हमारे देश में समय-समय पर ऐसी अनेक घटनाएं देखने-सुनने को मिलती हैं कि अमुक व्यक्ति या महिला ने पुलिस प्रताड़ना या बेरुखी से त्रस्त होकर किसी कोर्ट या थाने के समक्ष आत्मदाह का प्रयास किया या किसी अन्य तरीकेक से जान दे दी। ऐसे घटनाएं पहले भी सुनने एवं देखने को मिलती रही हैं और आज भी मिल रही हैं। ऐसे में लोगों के दिलो-दिमाग में बार-बार यही बात कौंधती रहती है कि काश यदि समय पर शासन-प्रशासन जाग गया होता तो संभवतः ऐसी नौबत नहीं आती।
जब कोई मामला मीडिया एवं सोशल मीडिया के माध्यम से प्रकाश में आ जाता है तो उस पर शासन-प्रशासन की नजर पड़ जाती है। अभी हाल ही में राजधानी दिल्ली के कस्तूरबा नगर में एक महिला के साथ जिस प्रकार की दरिंदगी का मामला सामने आया, उसमें भी यही बात सामने आई कि यदि वक्त रहते पुलिस ने सतर्कता दिखाई होती तो ऐसी नौबत नहीं आती। कुछ समय पहले एक महिला ने कोर्ट के सामने अत्मदाह का प्रयास किया तो वह मामला सबके सामने आया।
वर्तमान परिस्थितियों में हालात चाहे जैसे भी हों, किंतु एक बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि पुलिस के पास यदि कोई शिकायत लेकर जाता है तो उसे बिना किसी ना-नुकुर के शिकायत दर्ज करना अनिवार्य होना चाहिए। जांच-पड़ताल में जिस प्रकार का मामला आये, निष्पक्षता के आधार पर उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। शासन-प्रशासन या पुलिस विभाग में जो भी लोग इस प्रकार की प्रतिबद्धता नहीं दिखाते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
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अव्वल तो यह होना चाहिए कि यदि कोई भी लाचार एवं मजबूर पुलिस के पास अपनी फरियाद लेकर जाता है तो मौके पर जो भी अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित हैं, उनकी जिम्मेदारी एवं जवाबदेही तय होनी चाहिए। अपनी जिम्मेदारी एवं जवाबदेही से कोई बचकर न निकल पाये और कानून की पेचीदगियों को ढाल बनाकर कोई बच न पाये, इस तरफ विशेष रूप से ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
चूंकि, अब सोशल मीडिया का दौर है, इसलिए किसी भी मामले को छिपा पाना इतना आसान नहीं है। समय बदल रहा है। हर बात की एक सीमा होती है। सिस्टम से परेशान होकर यदि कोई अपनी जीवन लीला समाप्त करना चाहता है तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जो स्वयं को परेशान करने वालों को स्वतः सबक सिखाकर न्याय पाना या लेना चाहते हैं किन्तु ये दोनों प्रकार की स्थितियां राष्ट्र एवं समाज के लिए घातक हैं। ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि शासन-प्रशासन एवं सिस्टम में प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी एवं जवाबदेही तय होनी चाहिए जिससे किसी प्रकार की त्रुटि होने पर एक दूसरे पर दोषारोपण कर भागने की नौबत ही न आने पाये।
एक बात सभी को स्पष्ट रूप से समझ लेने की आवश्यकता है कि आज नहीं तो कल इस स्थिति में आना ही होगा क्योंकि अति की भी एक सीमा होती है। आज यदि कोई व्यक्ति सिस्टम में रहकर न्याय की उम्मीद कर रहा है तो उसकी उम्मीदों पर खरा उतरने की जिम्मेदारी पूरे राष्ट्र एवं समाज की है।
– जगदम्बा सिंह