनोरा द्वीप नामक समुद्र तट पर स्थित हिंदुओं के धर्म और आस्था से जुड़े वरुण देव मंदिर (Varun Dev temple in Karachi Pakistan) की वर्तमान संरचना को माना जा सकता है।
लगभग 1,000 वर्ष पुराने इस मंदिर की धार्मिक और ऐतिहासिक इमारत, भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद अब, पाकिस्तानी क्षेत्र में समुद्र के किनारे सिंध प्रांत के खैरपुर में है। इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर लगे एक शिलालेख पर देवनागरी लिपि में ओम, वरुण देव मंदिर अंकित है।
किसी भी धर्म के लिए उसकी पवित्र इमारत या पवित्र स्थान कितना महत्पवपूर्ण होता है यह तो सभी धर्मों के लोगों पता होता है। लेकिन, पाकिस्तान की सरकार और वहां के लोगों के लिए यह बात कोई मायने नहीं रखतीं है। तभी तो इस मंदिर के कुछ हिस्सों और कमरों को समुद्रतट पर आने वाले सैलानियों के लिए सार्वजनिक शौचालय के रूप में उपयोग किया जाता है। और यह कोई मनगढ़ंत कहानी या खबर नहीं बल्कि एक ऐसी हकीकत है जो कि वहीं के पत्रकारों और अखबारों ने दुनिया को बताई है।
यह खबर हमारे लिए जितनी हैरान कर देने वाली हो सकती है उससे भी ज्यादा बड़ी बात उस देश के लिए और उस के लोगों के लिए शर्म करने वाली होनी चाहिए। लेकिन, उनके लिए ये सब बातें कोई मायने नहीं रखती।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के साथ भेदभाव इस कदर हो रहा है कि अब तो पाकिस्तान के ही कई प्रमुख अखबारों ने भी इन खबरों को प्रकाशित करना शुरू कर दिया है। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान से आने वाली ऐसी खबरों पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि जब भी वहां की कोई अल्पसंख्यक समाज से संबंधित घटना या उससे संबंधित विषय बहुत बड़ा रूप ले लेती है तो वह एक खबर बन कर दुनिया के सामने आ ही जाती है।
पाकिस्तान के एक अंग्रेजी अखबार डेली टाइम्स ने सन 2008 में इस मंदिर को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसमें उसने लिखा था कि वरुण देव का यह मंदिर पाकिस्तान के लिए एक विरासत का प्रतीक होना चाहिए। लेकिन, मंदिर का एक हिस्सा शौचालय के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। जब पूजा के लिए मंदिर इस्तेमाल होता था तब 1950 के दशक में हिंदू समुदाय ने ‘लाल साईं वरुण देव‘ का त्यौहार आखिरी बार मनाया गया था।
अब इस मंदिर के कमरे और परिसर शौचालय के रूप में उपयोग किए जाते हैं। यह हिंदू समुदाय का बड़ा अपमान है। मंदिर का ख्याल रखने वाले जीवराज ने बताया कि यहां कोई भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान नहीं करता है।
इस मंदिर को लेकर पाकिस्तान के अन्य अखबारों ने भी समय-समय पर कई खबरें प्रकाशित की, जिनके अनुसार बताया जाता है कि सन 2008 में, मंदिर की देखभाल करने वाली पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल ने इस इमारत की देखभाल और मरम्मत के लिए स्थानिय प्रशासन को एक पत्र भी लिखा, लेकिन जवाब में कहा गया था कि, यह मंदिर पाकिस्तानी नौसेना के अधिकार क्षेत्र में आता है इसलिए, हम इसके लिए कुछ नहीं कर सकते। जबकि पाकिस्तान की किसी भी संस्था के द्वारा इस प्राचीन विरासत की रक्षा या संरक्षण के लिए अभी तक किसी भी प्रकार का कोई योगदान नहीं दिया गया है।
कई प्रकार की अनदेखियों के कारण यह पुरातात्विक धरोहर आज जर्जर हालत में है। समुद्री हवाओं के कारण मंदिर की दीवारों पर बनी समृद्ध नक्काशी धीरे-धीरे खराब हो रही हैं। कई मूर्तियों को लगता है कि जानबुझ कर तोड़ा गया है। इमारत की कुछ दीवारें तो कभी भी गिर सकती हैं।
