राजस्थान, मेवाड़ में स्थित इस किले की दीवारें 38 किलोमीटर की दूरी तक फैली हुई हैं। चीन की दीवार के बाद अपने विस्तार के अनुसार यह दीवार दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार है। कुम्भलगढ़ का किला राजस्थान ही नहीं भारत के सभी दुर्गों में विशिष्ठ स्थान रखता है।
उदयपुर से 70 किमी दूर यह किला मेवाड़ के यशस्वी महाराणा कुम्भा की सूझबूझ व प्रतिभा का अनुपम स्मारक है। इसका निर्माण सम्राट अशोक के द्वितीय पुत्र संप्रति के बनाए दुर्ग के अवशेषों पर 1443 से शुरू होकर 15 वर्षों बाद पूरा हुआ था।
वास्तुशास्त्र के नियमानुसार बने इस दुर्ग में प्रवेश द्वार, प्राचीर, जलाशय, बाहर जाने के लिए संकटकालीन द्वार, महल, मंदिर, आवासीय इमारतें, यज्ञ वेदी, स्तम्भ, छत्रियां आदि बने हैं।
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– कुम्भलगढ़ का निर्माण 15वीं सदी में महाराणा कुम्भा ने किया था। मेवाड़ के 84 में से 32 किलों को महाराणा ने बनवाया।
– कुम्भलगढ़ किले को देश का सबसे मजबूत दुर्ग माना जाता है जिसे आज तक सीधे युद्ध में जीतना नामुमकिन रहा है। गुजरात के अहमद शाह से लेकर महमूद खिलजी सभी ने आक्रमण किया लेकिन कोई भी युद्ध में इसे जीत नही सका।
– इसकी परकोटे की दीवार लंबाई में दुनिया में चीन की दीवार के बाद दूसरे स्थान पर है। इसकी लंबाई 38 किलोमीटर है और इसे भारत की महान दीवार भी कहा जाता है।
– कुम्भलगढ़ मेवाड़ के महाराणाओं की शरणस्थली रहा है। विपत्तिकाल में हमेशा महाराणाओं ने इस दुर्ग में शरण ली है। कुम्भलगढ़ किले को अब यूनेस्को की वल्र्ड हेरिटेज साईट के रूप में मान्यता मिली है और इसे राजपूत पहाड़ी दुर्ग कला का अद्वितीय नमूना माना गया है।
– कुम्भलगढ़ से एक तरफ सैकड़ो किलोमीटर में फैले अरावली पर्वत श्रृंखला की हरियाली दिखाई देती हैं जिनसे वो घिरा है, वहीं दूसरी तरफ थार रेगिस्तान के रेत के टीले भी दिखते हैं।
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