प्रकृति की भारतवर्ष पर असीम कृपा है। यहां पग-पग पर, विविध रंगों में प्रकृति ने अपनी छटा बिखेरी है। गंगा जैसी पवित्र नदी दुनिया में कहीं नहीं है जिसकी प्रत्येक बूंद अमृत है। गंगा के मैदान में ही दुनिया का सबसे बड़ा मीठे पानी का भंडार है। भारत दुनिया का ऐसा अकेला देश है जहां छःह ऋतुएं नाना प्रकार से इसे समृद्ध करती है।
प्रत्येक ऋतु का अपना अलग सौंदर्य और महत्व है। वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर सभी उमंग, उल्लास व नवीन चेतना प्रदान करने के साथ ही जीवन के विविध आयामों में व्यक्ति को प्रेरणा प्रदान करती हैं। अब जनवरी-फरवरी में आने वाले शिशिर को ही लें, कड़ाके की ठंड शरीर को कंपा देती है परन्तु यह संदेश भी देता है कि बस कुछ दिन और सुहाना वसन्त भी आने ही वाला है।
ऋतुएं केवल मौसम का परिर्वतन ही नहीं बल्कि मानव जीवन को स्वस्थ्य रखने में सहायक हैं। ध्यान दीजिये कि शरद पूर्णिमा के बाद खाद्य पदार्थ सड़ते नहीं, शिशिर और ग्रीष्म ऋतु में कीट-मच्छर समाप्त हो जाते हैं। कल्पना करें अगर शरीर को तपा देने वाली ग्रीष्म और कंपा देने वाला शिशिर न होता तो कीट-मच्छरों की भरमार होती और हम कभी न मुक्त हो पाते इनके कारण होने वाले विभिन्न रोगों से। वास्तव में ऋतुएं कई मौसमी रोगों के लिए प्राकृतिक अवरोधक के रूप में प्रकृति का अनुपम उपहार हैं। इसलिए सभी ऋतुओं का उत्साह के साथ स्वागत कर जीवन में उनका आनन्द लेना चाहिये।
जनवरी का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। पौष मास में 14 जनवरी को सूर्य नारायण मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण का प्रारम्भ होता है। उत्तरायण में सूर्य की किरणें स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं, इसीलिए यह बहुत शुभ माना जाता है। भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तारायण होने पर ही शरीर त्यागा था। पूरे देश में इस पर्व को मकर संक्राति के रूप में मनाया जाता है। पंजाब में इसे लोहड़ी और तमिलनाडु में पौंगल के रूप में मनाते हैं। इस अवसर पर गंगा सागर स्नान का विशेष महात्मय है।
पौराणिक कथा है कि इसी दिन गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चल कर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में विलीन हुई थी। जनवरी का हमारे लिए एक और महत्व है, स्वतंत्र भारत की संविधान सभा ने 26 जनवरी को ही भारत का संविधान लागू कर देश को गणतंत्र घोषित किया था। अतः यह जनता को सत्ता के समर्पण का उत्सव भी है। वर्ष 2015, मकर संक्रांति, लोहड़ी, पौंगल, वसंत पंचमी और गणतंत्र दिवस की असीम शुभ कामनाएं।
– साध्वी विभानंद गिरि