अजय सिंह चौहान || गुजरात और राजस्थान की सीमा पर अरावली पर्वत श्रंखला में होने के कारण अंबाजी शक्तिपीठ को ‘‘अरासुर माता’’ के नाम से भी पहचाना जाता है। अंबाजी का यह शक्तिपीठ मंदिर 51 शक्तिपीठों के साथ-साथ उन शक्तिपीठों में भी माना जाता है जो देवी सती के 12 सबसे प्रमुख शक्तिपीठ हैं। मान्यता है कि इस शक्तिपीठ मंदिर में देवी अंबाजी अनादिकाल से अपने जग्रत रूप में निवास करती हैं। इसीलिए यह स्थान हिन्दू धर्म के लिए सबसे प्रमुख और सबसे बड़े तीर्थों में से एक है।
मां अंबाजी का यह शक्तिपीठ मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध और विशेष मंदिरों में स्थान रखता है। गुजरात राज्य के बनासकांठा जिले में अरावली पर्वत श्रंखला के एक पर्वत पर स्थित, अंबाजी शक्तिपीठ देवी दुर्गा का एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के लिए सबसे प्रमुख और सबसे बड़े तीर्थों में माना जाता है। अंबाजी का यह मंदिर खास तौर पर विदेशों में बसे गुजराती समाज के लिए सबसे बड़ी आस्था और शक्ति उपासना का महत्व रखता है।
सड़क मार्ग से अंबाजी यात्रा –
तो यदि आप भी गुजरात राज्य के बनासकांठा जिले में स्थित माता अंबाजी शक्तिपीठ के दर्शन करने के लिए जाना चाहते हैं तो बता दें कि यह मंदिर राजस्थान और गुजरात राज्य की सीमा पर स्थित है। मंदिर के पास ही से राष्ट्रीय राजमार्ग 14 भी निकलता है। इसके अलावा यहां राज्यमार्ग संख्या 9 से दंता-अंबाजी नाम का राज्यमार्ग भी है जो मंदिर के पास से ही होकर निकलता है। इसलिए सड़क मार्ग से आने और जाने के लिए हर प्रकार से नियमित बसों और टैक्सियों की बहुत अच्छी सुविधा मिल जाती है।
गुजरात के पालनपुर की से अंबाजी मंदिर लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर है। जबकि श्री अमीरगढ़ से 42 किलोमीटर, कडियाद्रा से 50 किलोमीटर, माउंट आबू से 45 किलोमीटर, गांधी नगर से 200 किलोमीटर और अहमदाबाद से 175 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा अगर आप पड़ोसी राज्य राजस्थान के सिरोही जिले से यहां तक आना चाहते हैं तो यह दूरी करीब 67 किलोमीटर और उदयपुर से करीब 170 किलोमीटर तय करनी होगी। और, अगर आप जोधपुर से अंबाजी के लिए जा रहे हैं तो यह दूरी करीब 270 किलोमीटर तय करनी होगी।
अगर आप माउंट आबू रोड़ से होते हुए अंबाजी मंदिर के लिए आ रहे हैं तो इस रोड़ से मंदिर करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर ही है। बस, कार या टैक्सी के द्वारा आने-जाने वाले यात्रियों के लिए यहां श्री अंबाजी मंदिर के पास ही में खोडियार चैक पर बस अड्डा स्थित है। आप यहां से मंदिर तक पैदल भी जा सकते हैं।
अंबाजी के लिए रेल यात्रा –
यह तो हुई अंबाजी शक्तिपीठ मंदिर के आस-पास के क्षेत्रों से आने-जाने वाले यात्रियों की बात। लेकिन, अगर देश के दूर-दराज के क्षेत्रों और अन्य राज्यों से श्रद्धालुओं को यहां तक पहंुचना है तो उसके लिए तो फिर रेल या हवाई जहाज के द्वारा ही यहां तक आना-जाना करना पड़ेगा। ऐसे में रेल द्वारा यहां तक आने-जाने वाले श्रद्धालुओं के बारे में बात करें तो उसके लिए यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन श्री अंबाजी शक्तिपीठ मंदिर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर ‘अंबाजी स्टेशन’ के नाम से बना हुआ है।
