अजय सिंह चौहान | जिस कश्मीर को कुछ लोग जमीन का मात्र एक टुकड़ा समझने की भूल करते हैं उन लोगों को यह जान लेना चाहिए कि सनातन संस्कृति और भारत के प्राचीन इतिहास से लेकर आज तक भी, कश्मीर भारत के लिए कितना अनमोल रत्न है, इस बात का अंदाजा शायद आज किसी भी आम भारतीय को नहीं है।
कई शोधकर्ताओं ने इस बात को माना है कि युगों पहले जब शेष पृथ्वी पर मानव का अस्तित्व ही नहीं था उस समय भी भारतीय उप महाद्वीप में मानव सभ्यता एक विकसित जीवन जी रही थी और कैस्पियन सागर से लेकर कश्मीर तक ऋषि कश्यप के वंशजों का ही राज फैला हुआ था।
कश्मीर के पौराणिक और सनातन धर्म से संबंधित इसके एतिहासिक तथ्यों के अनुसार माना जाता है कि कश्यप ऋषि के नाम पर ही कश्यप सागर यानी आज जिसे हम कैस्पियन सागर कहते हैं उसका नामकरण हुआ था और आज के कश्मीर को भी उन्हीं कश्यप ऋषि के नाम से जाना जाता है। यह भी माना जाता है कि ऋषि कश्यप ही कश्मीर के सबसे पहले राजा हुए थे।
महर्षि कश्यप का उल्लेख हमें ऋग्वेद में भी मिलता है। इसके अलावा महर्षि कश्यप के जन्म के विषय में श्रीनरसिंह पुराण में स्पष्ठ रूप से बताया गया है कि, मरीचि ऋषि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र थे। और मरीचि ऋषि तथा उनकी पत्नी सम्भूति ने ही महर्षि कश्यप को जन्म दिया था। इस प्रकार से और यहीं से इस संसार में मानस पुत्रों का यानी मनुष्यों का पदार्पण हुआ था।
इसलिए ऋषि कश्यप प्राचीन वैदिक ऋषियों में प्रमुख ऋषि माने गये हैं। अन्य संहिताओं में भी यह नाम कई बार पढ़ने को मिलता है। इन्हें सर्वदा धार्मिक एवं रहस्यात्मक चरित्र वाला ऋषि बतलाया गया है।
कई प्रकार के पौराणिक साक्ष्यों और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ऋषि कश्यप की जिस कद्रू नामक पत्नी के गर्भ से इस संसार में सर्वप्रथम नाग वंश की उत्पत्ति हुई, उन नागों की संख्या 8 थी। उन 8 नागों के नाम अनंत नाग यानी शेष नाग, वासुकि नाग, तक्षक नाग, कर्कोटक नाग, पद्म नाग, महापद्म नाग, शंख नाग और कुलिक नाग थे।
इसी तरह कश्मीर में आज भी पौराणिक साक्ष्यों के अनुसार, उन नागों के नाम पर कई स्थानों के नाम हैं- जिनमें अनंतनाग, कमरू, कोकरनाग, वेरीनाग, नारानाग, कौसरनाग आदि।
मान्यता है कि इन्हीं 8 नागों से नागवंश की स्थापना हुई थी। विभिन्न पुराणों में कश्मीर को नागों का देश भी कहा गया है। जबकि आज कश्मीर में जो अनंतनाग नामक जिला है उस स्थान को नागवंशियों की राजधानी माना गया था।
इसके अलावा हमारे पौराणिक ग्रंथ यह भी बताते हैं कि इस संपूर्ण क्षेत्र को इन सबसे पहले जम्बूद्वीप के नाम से जाना जाता था और यहां उस समय के लोकप्रिय राजा अग्निघ्र का राज था। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि त्रेतायुग में भगवान राम के जन्म से भी हजारों वर्ष पहले तक कश्मीर मात्र एक जनपद के रूप में हुआ करता था।