पाकिस्तान के एक फोटोग्राफर और पत्रकार यासीर काजमी जो नेशनल ज्योग्राफिक चैनल के लिए भी काम करते हैं ने भी अपनी फोटोग्राफी के माध्यम से इस मंदिर की वर्तमान स्थिति से संबंधित कई रहस्यों को उजागर किया है।
यासीर काजमी ने अपने ब्लाॅग में लिखा है कि पिछले कई वर्षों से मंदिर की मरम्मत की कोशिश की जा रही है, लेकिन काम दिख नहीं रहा है बल्कि मंदिर में और भी खराबियां हो रही है, मंदिर से लगे हुए होटल और ढाबे अब भी वहीं पर मछलिया तल रहे हैं। मंदिर के आसपास कई गैरकानूनी गतिविधियां हो रही हैं।
लगभग 1,000 साल पुराने इस अद्भुत मंदिर के अधिकतर हिस्सों को भू-माफियाओं ने 1947 में हुए बंटवारे के बाद अपने कब्जे में ले लिया था। पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल ने एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद इस बंद पड़े और क्षतिग्रस्त मंदिर को किसी तरह फिर से तैयार करने का फैसला किया, और जून 2007 में इसकी देखरेख करने और मरम्मत करवाने की कोशिश शुरू की। लेकिन, इस परिषद के पास न तो पर्याप्त धन है और ना ही आज भी इतने अधिकार हैं कि वे इसमें बड़े पैमाने पर मरम्मत करवा सके।
मंदिर के गर्भगृह और मुख्य सभा मंडप के प्रवेश द्वार को ईंटों की दिवार बनारक बंद कर दिया गया है ताकि गर्भगृह में रखी गई मूर्तियों का और अधिक अपमान न हो सके। हालांकि पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल का कहना है कि यह दिवार मंदिर में लुटपाट के इरादे से आने वाले लोगों से बचाने के लिए बनाई गई है, लेकिन इसकी ज्यादातर चीजें पहले ही गायब हो चुकी हैं।
सन 2015 में भारत सरकार ने अमेरिका के माध्यम से वहां किसी तरह, पाकिस्तान की शर्मनाक हरकतों पर अंकुश लगाने की पहल की और सांस्कृतिक संरक्षण के तौर पर सन 2016 में अमेरिका द्वारा दिये गये एंबेसडर फंड का इस्तेमाल करते हुए इसमें कुछ मरम्मत करवा कर इसको बचाने का प्रयास किया गया है, लेकिन यह काम भी इतना पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है कि इससे इमारत की को और अधिक जीवनदान मिल सके। माना जाता है कि इससे पहले और आखिरी बार इस संरचना की मरम्मत का काम सन 1917-18 में ही किया गया था।
वरुण देव का यह मंदिर पाकिस्तान के कराची जिले के मनोरा समुद्र तट पर बना हुआ है। यह मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना है और भगवान वरुण देव को समर्पित है। माना जाता है कि इस समय पाकिस्तान में केवल यही एकमात्र इतनी पुरानी हिंदू मंदिर की इमारत है जो अभी तक खड़ी है। ऐसे में पाकिस्तान के अल्पसंख्यों को जहां अब कोई नया धार्मिक स्थल बनाने की अनुमति नहीं है वहीं कुछ बचे-खुचे ऐतिहासिक धार्मिक स्थालों की निजी तौर पर देख-रेख करना भी अब मुश्किल होता जा रहा है।
किसी भी धर्म विशेष के लिए उसकी पवित्र इमारत या स्थान कितना पवित्र हो सकता है यह सभी धर्मों के लोगों पता होता है और पाकिस्तानी भी इस बात को जानते ही होंगे। लेकिन, अल्पसंख्यों के साथ हो रहे इस तरह के भेदभावों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि संभवतः पाकिस्तान में नैतिक शिक्षा का कोई पाठ ही नहीं पढ़ाया जाता।
इस तरह की घटनाओं या इस विषय पर गौर किया जाय तो पता चलेगा कि वहां के सभी अल्पसंख्यकों की मात्र एक या दो नहीं बल्कि ऐसी कई धार्मिक और ऐतिहासिक इमारतें होंगी जिनका अब कोई अस्तित्व ही नहीं बचा है और या तो उन पर भू-माफियाओं का कब्जा हो चुका है या उन्हें नष्ट कर दिया गया है या फिर उनका उपयोग किसी अन्य सुविधा के लिए किया जा रहा है।