अंबाजी स्टेशन’ को यहां ‘आबू रोड’ स्टेशन के नाम से भी पहचाना जाता है। यह रेलवे स्टेशन राजस्थान राज्य के सीरोही जिले में पड़ता है। अंबाजी मंदिर से महज 20 किलोमीटर दूर स्थित इस स्टेशन तक आने-जाने के लिए रात हो या दिन हर समय टैक्सी, ऑटो, बस या फिर शेयरीग में चलने वाली जीप या लोकल ऑटो की बहुत अच्छी सुविधा मिल जाती है। इसके अलावा यहां का दूसरा रेलवे स्टेशन पालनपुर में भी है, जो मंदिर से लगभग 70 किमी की दूरी पर स्थित है। पालनपुर स्टेशन से अंबाजी मंदिर तक बस का किराया अलगभग 40 रुपये लग जाता है।
अंबाजी के लिए हवाई यात्रा –
अंबाजी शक्तिपीठ मंदिर के लिए हवाई जहाज से जाने वाले यात्रियों के लिए यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा राजस्थान के उदयपुर में है जो यहां से करीब 170 किलोमीटर दूर पड़ता है, और दूसरा हवाई अड्डा अहमदाबाद में सरदार वल्लभ भाई पटेल अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो यहां से करीब 180 किलोमीटर दूर है। इसलिए हवाई यात्रा करने के बाद भी श्रद्धालुओं को यहां तक आने और जाने के लिए सड़क मार्ग का ही सहारा लेना होता है। लेकिन, अगर आप चाहें तो अहमदाबाद से ट्रेन के द्वारा भी ‘अंबाजी स्टेशन’ तक आ सकते हैं।
कहां ठहरें –
वैसे तो अधिकतर यात्री और पर्यटक यहां पहुंचने से पहले ही अपने लिए होटल, धर्मशाला या गेस्ट हाउस में बुकिंग करवा लेते हैं। लेकिन अगर आप यहां बिना बुकिंग के भी पहुंच जायेंगे तो आपको श्री अंबाजी मंदिर के आसपास ही में आपके बजट के अनुसार सैकड़ों छोटे-बड़े निजी होटल, गेस्ट हाउस, धर्मशालाऐं मिल जायेंगी। इसलिए यहां ठहरने के लिए अधिक समस्या नहीं होती। इसके अलावा श्री आरासुरी अंबाजी माता देवस्थान ट्रस्ट ने माता अम्बाजी तीर्थ के लिए आने वाले दुनियाभर के आगंतुकों और तीर्थयात्रियों को अधिक से अधिक सुविधाएं और आवास प्रदान करने के लिए कुछ ऐतिहासिक कदम उठाए हैं।
अंबाजी में आपको ट्रस्ट की ओर से मिलने वाले लगभग सभी आवासों में एक एसी डबल बैड कमरा 578 रुपये और नाॅन एसी का 295 रुपये तक में मिल जाता है। अगर आप यहां 10 बिस्तरों वाला एक काॅमन हाॅल लेना चाहते हैं तो 590 रुपये में और 25 बिस्तरों वाला काॅमन हाॅल 1180 रुपये में मिल जाता है।
इसके अलावा यहां आने वाले आर्थिक और सामाजिक तौर पर सभी वर्ग और उम्र के तीर्थयात्रियों के लिए कुछ विशेष और अधिक आरामदायक आवास और बोर्डिंग की सुविधायें उपलब्ध है। अम्बाजी ट्रस्ट की ओर से यहां हाल ही में एक ‘‘श्री’’ नाम से मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की स्थापना की गई है। ‘‘श्री’’ नाम से यह बिल्डिंग जगत जननी पथिकाश्रम अम्बिका विश्राम गृह और राज्य परिवहन बस स्टेशन डिपो के सामने ही स्थित है।
इस मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में 48 डबल और सिंगल रूम की सुविधा है। इसके अलावा यहां काॅन्फ्रेंस रूम, डाइनिंग हाॅल, गार्डन, एक प्ले ग्राउंड और पार्किंग जैसी सभी सुविधाओं को ध्यान में रखा गया है। अम्बाजी ट्रस्ट का कहना है कि यह बिल्डिंग किसी भी प्रकार के लाभ या हानि के आधार पर नहीं बल्कि यात्रियों की सुविधा के लिए है।
पार्किंग व्यवस्था –
अगर आप यहां अपने किसी भी प्रकार के नीजी वाहन से जा रहे हैं तो श्री अरासुरी अम्बाजी माता देवस्थान ट्रस्ट ने आपके किसी भी प्रकार के वाहनों के लिए और मंदिर के पास ही में गब्बर तेली नामक जगह पर पार्किंग की व्यवस्था भी की है। इन पार्किंग स्थलों पर ही आपको लाॅकर के अलावा पर्यटक स्नान कक्ष और सार्वजनिक शौचालयों की सुविधा भी मिल जाती है।
भोजन व्यवस्था –
क्योंकि अंबाजी एक तीर्थ स्थान है इसलिए यहां आमतौर पर शुद्ध शाकाहारी भोजन ही मिलेगा। नाश्ते के रूप में मिलने वाले सामान में ढोकला, सेव, खाकरा, चकरी, फाफड़ा, खांडवी और खमन जैसी स्वादिष्ट चीजें होती हैं। वैसे तो यहां अन्य राज्यों का भोजन भी मिल जाता है लेकिन, यहां का सबसे प्रसिद्ध और स्वादिष्ट भोजन यानी गुजराती थाली ही मिलती है। इस थाली में आपको रोटी के साथ कढ़ी या फिर दाल, चावल और सब्जी भी मिलती है। इसके अलावा यहां के एक अन्य मशहूर पकवान यानी खिचड़ी को छाछ के साथ खाया जाता है। यहां के पारंपरिक गुजराती व्यंजनों और नाश्ते का आनंद ही कुछ ओर है।
आप चाहें तो यहां के सबसे स्वादिष्ट भोजन के लिए आप यहां श्री आरासुरी अंबाजी माता देवस्थान ट्रस्ट की ओर से अंबिका भोजनालय में सुबह 10 बजे से रात के 10 बजे तक विश्वस्तरीय सात्विक भोजन की सुविधा का भी लाभ ले सकते हैं। इन भोजनालयों में बहुत ही कम दाम पर सात्विक भोजन व्यवस्था का प्रबंध किया गया है, जिसमें एक वयस्क के लिए थाली का दाम 15 रुपये रखा गया है।
अगर आप यहां भोजन के साथ कुछ मिठा भी लेते हैं तो उसके लिए आपको 21 रुपये अलग से देने होंगे। इसके अलावा यहां 6 वर्ष तक के बच्चे के लिए थाली का दाम 11 रुपये रखा गया है। और अगर आप बच्चे के लिए भी कुछ मिला लेते हैं तो आपको 15 रुपये अतिरिक्त देने होंगे।
श्री अरासुरी अंबाजी माता देवस्थान ट्रस्ट की ओर से यहां अंबाजी शहर के केंद्र में कुछ विशेष हाॅलिडे होम्स, गेस्ट हाउस, धर्मशालाएं और भोजनालयों की बहुत ही सुंदर और उत्तम व्यवस्था की है, मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित इन सभी आवास और बोर्डिंग सुविधाओं में सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाएं और पारंपरिक गुजराती भोजन और नाश्ते का प्रबंध है।
श्री आरासुरी अंबाजी माता देवस्थान ट्रस्ट ने यहां नासा फाउंडेशन और अन्य लोगों की मदद से बड़े पैमाने पर अम्बिका भोजनालय खोले हैं ताकि तीर्थ यात्रियों को अपने निवास के आसपास ही में भोजन की व्यवस्था मिल सके।
अंबाजी मंदिर के दर्शन –
मंदिर में दर्शन करने जाने से पहले ध्यान रखें कि यहां मंदिर के गर्भगृह में माता की कोई प्रतिमा नहीं है, बल्कि एक श्री यंत्र स्थापित है। इस श्री यंत्र को ही माता के प्रतीक के रूप में माना जाता है और पूजन किया जाता है। श्रद्धालुओं को इस पवित्र श्री यंत्र के दर्शन करने के लिए गर्भगृह के भीतर प्रवेश की अनुमति भी नहीं है। इसलिए मंदिर के गर्भगृह को सुरक्षित गुफा की तरह से बना गया है। जबकि श्री यंत्र के दर्शन करने के लिए उस दिवार में एक झरोखा छोड़ दिया गया है जहां से सभी श्रद्धालु उस श्री यंत्र के दर्शन करते हैं।
आरासुरी गब्बर पर्वत तीर्थ यात्रा –
श्री अंबाजी मंदिर में श्री यंत्र के दर्शन करने के बाद सभी श्रद्धालु आरासुरी गब्बर तीर्थ के लिए जाते हैं। श्री अंबाजी मंदिर से आरासुरी गब्बर तीर्थ तक पहुंचने के लिए करीब 15 से 20 मिनट का समय लगता है। इस लगभग 5 किलोमीटर की इस दूरी को पार करने के लिए आपको यहां के लोकल ऑटो, टैक्सी, रिक्शा या फिर शेयरिंग में चलने वाली जीप में 10 से 15 रुपये तक का किराया देकर जाना होता है। हालांकि, अधिकतर श्रद्धालुओं को यहां पैदल ही जाते हुए देखा जा सकता है।
लगभग 1,600 फूट ऊंची इस गब्बर तीर्थ पहाड़ी पर अधिकतर श्रद्धालुओं को पैदल ही चढ़ाई करते हुए भी देखा जा सकता है। लेकिन, अगर आप चाहें तो यहां उड़न खटोले की सुविधा भी ले सकते हैं। उड़न खटोले के लिए यहां आपको करीब 95 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से देना होगा, जिसमें दोनों ही तरफ की यात्रा के लिए यानी आने और जाने, दोनों ही के लिए यह सुविधा मिलती है।
ध्यान रखें कि अगर आप इस गब्बर तीर्थ पहाड़ी पर पैदल ही चढ़ाई करना चाहते हैं तो सुबह के समय या फिर शाम के समय ही जायें। क्योंकि उस समय आपको यहां पैदल चढ़ाई करने में या फिर उतरने में गर्मी अधिक महसूस नहीं होगी। गब्बर तीर्थ पहाड़ी की ऊंचाई से चारों ओर का दृश्य बहुत ही सुंदर और आकर्षित लगता है। ऊपर खाने-पीने की भी अच्छी सुविधाएं मिल जाती हैं।
कौन से मौसम में जाय –
तो यदि आप लोग भी अपने परिवार के बच्चों और बुजुर्गों के साथ श्री अंबाजी शक्तिपीठ मंदिर के दर्शन करने जाने का मन बना रहे हैं तो बता दें कि यहां जाने के लिए सबसे अच्छा समय सर्दियों के दौरान का यानी अक्टूबर से मार्च के बीच का हो सकता है।
हालांकि यहां नवरात्र के अवसर पर जाने का मजा ही कुछ ओर है, लेकिन, इस दौरान यहां बहुत अधिक भीड़ होती है। ऐसे में अगर आप किसी दूर-दराज के क्षेत्र यहां जा रहे हैं तो आप यहां माता के दर्शन करने का उतना आनंद नहीं ले पायेंगे जितना की किसी और समय में।
कौन से मौसम में ना जाय –
इसके अलावा अगर आप यहां जुलाई से सितंबर महीनों के बीच जायेंगे तो आपको यहां की मूसलाधार बारिश का सामना करना भी पड़ सकता है। लेकिन, इस दौरान यहां की हवा में नमी आ जाती है इसलिए यहां का मौसम थोड़ा सुखद हो जाता है। कोशिश करें कि आप अप्रैल से जून के बीच की गर्मियों के दिनों में अंबाजी के दर्शन करने के लिए जाने से बचें।
सार्वजनिक स्नान और शौचालय घर –
इसके अतिरिक्त, मंदिर ट्रस्ट द्वारा श्री अंबाजी मंदिर परिसर के पास, भक्तों के लिए विशेष सार्वजनिक स्नान घर और शौचालयों की उत्तम व्यवस्था भी की हुई है।
ट्रस्ट की पारदर्शी सुविधाएं –
श्री अरासुरी अंबाजी देवस्थान ट्रस्ट द्वारा यहां के अलग-अलग स्थानों पर संचालित विभिन्न गेस्ट हाउस, भोजनालय, डाइनिंग हाॅल, पार्किंग, पर्यटक स्नान कक्ष और सार्वजनिक शौचालय जैसी सुविधाओं की सूची संपूर्ण विवरण के साथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा प्रदान की गई है ताकि दूर-दराज से आने वाले तीर्थयात्रियों को इसमें किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो।
अन्य दर्शनीय स्थल –
अंबाजी मंदिर के आस-पास ही में कुछ अन्य प्रसिद्ध मंदिर और दर्शनीय स्थान भी हैं जैसे- वरही माता का मंदिर, अंबिकेश्वर महादेव मंदिर, गणपति मंदिर, हनुमानजी का मंदिर, कैलाश पहाड़ी का महादेव मंदिर, कामाक्षी मंदिर और कोटेश्वर, कुंभारिया आदि।